जोधपुरः जोधपुर के लिए इससे बडी गौरव की बात ओर नही हो सकती कि कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर की ओर से विकसित किस्म 'जोधपुर राजगीरा -2' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 'राष्ट्र को समर्पित फसलों की किस्म' में शामिल किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल रविवार के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर से चयनित उच्च पोषण युक्त विभिन्न खाद्य फसलों की 109 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित करेंगे जिसमें जोधपुर की राजगीरा-2 भी शामिल है.
जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी रहा है. उसी का नतीजा है कि कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित राजगीरा की किस्म को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. कल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर से चयनित उच्च पोषण युक्त विभिन्न खाद्य फसलों की 109 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित करेंगे, जिनमें से कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर की ओर से विकसित किस्म , जोधपुर राजगीरा -2 को भी शामिल किया है. आम भाषा में इसे रामदाना भी कहते हैं, वही उतरी भारत में इसे चौलाई शाक के रूप में प्रचुरता से खाया जाता है. अनाज के रूप में इसे राजगीरा के नाम से जाना जाता है. कुषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर की ओर से विकसित किस्म 'जोधपुर राजगीरा -2' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 'राष्ट्र को समर्पित फसलों की किस्म' में शामिल किया गया है. सुपर फूड की उच्च पोषण युक्त किस्मों को विकसित करने में विश्वविद्यालय का अभूतपूर्व योगदान रहा है, साथ ही किसानों के लिए भी बेहद फायदेमंद है. कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के परियोजना अधिकारी एवं सह आचार्य डॉ मिथिलेश कुमार ने बताया कि 2 अगस्त 2024 को 'सेंट्रल सब कमिटी आन क्रॉप स्टैंडर्ड नोटिफिकेशन एंड वैरायटी रिलीज फॉर एग्रीकल्चर क्रॉप्स' की 92 वीं मीटिंग, नई दिल्ली में आयोजित हुई. जिस में जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय की जोधपुर राजगीरा -1 एवं जोधपुर राजगीरा- 2 किस्मों को विमोचित किया गया था. जिसमें से जोधपुर राजगीरा-2 को 'राष्ट्र को समर्पित किस्मों ' में शामिल किया गया.
गौरतलब है कि इससे पूर्व भी विश्वविद्यालय की ओर से विकसित राजगीरा की किस्में आर एम ए 4 व आर एम ए 7 चिह्नित की गई थी. जोधपुर राजगिरा- 2 को सपूर्ण राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में चिन्हित किया गया है. इस किस्म की औसत उपज 13 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. प्रोटीन की मात्रा 12.7 प्रतिशत, तेल 8.33 प्रतिशत व लायसिन 4.72% है. इस किस्म को उपयोग में लेने से कुपोषण में कमी के साथ ये किसानों की आय बढ़ाने में भी बहुत लाभदायक है.