पोकरण फायरिंग रेंज में हो रहा सबसे बड़ा 'भारत शक्ति-2024' युद्धाभ्यास, पीएम मोदी इस ऐतिहासिक पल के बन रहे गवाह

जैसलमेर: पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में 'भारत शक्ति-2024' युद्धाभ्यास हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सेना की क्षमता और युद्ध कौशलता को परख रहे हैं. इस मौके पर उनके साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा भी मौजूद हैं.

तीनों सेनाएं अपनी सामरिक शक्ति का युद्धाभ्यास का परिचय दे रही हैं. तीनों सेनाएं अपनी मारक क्षमता और ताकत का प्रदर्शन कर रही हैं. युद्धाभ्यास में स्वदेशी निर्मित हथियारों का प्रदर्शन हो रहा है. पीएम मोदी इस ऐतिहासिक पल का गवाह बन रहे हैं.

ये हथियार और मिसाइल से दिखा रहे अपनी ताकत

तेजस विमान - यह भारतीय वायुसेना का एक महत्वपूर्ण लड़ाकू विमान है. तेजस को हवा से हवा में मार करने, हवा से सतह पर हमला करने के लिए बनाया गया है. भारतीय वायुसेना को जल्द ही 85 तेजस और मिलने वाले हैं. बताया जा रहा है कि तेजस मिग -21 फाइटर जेट्स की जगह ले सकता है.

पिनाका रॉकेट: पिनाका रॉकेट्स की गति ही इसे ज्यादा घातक बनाती है. इसकी स्पीड 5757.70 किलोमीटर प्रतिघंटा है. मतलब एक सेकेंड में 1.61 km की रफ्तार से अटैक करता है. पिछले साल इसके 24 परीक्षण किए गए थे. इसके प्रमुख तौर पर दो वैरिएंट्स मौजूद हैं. इनमें सबसे आधुनिक पिनाका एमके-1 (एनहैंस्ड) रॉकेट सिस्टम है.

के-9 आर्टिलरी गन- 52 किलोमीटर तक साध सकती है निशाना
ATAGS एक स्वदेशी लंबी दूरी की कैलिबर होवित्जर तोप है. इसे एटीएजीएस परियोजना के तहत डीआरडीओ द्वारा 2013 में सेना की पुरानी तोपों को आधुनिक 155 मिमी आर्टिलरी गन से बदलने के लिए शुरू किया गया था. ATAGS तोप आंखों से न दिखने वाले टारगेट पर भी बेहद सटीक निशाना साध सकती है. DRDO के अनुसार, 52 किलोमीटर की रेंज के साथ एक समय में लगातार पांच राउंड फायरिंग करने में सक्षम ATAGS दुश्मन को संभलने तक का मौका नहीं देती है. अभी डिफेंस एक्सपर्ट ATAGS की रेंज को रैम जेट प्रोपल्शन की मदद से 60 किलोमीटर से अधिक करने के लिए कार्य कर रहे हैं.

नाग मिसाइल: भारत में बने ध्रुवास्त्र एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल को हेलिना भी कहते हैं. इससे पहले इसका नाम नाग मिसाइल था. ध्रुवास्त्र मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकेंड की गति से चलती है, यानी इसकी स्पीड 828 प्रति घंटा है. ध्रुवास्त्र की मारक क्षमता 500 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर तक है. ध्रुवास्त्र तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ टैंक रोधी मिसाइल है. जिसे हेलिकॉप्टर, टैंक, बीएमपी या किसी भी आर्मर्ड व्हीकल पर तैनात किया जा सकता है.

लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर प्रचंड: भारत में बना लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर दुनिया का इकलौता अपने वर्जन का सबसे बेस्ट हेलिकॉप्टर है. यह लगातार तीन घंटे उड़ान भर सकता है. 550 km की कॉम्बैट रेंज में यह अधिकतम 268 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर के कॉकपिट के ठीक नीचे 20 mm की तोप है. हेलिकॉप्टर में चार हार्ड पॉइंट हैं. यानी चार एक जैसे या अलग-अलग प्रकार के हथियार लगाए जा सकते हैं.

नेत्र- नेत्र (NETRA-Network Traffic Analysis) भारत के सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) द्वारा विकसित एक सॉफ्टवेयर नेटवर्क है. इसका उपयोग रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा किया जाता है. भारतीय एयरफोर्स ने इसकी पहली एयरबोर्न नियंत्रण प्रणाली को 2017 में शामिल किया था. NETRA एयरबोर्न नियंत्रण प्रणाली की रेंज 200 किलोमीटर है.

अस्त्र मिसाइल - हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र, बियॉन्ड विजुअल रेंज भी हमला करने में सक्षम है. इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा स्वदेशी और भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा 2017 में बनाया गया था. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय वायुसेना ने सितम्बर 2019 में हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल का तीसरा सफल परीक्षण किया था. मिसाइल ने 90 किलोमीटर दूर ओडिशा के पास अपने लक्ष्य को बेहद सटीकता के साथ भेद दिया था. इसे Su-30MKI विमान से लॉन्च किया जा सकता है.

आकाश मिसाइल- यह एक मध्यम दूरी की "सरफेस टू एयर" मिसाइल है. आकाश मिसाइल 25 किमी की दूरी और 18,000 मीटर या 59,000 फीट की ऊंचाई तक एक विमान को गिरा सकती है. यहां तक कि यह बैलिस्टिक मिसाइल, फाइटर जेट्स, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के हमलों को भी बेअसर कर सकती है. सुपरसोनिक आकाश मिसाइल प्रणाली को औपचारिक रूप से 5 मई 2015 को भारतीय सेना में शामिल किया गया और 10 जुलाई 2015 को भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.

गरुड ड्रोन- भारत का सबसे बेहतर जेट इंजन संचालित सामरिक ड्रोन जो पूरी तरह से मेड इन इंडिया है. गरुड़ का वज्र भारत में बना सबसे बेहतर ड्रोन में से एक माना जाता है. इस ड्रोन की रेंज 160 किमी तक है. इसमें उच्च गुणवत्ता वाला HD कैमरा, इमेज, लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग, दिन-रात के लिए थर्मल कैमरा, एंटी रडार नेविगेशन जैसी टेक्नोलॉजी से लैस है.

आर्मी के बाद नौसेना-वायुसेना को स्वदेशी बनाने पर जोर
गौरतलब है कि भारतीय सेना सौ फीसदी स्वदेशी बन चुकी है. भारत सरकार अब भारतीय नौसेना और वायुसेना को भी स्वदेशी बनाने पर जोर दे रही है. केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि पनडुब्बी निर्माण और एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरिंग में भी स्वदेशी तकनीकी का इस्तेमाल किया जाए. वर्तमान में सरकार को एयरक्राफ्ट इंजन या फिर कुछ सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है. लेकिन आने वाले सालों में देश इस दिशा में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है.