KeyNote by Pawan Arora: दो देशों के बीच फ्लैग मीटिंग, क्या होता है एजेंडा ? BSF IG एम.एल. गर्ग का SUPER EXCLUSIVE इंटरव्यू

जयपुर: 1st इंडिया न्यूज CEO एवं मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा ने BSF IG राजस्थान फ्रंटियर एम.एल. गर्ग का SUPER EXCLUSIVE इंटरव्यू लिया. इस दौरान पवन अरोड़ा के द्वारा पूछे गए पेट्रोलिंग, BSF की यात्रा में चुनौतियों, सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर क्रीक क्रोकोडाइल कमांडो से जुड़े सीधे और सटीक सवालों के एम.एल. गर्ग ने जबाव दिए. 

1. सवाल- इस फिज़ा में हम बैठे हैं, लोग उसकी कल्पना भी नहीं कर पाते हैं, कैसे भारत-पाकिस्तान सीमा होगी ? कैसे वायर फेंसिंग दिख रही है ? कैसे हमारे जवान यहां दिन-रात पेट्रोलिंग कर रहे हैं ? कोई भी मौसम हो, सर्दी, गर्मी बरसात का भी ध्यान नहीं रखते, और ऐसे में 60 वर्ष, 60 गौरवशाली वर्ष BSF पूरे कर रहा है, तो इस मौके को कितना खास तरह से BSF मना रहा है ? क्या-क्या कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं ?

जवाब- BSF ने 59 साल पूरे कर लिए हैं और 60वां साल आज से शुरु हो रहा है, 60 साल की BSF की यात्रा बहुत चुनौतियों के साथ रही, यहां हमने सब कुछ LIVE सीखा है, भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर को BSF गार्ड करती है, ये दोनों सेंसेटिव बॉर्डर हैं, BSF पर भारत सरकार का पूरा भरोसा है, इसकी वजह से BSF सभी टास्क को पूरा कर रही है. BSF का ध्येय वाक्य जो आपने बताया कि जीवन पर्यन्त कर्तव्य है. इसके अलावा AnyTask, Any Time और Any where ये सोच भी रहती है और यही हम करते हैं, इसके अलावा जो मूल सोच है, वो 'जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी', यानि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी ऊपर है, स्वर्ग से भी बड़ी है, यही BSF की मूल सोच है. हम 24 घंटे काम कर रहे हैं, जो पूरी जिम्मेदारी के साथ कर रहे हैं

2. सवाल- मैं BSF के काम से काफी वाकिफ रहा हूं, मुझे ऐसा लगता है कि ये एक ऐसा संगठन है, या एक ऐसी फोर्स है, जो शांति के समय भी काम करती है और युद्ध के वक्त भी काम करती है. आर्मी केवल युद्ध के वक्त काम करती है, ऐसे में लोग वर्दी देखते हैं तो लगता है सारे फौजी है, तो आपको क्या लगता है कि आर्मी और BSF की वर्किंग में क्या अंतर है ?

जवाब- आर्मी और BSF की वर्किंग में जमीन आसमान का अंतर है, इंडियन आर्मी वर्ल्ड की बेस्ट आर्मी है, उनका काम देश की रक्षा करना है, जरूरत के वक्त युद्ध करना है, युद्ध के वक्त उनका रोल आता है, BSF का रोल काफी अलग है, हमें 24 घंटे बॉर्डर पर रहना पड़ता है, यहां पर छुट्टी का कोई भी कॉन्सेप्ट नहीं है, ये जो ड्यूटी का पार्ट है, इसमें आप मेजर पॉर्शन बॉर्डर पर ही बिताते हैं, हालात सभी जगह चैलेंजिंग हैं, मूलभूत सुविधाओं को लेकर भी काफी परेशानी होती है, अभी इसमें सरकार का काफी सहयोग रहा है, उनकी वजह से आज ही हमने 17 पीओपीज को पानी पहुंचाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है. यहां मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है, भारत सरकार ने 109 BSNL के 4G टावर्स दिए हैं, जिससे पूरा राजस्थान कवर होगा. 
 
3. सवाल- आपकी कंट्रोलिंग मिनिस्ट्री है वो भी अलग है, आर्मी तो डिफेंस मिनिस्ट्री के अंडर है, आप लोग गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं, गृह मंत्रालय में होने के नाते आप बॉर्डर पर तो सुरक्षा करते ही हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इलेक्शन हो, प्राकृतिक आपदा हो, कोई लॉ एंड ऑर्डर का इश्यू हो, तब भी आपको कॉल किया जाता है, तो दोनों मिनिस्ट्री में फर्क होने से कॉर्डिनेशन कैसे बैठता है ? 

