दुर्दशा की शिकार गांधी वाटिका ! उदघाटन के बाद 5 महीने से पड़ी है बंद, पर्यटकों को इंतजार, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः प्रदेश में सरकार बदल गई है लेकिन अधिकारियों के काम करने का तरीक़ा नहीं बदल रहा है, JDA ने क़रीब 90 करोड़ रुपये खर्च कर के सेंट्रल पार्क में जो गांधी वाटिका बनाई थी वह 5 उदघाटन के बाद 5 महीने से बंद पड़ी है.

जिस गांधी वाटिका को लेकर JDA ने यह दावे किए थे कि यह वाटिका देशभर में गांधी से जुड़े पहलुओं को लेकर सबसे अलग और ख़ास म्यूज़ियम है वह गांधी वाटिका दुर्दशा का शिकार हो रही है, पिछली सरकार में सितंबर महीने में ही गांधी वाटिका का उदघाटन हो गया था लेकिन अभी तक इसे लोगों को दिखाने के लिए नहीं खोला गया है, 5 महीने से जयपुर के लोग गांधी वाटिका को देखने का इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह गांधी वाटिका अभी तक आम विजिटरों के लिये नहीं खोली गई है, फर्स्ट इंडिया ने जब जानकारी जुटाई तो पता लगा कि JDA इस गांधी वाटिका को शांति और अहिंसा निदेशालय को हैंड ओवर करेगा लेकिन JDA के अधिवारियों की लापरवाही का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता हैं कि अभी तक इस वाटिका को हैंड ओवर करने का प्रस्ताव ही तैयार नहीं हुआ है, अगर समय पर गांधी वाटिका आम लोगों के खोल दी जाती तो अभी तक हज़ारों की तादाद में लोग इसे देख चुके होते और जयपुर में देश विदेश से आने वाले पर्यटकों की पसंद भी यह गांधी वाटिका बन सकती थी, लेकिन अधिवारियो के लचर रवैये के कारण यह अभी तक शुरू नहीं हो पाई है.

5 महीने से बंद पड़ी गांधी वाटिका के अब रख रखाव का संकट खड़ा हो गया है, क़रीब 90 करोड़ की गांधी वाटिका फ़िलहाल कुछ गार्डों के भरोसे हैं, अगर जल्द ही इसे लोगों के लिए शुरू नहीं किया गया तो इसमें लगाई गयीं महँगी चीजों के ख़राब होने का ख़तरा भी खड़ा हो गया है, गांधी वाटिका को जब तक शांति और अहिंसा विभाग की हैंड ओवर नहीं किया जाएगा तब तक इसमें आम लोगों का प्रवेश नहीं हो सकता और फ़िलहाल इसके हैंड ओवर की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही है, अभी तक यह भी तय नहीं हो पाया है कि गांधी वाटिका में आने लोगों और पर्यटकों से क्या चार्ज लिया जाएगा,उदघाटन के समय नार्मल चार्ज ले कर लोगों को प्रवेश देने की बात सामने आई थी लेकिन इसे लेकर अभी तक कोई आख़िरी फ़ैसला नहीं हो पाया है,,सरकार बदलने के साथ ही JDA की प्राथमिकता भी बदल गई है यही कारण है कि इस प्रोजेक्ट को इसके हाल पर छोड़ दिया गया है.

तैयार हो चुके प्रोजेक्ट की दुर्दशा कैसे होती है गांधी वाटिका इसका जीता जागता उदाहरण है, देश के राष्ट्रपिता से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर अधिकारियों की लापरवाही का यह स्तर हैरान कारने वाला है.