VIDEO: राजधानी के डॉक्टरों ने फिर रचा कीर्तिमान ! एक ही व्यक्ति के एक साथ दो लीवर किए प्रत्यारोपित, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजधानी के डॉक्टरों ने एकबार फिर कीर्तिमान रचते हुए सवा सौ किलो वजन के रोगी को नया जीवनदान दिया है. 50 वर्षीय मरीज लीवर फैलियर की समस्या से जूझ रहा था, जिसका चिकित्सकों की टीम ने ड्यूल लोब लिवर प्रत्यारोपण यानी एकसाथ दो लीवर लगाने की सफल सर्जरी की है. महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की टीम को यह उपलब्धि मिली है, जिसको लेकर दावा किया गया है कि इतने वजन का यह पहला ड्यूल लोब लिवर प्रत्यारोपण है.

लीवर फेलियर की समस्या से जूझ रहे 126 किलोग्राम वजन के 50 वर्षीय इंद्र पाल को पीलिया, पेट में पानी भरने, सूजन, खून की कमी जैसे लक्षण थे. यहां तक कि खाने पीने में भी परेशानी हो रही थी. जांच से पता लगा कि लीवर प्रत्यारोपण ही जान बचाने का एकमात्र उपाय है. लेकिन इतने अधिक वजनी रोगी का लिवर बदला जाना एक गंभीर चुनौती था. साथ ही लिवर का आकार भी बड़ा था. इसलिए पत्नी से मिले लिवर का आकार पर्याप्त नहीं था. इसीलिए एक और डोनर जो कि रोगी की भाभी थी उन्हे भी अंगदान के लिए तैयार किया गया. पत्नी से मिले अंग 600 ग्राम था. 400 ग्राम वजन का लिवर और चाहिए था. जो कि भाभी ने डोनेट किया. एक तरह से एक ही व्यक्ति में एक समय में दोहरे लिवर प्रत्यारोपण जैसे जटिल ऑपरेशन किए गए.

एक साथ तीन मरीजों की चली सर्जरी

16 घंटे चले ऑपरेशन में जुटे 30 से अधिक ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ

चिकित्सकों ने पहले खराब लीवर निकाला, फिर लगाए लीवर

पत्नी से मिले लीवर को दाईं और लगाया गया

जबकि भाभी से मिले लीवर को दाहिनी और किया गया प्रत्यारोपित

दोनो डोनर्स से भी बड़ी सर्जरी के जरिए आंशिक लीवर लिया गया

इस दौरान रोगी को पंद्रह बोतल खून भी चढ़ाया गया

ऐसा जटिल ऑपरेशन देश के केवल दो या तीन चुनिंदा प्रत्यारोपण केंद्रों पर ही संभव है

महात्मा गांधी मेडिकल यूनिवर्सिटी के संस्थापक चेयरमैन डॉ एम एल स्वर्णकार और चेयरमैन डॉ विकास चंद्र स्वर्णकार ने इस स्वर्णिम सफलता के लिए पूरे चिकित्सकों की टीम को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि डॉ मेहता के कुशल तथा अनुभवी नेतृत्व से ही ये सफलता मिली है. वे अब तक पंद्रह सौ से अधिक सफल लिवर प्रत्यारोपण कर चुके हैं. साथ में दो अन्य सर्जन डॉ आनंद नागर, डॉ विनय महला, लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ करण कुमार, डॉ वी ए सारस्वत, ट्रांसप्लांट एनेस्थेटिस्ट डॉ गणेश निम्झे, डॉ आनंद जैन, डॉ गौरव गोयल की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही. साथ ही तो मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर्स, संक्रमण रहित समर्पित गहन चिकित्सा ने इस जीवन रक्षक प्रयास को सफल बनाया.

इस जटिल सर्जरी के बाद मरीज और दोनों डोनर पूरी तरह से स्वस्थ्य है. सभी को 20 दिन तक गहन चिकित्सा इकाई में रखने के बाद अब अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.