जवाब- चूंकि BSF के दोनों रोल हैं, वॉर टाइम में आर्मी के साथ मिलकर लड़ने का भी रोल है, तो वहीं स्पीच टाइम में हमें बॉर्डर की सुरक्षा करना है, इसके साथ ही दूसरी कोई ड्यूटी होती है,चाहे आतंकवाद हो, या नक्सलवाद हो, इसके लिए गृह मंत्रालय हमें गाइड करता है. हम गृह मंत्रालय के निर्देश पर काम करते हैं
बाकी दूसरी मिनिस्ट्रीज के कॉर्डिनेशन में लगता नहीं है कि कोई इश्यू आता है. 

4. सवाल- आप लोग सीमा के अंदर रहते हैं और जब युद्ध होता है, तो आप भी पड़ोसी देश की सीमाओं में घुस जाते हैं या फिर वो काम आर्मी का है ?

जवाब- एम.एल. गर्ग ने कहा कि दोनों ही हैं, हम लोग भी अंदर घुसते हैं आर्मी के साथ में, जिन इलाकों में आर्मी कब्जा करती है, उन इलाकों पर एडमिनिस्ट्रेशन स्थापित करना, जो वॉर होंगे उनको हैंडल करना सप्लाई लाइंस को खुला रखना वो सब काम हम करते हैं

5. सवाल- इनिशियल सर्जिकल स्ट्राइक में आप लोग नहीं जाते हैं, जैसे एक फेमस सर्जिकल स्ट्राइक है, तो क्या उसमें सिर्फ आर्मी जाती है ?

जवाब- हां वो निश्चित रूप से उसमें आर्मी जाती है

6. सवाल- मैं देख रहा हूं पीछे जवान लगातार पेट्रोलिंग में हैं, ये तो बहुत कठिन काम है, इतने आइसोलेशन में ये काम कर रहे हैं, जैसे मोबाइल कम्युनिकेशन PROPER नहीं है, BSNL के अब टावर लग रहे हैं, पानी PROPER नहीं है, सर्दी में रात बहुत ठंडी होती है, गर्मियों में तापमान 50 डिग्री से ऊपर निकल जाता है, रात में जानवरों का डर रहता है, बारिश के चलते डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां फैलती हैं, तो इतनी कठिन परिस्थितियों में जवानों का मनोबल कैसे बना रहता है ? इनकी ट्रेनिंग कैसे होती है, आप क्या प्रेरणा देते हैं, जिससे ये लोग इतनी लगन से जुटे रहते हैं ? 

जवाब- ये काफी अच्छा प्रश्न आपने किया है, मैंने पहली बार इस एंगल से सोचा है, इसके पीछे तीन मुख्य वजहें हैं, पहली तो ये कि हमारी ट्रेनिंग ही ऐसी होती है, एम.एल. गर्ग ने कहा कि बॉर्डर को हमें किस तरह से गार्ड करना है ? ये ट्रेनिंग का हिस्सा है. हमें पता है कि हमें 365 दिन यहीं रहना है और इसी वातावरण में रहना है. जंगली जानवर आते हैं, लेकिन इससे हमें कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. हम तो सांप को भी नहीं मारते, हमारे पास Antivenom होता है. यहां तक की गांव वालों का भी ट्रीटमेंट हम करते हैं, तो पहली वजह तो रही ट्रेनिंग, हमारे मोटिवेशन की दूसरी वजह है, हमारा 'वर्किंग एट मोस्ट फेयर' और उसमें सरकार का सहयोग है, जैसे एक जवान को ये पता है कि मेरे पीछे मेरे परिवार को देखने वाले लोग हैं, ऐसे ही सरकार की बहुत सारी स्कीम्स हैं, मेडिकल ट्रीटमेंट हो गया, बच्चों की शिक्षा है, उनके आवास को लेकर हो गया, तो भारत सरकार इसको लेकर बहुत गंभीर है. वो इस पर इम्प्लीमेंट करती है, इसलिए एक जवान के दिमाग के एक कॉन्फिडेंस रहता है. मेरे पीछे एक बहुत मजबूत देश खड़ा है, मजबूत सरकार खड़ी है, मजबूत फोर्स खड़ी है. ये हमारा सबसे बड़ा मोटिवेशनल फैक्टर है और तीसरा सबसे अहम और मजबूत पार्ट ये है. कि आपके दिमाग में बैठ जाता है कि ये मेरी मातृभूमि है, और इसकी मुझे रक्षा करनी है. 

