पुलिस स्थापना दिवस पर सीएम भजनलाल शर्मा ने किया बड़ा ऐलान, पुलिस निधि कल्याण कोष में की बढ़ोतरी की घोषणा

जयपुरः राजस्थान पुलिस का स्थापना दिवस. यूं तो हर साल 16 अप्रैल को लेकिन इस बार चुनाव की आचार संहिता के कारण देरी से इसका आयोजन हो रहा है. आज RPA में हुए मुख्य कार्यक्रम में CM भजनलाल शर्मा ने शिरकत की और परेड की सलामी ली

राजस्‍थान का शाब्दिक अर्थ राजाओं का स्थान है. यानी कि राजाओं की भूमि. देश आजाद होने से पहले यहां कई राजा-महाराजाओं ने राज किया. इससे पहले राजस्थान को राजपूताना के नाम से भी जाना जाता था और कुल 19 रियासतों को मिलाकर यह राज्‍य बना था. 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना. वहीं आजाद हिंदुस्तान में 16 अप्रैल 1949 का दिन राजस्थान पुलिस के लिए ऐतिहासिक माना जाता है. इसी दिन सभी पूर्व रियासतों के पुलिस बलों ने एक साथ आकर राजस्थान पुलिस की स्थापना की थी. राजस्थान पुलिस का स्थापना दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आरपीए ग्राउंड में आयोजित किया गया.  कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शिरकत कर परेड की सलामी ली. कार्यक्रम में मुख्य सचिव सुधांश पंत और डीजीपी यू आर साहू समेत अन्य पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए. 

16 अप्रैल 1949 का दिन राजस्थान के इतिहास का वो गौरवशाली दिन है. जब राजस्थान राज्य के गठन के बाद तत्कालीन राज्य प्रमुख की ओर से राजस्थान पुलिस एकीकरण अध्यादेश के जरिए राजस्थान पुलिस का एकीकरण किया गया. ठीक उसी दिन से राजस्थान पुलिस अस्तित्व में आई और राजस्थान पुलिस की स्थापना हुई. विजय स्तम्भ. राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह है तो "अपराधियों में डर, आमजन में विश्वास" राजस्थान पुलिस का ध्येय वाक्य. राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस पर जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पुलिस के कामकाज की सराहना करते हुए खाकी की हौसला अफजाई की. मुख्यमंत्री ने राजस्थान पुलिस में उल्लेखनीय और उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को सम्मानित भी किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने राजस्थान पुलिस कल्याण निधि में 1.5 करोड़ रुपए ,राजस्थान पुलिस बेनेवेलेन्ट फंड में एक करोड़ और उत्सव फंड 2023 — 24 एक करोड़ से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपए करने की घोषणा भी की. 

कहते है खाकी के चंद लोग बदनाम है ,लेकिन फिर भी खाकी का प्रदेश में बड़ा नाम है. आमजन की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली पुलिस हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए हर वक्त मुस्तैद रहती है. पुलिस और समाज का बेहद करीबी नाता रहा है. साल के पूरे 365 दिन और चौबीस घंटे अपनी ड्यूटी निभाने के बावजूद भी पुलिस जनता का विश्वास नहीं जीत सकी. ऐसे में वक्त पुलिस को कोसने का नहीं बल्कि देश की रक्षा में जुटे सेना के जवानों के बराबर ही सम्मान देने का है .