जयपुरः फर्स्ट इंडिया की ओर से Health First Conclave & Awards 2024-Season-2 का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर मुख्य अतिथि रहे. ऐसे में उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि आज हम जो कुछ भी खा रहे हैं वो पेस्टीसाइड से तैयार हो रहे हैं. ये हम सभी के लिए चिंता की बात है,जिसके बारे में गंभीरता से सोचना होगा. हमारी सोच है कि जिस तरह से सरकारी अस्पताल विकसित हो रहे. वैसे ही निजी अस्पतालों का भी डवलपमेंट हो ताकि सेवाओं में सुधार हो. खींवसर ने IPD टावर और कार्डियक टावर का उदाहरण देते हुए कहा कि ये अपने आप में एक उदाहरण है कि सरकार हेल्थ सेक्टर में कितना काम कर रही है. लेकिन इस सब कामों में प्राइवेट पार्टनरशिप भी जरूरी है, तभी प्रदेश तरक्की करेगा.
मैं तीसरी बार मंत्री बना हूं. कई विभागों का अनुभव है लेकिन मेडिकल सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण विभाग है. विभाग में काफी चैलेंज हैं जिन्हें हम अवसर मानते हुए काम कर रहे हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि अस्पतालों में खाली पद ना रहे. इसे ध्यान में रखते हुए चिकित्सकों को पोस्टिंग करानी है. नतीजन प्रदेश के अधिकाश ट्रॉमा सेंटर और अन्य अस्पतालों में सेवाएं दुरुस्त हुई हैं. मां योजना को लेकर खींवसर ने कहा कि ये काफी महत्वपूर्ण है. जनता के लिए काफी राहत देने वाली योजना है. मैंने गालब्लेडर का निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया. कई लोगों ने पूछा कि आपको सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं है क्या ? लेकिन मेरा जवाब ये था कि मुझे मेरे सर्जन पर भरोसा है. यदि सरकारी योजनाएं मरीज को ये अधिकार दे कि वो अपने पसंद के डॉक्टर्स से इलाज ले सकें. तो इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता.
गांवों में अधिकांश महिलाओं की मौत ब्रेस्ट कैंसर सेः
70 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं. इसमें 40 फीसदी महिला हैं,जिनको लेकर हम काफी चिंतित हैं. गांवों में अधिकांश महिलाओं की मौत ब्रेस्ट कैंसर से होती है. सरकार के सीमित संसाधन हैं ऐसे में जरूरी है कि निजी प्लेयर्स को जोड़ा जाए. हमारे संसाधनों को अधिक से अधिक उपयोग लेकर PPP मोड पर काफी अच्छा काम हो सकता है. इससे महिलाओं को सुरक्षित जीवन दिया जा सकता है.
राजस्थान में करीब 8 हजार हॉस्पिटलः
कार्यक्रम में 1st इंडिया के CEO एवं मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा ने कहा कि आज के कॉन्क्लेव के पीछे एक सोच फर्स्ट इंडिया न्यूज चैनल है. हमारा काम सिर्फ न्यूज देना ही नहीं बल्कि हमारे सामाजिक सरोकार भी हैं. राजस्थान में करीब 8 हजार हॉस्पिटल हैं. सरकारी हॉस्पिटल में 47 हजार बेड हैं. वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल में 48 हजार बेड हैं. प्रदेश में 35 मेडिकल कॉलेज हैं. 75 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में मेडिकल सुविधाएं मौजूद हैं. राजस्थान में मेडिकल सेक्टर में क्रांति आने वाली है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री गजेंद्र खींवसर मिलकर काम कर रहे है. राजस्थान की छवि अब बदलने जा रही है अन्य राज्यों से लोग यहां इलाज कराने आ रहे है.
बिना सरकारी अनुदान के प्राइवेट हॉस्पिटल नहीं बढ़ सकते आगे:
राजस्थान में निजी अस्पतालों को लेकर हमें सोचना होगा. प्राइवेट हॉस्पिटल सेवा का काम है या बिजनेस है ये बड़ा सवाल है. प्राइवेट हॉस्पिटल पर लोग जल्दी से भरोसा नहीं करते जबकि सच्चाई कुछ और ही होती है. बिना सरकारी अनुदान के प्राइवेट हॉस्पिटल आगे नहीं बढ़ सकते. सरकार की जिम्मेदारी है कि अच्छी सुविधा मुहैया करवाई जाए. कई बार सरकारी योजनाओं के दुरूपयोग की ख़बर आती है. सरकारी अस्पताल और प्राइवेट अस्पताल एक दूसरे के पूरक हैं ना कि कॉम्पिटिटर.
अस्पतालों में लैब की बहुत कमी:
वर्तमान में अस्पतालों में लैब की बहुत कमी है. MRI में लंबा समय अस्पतालों में लग जाता है. लेकिन जब निजी अस्पतालों में जाते है तो चार्ज ज्यादा लगते हैं. टेली मेडिसिन सेंटर हमें ग्रामीण लेवल तक लेकर जाना चाहिए. टेली मेडिसिन सेंटर पर अच्छा इलाज मिल सकता है. ई-मित्र की तरह टेली मेडिसिन सेंटर होना चाहिए. पैथोलॉजी लेब भी टेली मेडिसिन के साथ होना चाहिए. जेनेरिक को लेकर सवाल उठते हैं कि डॉक्टर जेनरिक मेडिसिन नहीं लिखते. जबकि नियमित प्रक्रिया में जेनेरिक मेडिसिन होना चाहिए. अभी कई जगह पर ट्रॉमा सेंटर भी नहीं हैं,दूर रैफर करना पड़ता है. मेडिकल एजुकेशन के लिए बहुत बड़ा खर्चा होता है. सरकार को ऐसी स्कीम या स्कॉलरशिप लानी चाहिए.
कार्यक्रम में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर मुख्य अतिथि रहे. चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अंबरीश कुमार भी मौजूद रहे. स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी की CEO प्रियंका गोस्वामी भी मौजूद रहे. RUHS के वाइस चांसलर डॉ. धनंजय अग्रवाल और MGUMST चेयरपर्सन डॉ. एम.एल. स्वर्णकार मौजूद रहे.