7. सवाल- अभी आपने प्रशिक्षण की बात कही, तो आपको आर्म अमुनेशन दिया जाता है, वो आर्मी का अलग होता है और आपका अलग होता है, आप लोग तोप, टैंकर जैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करते शायद ?

जवाब- आर्मी के पास तो काफी एडवांस सिस्टम है, लेकिन जितनी हमको जरूरत है, 5 से 25 किलोमीटर तक रिक्वायरमेंट हमारे पास है, उतने हथियार, उस तरह की गनें हैं एम.एल. गर्ग ने कहा कि वो सब असलहा हमारे पास है, सब कुछ है. 

8. सवाल- जैसे आर्मी में एक नेवी होती है, एयरफोर्स होता है, एक इन्फेंट्री होती है, अपने यहां भी उसी तरह से तीन अलग-अलग विंग काम करती हैं या एक ही तरह का है ?

जवाब- हमारे यहां पर आर्मी जैसा एयरफोर्स सिस्टम नहीं होता है, लेकिन हमारे पास सब कुछ है, हमारे पास यहां पर हमारा एयर विंग है, जिसमें हेलिकॉप्टर हैं, हवाई जहाज हैं, जिसको गृह मंत्रालय कंट्रोल करता है, हम ऑपरेशनल रिक्वायरमेंट के हिसाब से उसका इस्तेमाल करते हैं, हमारे पास एक काफी बड़ा वॉटर विंग है, BSF एक ऐसी फोर्स है, जो पानी वाले बॉर्डर्स हैं, उसको भी कंट्रोल करती है. 

9. सवाल- ये क्रीक क्रोकोडाइल कमांडो क्या होता है ?

जवाब- एक क्रीक एरिया है जो गुजरात के आस-पास पड़ता है, इसमें हमने दस्ते बनाए थे, उसको हमने क्रोकोडाइल कमांडो कहा, वो बड़ा ही मुश्किल काम है. उसके अंदर कमांडोज को पानी में ऑपरेट करना पड़ता है. वहां पर हमारे कमांडोज के दस्ते ने काफी जबरदस्त काम किया है. उस वाटर विंग के जरिए जलीय सीमा को कंट्रोल करते हैं. इसमें समुद्र, नदियों और क्रीक्स के लिए हमारे पास वाटर विंग हैं. बाकी तो हमारे पास काफी चीजें हैं जैसे हमारे पास BSF यूनिक है. एक NDTC है, नेशनल डॉग ट्रेनिंग सेंटर ग्वालियर में है, सभी फोर्सेज के डॉग्स की ट्रेनिंग हम ही कराते हैं. इसके टियर स्मोक यूनिट भी है, BSF एक तरह का काफी वर्सेटाइल फोर्स है. एम.एल. गर्ग ने कहा कि कुल मिलाकर 'NOTHING WHICH IS IMPOSSIBLE FOR BSF'

10. सवाल- हम देखते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ भी आप कार्रवाई करते हैं, जो बॉर्डर पर घुसपैठ होती है, वो भी आप देखते हैं या कोई नशा आ रहा है, अवैध व्यापार हो रहा है, तो और किस तरह के चैलेंज रोजाना BSF को फेस करने पड़ते हैं ?

जवाब- BSF IG एम.एल. गर्ग ने कहा कि हमारा मुख्य चैलेंज यही है कि जो बॉर्डर पार क्राइम्स हो रहा है. जैसे ड्रग स्मगलिंग, हालांकि मानव तस्करी वेस्टर्न बॉर्डर्स पर नहीं है, ईस्टर्न बॉर्डर्स पर है, BSF बहुत अच्छे तरीके से इनको डील कर रही है. इनको पकड़कर रिहैबिलिटेशन सिस्टम में डालते हैं, उनको भी हमने डवलप किया है. हमारे पास प्रॉपर सिस्टम है, समस्याओं को ANTICIPATE करना हमारी वर्किंग स्टाइल का हिस्सा है. जैसे हमने एंट्री ड्रोन सिस्टम पर बहुत पहले कार्रवाई की थी. जब पंजाब और गंगानगर में ड्रोन से जो काम हो रहे हैं उसके लिए हम पहले से तैयार थे. 

