VIDEO: अब मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज से कंट्रोल में आएगा गठिया, राजस्थान रूमेटोलॉजी एसोसिएशन की दो दिवसीय कांफ्रेंस, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : देशभर के गठिया रोग विशेषज्ञों का महाकुंभ आज से जयपुर में शुरू हुआ. राजस्थान रूमेटोलॉजी एसोसिएशन की ओर से आयोजित दो दिवसीय 'आरआए-2024' कांफ्रेस में पहले दिन एक्सपर्ट्स ने बताया कि रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जिसे नियंत्रित करने के लिए बायोलॉजिकल दवाओं का इस्तेमाल करने का ट्रेंड बढ़ गया है. अब इसके इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज भी बना ली गई हैं जिससे इस बीमारी को और बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है.

झालाना डूंगरी स्थित राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेस में कांफ्रेस की आयोजन सचिव डॉ. आराधना सिंह ने बताया कि राजस्थान रूमेटोलॉजी एसोसिएशन की ओर से यह पहली कॉन्फ्रेंस है, जिसके शुभारम्भ सत्र में सबसे पहले रूमेटोलॉजिस्ट डॉ. देवाशीष ढांढा को श्रद्धांजलि दी गई. डॉ सिंह ने बताया कि नई दवाओं से अब रूमेटॉयड आर्थराइटिस को विकसित करने वाले प्रोटीन की सक्रियता को कम किया जा सकता है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज सीधे इन प्रोटीन को ब्लॉक कर देती हैं, जिससे बीमारी नियंत्रित हो जाती है. ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. रेणु सैगल ने कहा कि पहले दिन डॉ. चंद्रशेखर श्रीकांति ने सिस्टेमिक स्क्लेरोसिस, डॉ. अमित शर्मा ने रूमेटॉयड आर्थराइटिस में नई ड्रग्स पर जानकारी दी. 

कांफ्रेस में एम्स दिल्ली में रूमेटोलॉजी एचओडी डॉ. उमा कुमार ने ल्यूपस नेफ्राइटिस को लेकर विस्तार से जानकारी दी जबकि डॉ. अविनाश और डॉ. राशि माहेश्वरी ने बताया कि रूमेटोलॉजी से जुड़ी बीमारियां ऑटोइम्यून डिजीज होती हैं. इनके लिए एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट कराया जाता है जिसमें माइक्रोस्कोप से रक्त में न्यूक्लियर एंटीबॉडी देखी जाती हैं. यह काम अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा किया जाएगा जिसमें इंसानी गलती होने की संभावना बिल्कुल खत्म हो जाएगी. एआई की मदद से माइक्रोस्कोप में वह हिस्सा भी नहीं छूटेगा जो इंसानों की नजर से बच सकता है.

दो दिवसीय कांफ्रेस में देशभर के 200 से अधिक रूमेटोलॉजिस्ट भाग ले रहे है.कांफ्रेस में कल भी कई महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए जाएंगे. जिसमें विशेषज्ञ गठिया रोग की रोकथाम व उपचार को लेकर जारी नवाचारों पर चर्चा होगी.