11. सवाल- BSF को 60 साल होने वाले हैं, तो BSF का आपको ग्लोरियस मूवमेंट याद है, जो इन बीते सालों में हुआ हो, इस मौके पर आप बताना चाहेंगे ?

जवाब- एम.एल. गर्ग ने कहा कि ये आपने बहुत अच्छी बात कही, 1971 की वॉर में इंडिया-पाकिस्तान की लड़ाई में वेस्टर्न थियेटर गुजरात में नगरपारकर पाकिस्तान का बॉर्डर पर पड़ता है. वहां BSF की तीन बटालियन अंदर घुसी और आर्मी ने पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया, वहां पर गुजरात सरकार ने कानून-व्यवस्था कायम करने के लिए SP लगाए, पहले SP घूमते थे, जो बाद में DG से रिटायर्ड हुए, उन्होंने पहला SP ऑफिस सेट किया. वहीं एक IAS ऑफिसर ने वहां पर DM ऑफिस स्टेबलिश किया. इस पर गुजरात सरकार ने बहुत तेजी से काम किया, कानून-व्यवस्था को लागू किया, बाद में शिमला एग्रीमेंट हुआ तो उसमें वो इलाका उनको लौटा दिया. ये BSF ने इंडिपेंडेंट इलाके पर कब्जा किया, ये बहुत बड़ी बात है. 

12. सवाल- जिस तरह से आर्मी में शौर्य चक्र मिलता है, वॉर टाइम में परमवीर चक्र है, महावीर चक्र है, पीस टाइम में अशोक चक्र, शौर्य चक्र मिलता है, तो आर्मी के साथ-साथ BSF में भी गैलेंट्री अवॉर्ड्स मिलते हैं या इसमें कुछ अलग है ?

जवाब- नहीं मिलते हैं, गैलेंट्री अवॉर्ड्स भी मिलते हैं और जवानों को आर्मी के मेडल्स हैं वो भी मिलते हैं, जब हम आर्मी के साथ ऑपरेट करते हैं तो आर्मी खुद ही रिकमंड करती है, आर्मी का इस मामले में बहुत अच्छा सिस्टम है, वो रियल बिग बद्रर हैं. 

13. सवाल- ये नफरी की जो बात है, उसमें BSF और आर्मी की नफरी में कितना अंतर होगा ?

जवाब- नंबर्स में तो काफी बड़ा फर्क है, BSF तो इस्टर्न, वेस्टर्न्स को ही गार्ड करती है, करीब साढ़े 6 हजार किलोमीटर बॉर्डर को हम लोग गार्ड करते हैं, करीब 147 किलोमीटर की लाइन ऑफ कंट्रोल है और जो आर्मी के साथ ज्वॉइंट करते हैं, वो भी करीब 300 किलोमीटर प्लस है, कुल मिलाकर पौने तीन लाख के आस-पास BSF की नफरी होगी. आर्मी के बारे में कुछ ज्यादा नहीं बता सकता, क्योंकि आर्मी बहुत बड़ी है. हमारे पास सिर्फ दो बॉर्ड्स हैं, पाकिस्तान और बांग्लादेश, उसको डील करना होता है तो उसके लिए काफी है. 

14. सवाल- एक ये भी है कि आर्मी के जो रेजिमेंट्स हैं वो काफी पुराने हैं, तो उनके यहां काफी वेलफेयर एसोसिएशन भी बनी रहती हैं, तो उसके हिसाब BSF देखा जाए तो नई फोर्स है, 59 साल हुए हैं, तो इनके जवानों के लिए भी वेलफेयर स्कीम्स चलती हैं क्या ?

जवाब- आर्मी बेशक काफी पुराना है, लेकिन मैंने आपको बताया कि BSF के प्रति भारत सरकार बहुत गंभीर है. भारत सरकार का इस पर फोकस है, इसी वजह से हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर डवलमेंट हुआ है, बाकि मूलभूत सुविधाएं भी हैं, इसको लेकर गृहमंत्री जी भी काफी सीरियस हैं, वो हमेशा इस पर भरोसा करते हैं कि ग्राउंड पर चीजें एक्जिक्यूट हो जाएं. 

15. सवाल- हमने भी देखा है कि खुद अमित शाह भी बीओपीस पर जाते हैं, सुना है कि इस साल दिसंबर में वो यहां आने वाले भी हैं ?

जवाब- ये उनका लगाव है, ये लगाव उनका अंदर से महसूस होता है, उन तक कोई बात पहुंच गई तो मान लिजिए वो इसे करेंगे. वहीं पीएम मोदी जी के बारे में ये है, जब गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में थे, तो वो हमेशा दीपावली बॉर्डर पर मनाते थे, तो उनको जवानों ने बोला कि हमारे पास पानी नहीं है. इसके बाद उन्होंने तुरंत स्कीम को अप्रूव्ड किया और 30 किलोमीटर की पानी की लाइन डाली गई. वो पानी अभी भी चल रहा है, पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों की इसको लेकर एम्पेथी हैं. ये हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हैं, ये बहुत बड़ी फीलिंग है. 

16. सवाल- मैं कुछ वक्त पहले वाघा बॉर्डर पर गया था तो वहां जो रिट्रीट सेरेमनी होती है, वो एक पर्यटन का केंद्र नहीं है वो राष्ट्र भक्ति का केंद्र है, वहां हजारों लोग आते हैं राष्ट्रगान गाते हैं. भारत माता की जय बोलते हैं, वो काफी दूर है, तो राजस्थान और गुजरात के लोगों के लिए ऐसा राजस्थान में भी कुछ कर सकते हैं ?

जवाब- इस पर भी गवर्मेंट का काफी फोकस है, इस क्रम में गुजरात में एक अहम प्रोजेक्ट चल रहा है नाड़ावेट में ऐसी व्यवस्था वहां चालू की है, इसमें पाकिस्तान अभी इसका हिस्सा नहीं है. राजस्थान में तनोट माता में इस प्रोजेक्ट को लेकर बात चल रही है, उसमें भारत सरकार की तरफ से काफी पैसा भी मिला है, खुद सरकार भी इसमें रूचि दिखा रही है. इसके कई फायदे हैं, इससे लोगों में राष्ट्रभक्ति पैदा होती है, साथ लोकल लोगों को एंप्लॉयमेंट मिलता है. बॉर्डर टूरिज्म डवलप होता है, जो गुजरात में प्रोजेक्ट चल रहा है उससे कई लोगों को एंप्लॉयमेंट मिला है. 
 
17. सवाल- आपने तनोट माता जिक्र किया, तो हमने ये भी सुना है, कि 1971 के युद्ध में कुछ बम वहां आकर गिरे थे, जो फटे नहीं, लोकल मान्यता है. माता की कृपा से वो बम नहीं फटे, तो आज भी मिलते हैं वहां पर जिंदा मिलते हैं ?

जवाब- जीवित बम वहां पर मिले हैं, जो बम अंदर गिरे थे वो नहीं फटे, जो बाहर गिरे वो फटे थे, वो बम आज भी BSF वालों ने अंदर लगा रखे हैं. आप उन्हे देख सकते हैं, और जो बम बाहर फटे थे, उससे ना आर्मी और BSF को कोई नुकसान नहीं हुआ, माता की कृपा तो है ही और पड़ोसी भी इस बात को मानते हैं, वहां पर कुछ तो शक्ति थी कि वहां बम गिरे भी और नहीं फटे, बम टारगेट पर गिरे थे. 

18. सवाल- अभी यहां ऊंटों पर पेट्रोलिंग हो रही है, अब तो काफी आधुनिक वाहन आ चुके हैं, फिर भी ऊंटों की उपयोगिता बनी हुई है, तो ये एक परंपरा है, या फिर कोई कारण है, किस लिए इनको कंटीन्यू किए हुए हैं ?

जवाब- एम.एल. गर्ग ने कहा कि अभी हमारे पास फोर बाय फोर गाड़ियां हैं, ATV All-terrain vehicle भी हैं, लेकिन कुछ इस तरह के मूवमेंट्स भी हैं, जहां सिर्फ ऊंट ही पेट्रोलिंग कर सकते हैं, कैमल्स को BSF ने बचाके रखा है, ये भी एक अचीवमेंट है, ये यूजफुल जानवर हैं और रेगिस्तान में इससे बेहतर कोई और वाहन नहीं हो सकता. 

19. सवाल- इनके रखरखाव के लिए इनबिल्ट सिस्टम है या बाहर से है ?

जवाब- नहीं सब इनबिल्ट है, हमारे राइडर्स अपने हैं सब कुछ हम अपने आप से करते हैं

20. सवाल- आपने ऊंट की उपयोगिता की बात की तो क्यों ना ऊंट पर बैठकर कुछ बातचीत की जाए, तो आपका कैसे मन बना BSF ज्वॉइन करने का ?

जवाब- एम.एल. गर्ग ने कहा कि मैंने शुरू से ही चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल पढ़ाई की. इसकी वजह से फोर्सेस के प्रति लगाव रहा और जब मौका मिला. तो मुझे लगा कि BSF में काम करना चाहिए, इसमें काम करने का अलग अनुभव होगा. और वो अनुभव मुझे मिला, BSF की सर्विस यूनिक है. इतनी जगहों पर हमने काम किया, तो ये अपने आप में काफी शानदार अनुभव है. 

21. सवाल- काफी लंबी नौकरी है, 36 साल हो गए हैं, तो आपकी सबसे यादगार पोस्टिंग कौन सी रही और उसमें क्या खास उपलब्धि आपको मिली ? क्या खास काम किया, जिसका आपको आज भी सेटिस्फेक्शन रहता है ?

जवाब- मेरी जो कश्मीर की पोस्टिंग थी, 90 के दशक में उस वक्त आतंकवाद चरम पर था, उस वक्त हमनें कई लोगों को आतंकवाद के चंगुल से छुड़ाया, वो एक अलग अनुभव था और उसमें काफी संतुष्टि मिली कि आपने लोगों को आतंकवाद से बाहर निकाला. इसके अलावा आम पब्लिक की, जो हम हेल्प कर पाए. शांति व्यवस्था बनाने में जो रोल अदा किया वो काफी संतुष्टि देती है. वैसे तो हम जहां भी रहे, तो काफी काम किए, काउंट करने जाएंगे तो शायद एंड नंबर्स ऑफ अचीवमेंट्स है. मैं युवाओं को भी यही बोलता हूं कि आपको एडवेंचर्स देखने हैं तो आप BSF में आ जाएं. 

22. सवाल- जब आप कश्मीर में पोस्टेड थे, तो कैसे आप आतंकी गतिवधियों को टेकल करते थे ?

जवाब- उस वक्त तो काफी चुनौतियां थीं, उस वक्त तो सीधा फोर्सेस पर हमला होता था. घात लगाकर हमला करते थे, कभी IED लगा देना, लैंड माइंस लगा देना, काफी चुनौतियां थीं. सिविलेंस की किलिंग बहुत होती थी, उन सबको काबू करने में BSF का काफी अहम रोल रहा. 

23. सवाल- आप खुद भी आर्म्स एम्युनेशन परफेक्ट हैं, प्रैक्टिस की हुई है आपने ?

जवाब- BSF IG एम.एल. गर्ग ने कहा कि हर BSF वाला परफेक्ट है

24. सवाल- सबसे फेवरेट वेपन कौन सा है आपका ?

जवाब- मेरा सबसे फेवरेट वेपन है AK-47, उसके बाद काफी हथियार हैं. X-95, इस तरह के काफी हथियार हैं जो उससे काफी बेस्ट हैं. 

25. सवाल- मैं देख रहा हूं कि आप की फिटनेस भी काफी लाजवाब है, तो ऐसे में आप युवाओं को फिटनेस मंत्र क्या देना चाहेंगे ?

जवाब- अगर आप फिजिकल फिटनेस को मेंटेन करते हैं तो उसके लिए आपको रेगुलर एक्सरसाइज करनी है, रेगुलर वॉक करनी है, कोई भी गेम खेलें, इसके साथ ही पॉजिटिव थिंक. 

26. सवाल- ये जो दो देशों के बीच फ्लैग मीटिंग होती है, तो इसका एजेंडा क्या होता है ? इसे करने का निर्णय कौन लेता है ?

जवाब- फ्लैग मीटिंग दो तरह से होती है, एक तो कंपनी कमांडर के लेवल पर होती है, छोटे-छोटे इश्यू को लेकर तो कंपनी कमांडर के लेवल पर होती है, जिसका निर्णय लोक बटालियन के जो कमांडेंट होते हैं, वो करते हैं, उसके अलावा गोली चलने, कैजुअल्टी जैसी कोई सीरियस घटना हो गई, तो फिर कमांडेंट के लेवल पर मीटिंग होती है, इसका डिसीजन DIG लेते हैं और DIG के लेवल पर मीटिंग होनी है तो वो निर्णय IG लेते हैं. फ्रंटियर से बाहर कोई मीटिंग होती है तो उसका डिसीजन सरकारी लेवल पर होता है. 

27. सवाल- एक सवाल है कि कहां तो हम पड़ोसी देशों को लेकर हर वक्त बंदूक लेकर तैयार रहते हैं, दूसरी तरफ फ्लैग मीटिंग या त्योहारों में हम उनको मिठाई खिलाते हैं, ये सब चीजें कैसे मैनेज करते हैं ? 

जवाब- ऐसा है कि BSF एक प्रोफेशनल फोर्स है, और इसके साथ हम समझौता नहीं करते हैं, अगर हमको गोली चलानी है, तो हम गोली चलाएंगे और ये भी नहीं है कि हम उसको बचाने की कोशिश करेंगे. हमारा मकसद है, उसको मारना, लेकिन BSF में मानवीयता की भी कोई कमी नहीं है, तो जब कोई त्योहार होता है, तो वो भी हम से मिलते हैं, उनकी भी फोर्स है, हमारी भी फोर्स है. हम अपने-अपने देश की रक्षा करते हैं, ये हमारा नैतिक और प्रोफेशन दायित्व है. एम.एल. गर्ग ने कहा कि ऐसे त्योहारों में हम एक-दूसरे को शुभकामनाएं भी देते हैं. 

28. सवाल- जैसे हमारे एक्टिव बॉर्डर्स हैं, अगर उसमें कोई घुसपैठ होती है, या अवैध मूवमेंट होती है तो क्या इसी लोकल लेवल पर इजाजत होती है कि आप उसे गोली मार दें ?

जवाब- BSF IG एम.एल. गर्ग ने कहा कि तुरंत होता है, उस वक्त जो जवान ड्यूटी पर हैं. उसका पहला काम ये होता है कि कोई अगर उसके किलिंग एरिया में आएगा, तो वो उसे तुरंत गोली मार सकता है, इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं है. 

29. सवाल- पंजाब, कश्मीर में आतंकवाद के सफाए में भी BSF की प्रमुख भूमिका रही है, इसे आप कैसे देखते हैं ?

जवाब- कश्मीर के आतंकवाद को साफ करने में BSF की काफी अहम भूमिका रही है, अगर आप देखें कि BSF ने करीब 8 हजार से ज्यादा आतंकवादियों को बुक किया है और करीब 15 हजार से ज्यादा हथियार हमने जब्त किए हैं, तो कई अहम ऑपरेशन्स में BSF की अहम भूमिका है. कानून-व्यवस्था को बहाल करने में BSF का अहम रोल रहा है. पुरानी गवर्मेंट के डिसीजन के चलते जो गड़बड़ हुई उसे इस सरकार ने सुधारा है. आर्टिकल 370 को हटाया, डवलपमेट किया. मैं खुद जब कश्मीर गया तो यकीन नहीं हुआ कि ये वहीं कश्मीर है जो 1990 में था. अब वहां पर अमन-चैन है, लोगों के पास पैसा, खुशी आई है. रात 12 बजे तक लोग पार्टी कर रहे हैं, जिसकी 90 के दशक में हम कल्पना नहीं कर सकते थे. उस वक्त BSF ने 700 से ज्यादा कुर्बानियां भी दीं, 3 हजार से ज्यादा लोग गंभीर घायल भी हुए. BSF आतंकवाद के साथ नक्सलवाद को डील करने में काफी अनुभवी फोर्स है, नक्सलवाद के सबसे बड़े ऑपरेशन में करीब 29 नक्सलियों को एक साथ मार गिराया. वो BSF का ही ऑपरेशन था, BSF एक फाइटिंग फोर्स है, हर हालात में BSF सक्षम है. 

30. सवाल- BSF में नई भर्ती हो उसके लिए BSF कोई प्रयास कर रहा है, इस बारे में आप क्या युवाओं को संदेश देना चाहेंगे ?

जवाब- यही संदेश देना चाहेंगे कि आप BSF की लाइफ अडोप्ट करिये, आपको जिंदगी भर एडवेंचर्स का मौका मिलेगा, साथ ही ऐसी जगहें देखने का मौका मिलेगा. जो आप कभी देख नहीं सकते, इसके साथ ही भारत सरकार आपको पैसा भी दे रही.