VIDEO: बजरी के विकल्प M-Sand पर फोकस! 8 मिलियन टन से बढ़ाया जाएगा एम-सेण्ड उत्पादन, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : प्रदेश में बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड की उपलब्धता बढ़़ाने के लिए 8 मिलियन टन सालाना उत्पादन को प्रतिवर्ष 20 प्रतिशत बढाते हुए 2028-29 तक 30 मिलियन टन तक ले जाने का लक्ष्य रख कर विभाग आगे बढ़ रहा है. प्रदेश में हाल ही समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में पहलीबार एम-सेण्ड यूनिट की स्थापना के लिए 24 प्लॉटों की सफल नीलामी की गई है. 

खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने जिला कलक्टरों को पत्र लिखकर एम-सेण्ड के उत्पादन के लिए कच्चे माल की उपलब्धता और एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना के लिए कार्ययोजना तैयार करवाने को कहा है. प्रमुख सचिव रविकान्त ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 4 दिसंबर, 24 को नई एम-सेण्ड नीति जारी कर बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड को बढ़ावा देने पर जोर दिया. श्री भजनलाल शर्मा जो खान मंत्री भी है ने पिछले दिनों खान विभाग की समीक्षा बैठक में भी एम-सेण्ड को बढ़ावा देने की आवश्यकता प्रतिपादित की है. टी. रविकान्त ने बताया कि नई नीति में एम-सेण्ड इकाइयों को उद्योग का दर्जा देने के साथ ही राजस्थान निवेष प्रोत्साहन योजना में विशेष रियायतें दी गई है. 

नई एम-सेण्ड नीति में आम नागरिकों को बजरी के विकल्प के रुप में सस्ती एवं सहज उपलब्धता, नदियों से बजरी की आपूर्ति पर निर्भरता कम करते हुए पारिस्थितिकीय तंत्र में सुधार, खनन क्षेत्र के आवरबर्डन का बेहतर उपयोग, भवनों और कंक्रिट ढांचे के मलबे को रिसाईकलिंग के साथ ही एम-सेण्ड उद्योग को बढ़ावा व रोजगार के अवसर विकसित करना है. नई नीति में एम-सेण्ड इकाई की स्थापना की पात्रता में रियायत देते हुए 3 साल के अनुभव व 3 करोड़ के टर्न ऑवर की बाध्यता समाप्त कर दी गई है. वहीं कई तरह की रियायतें भी दी है. जिला कलक्टरों को वेस्ट डम्प्स से परमिट जारी करने हेतु कार्रवाई कराने और मेसेनरी स्टोन के साथ ही एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना के लिए प्लॉट तैयार कर नीलामी करवाने को कहा है. 

उन्होंने एम-सेण्ड के उपयोग के लिए आमजन को प्रेरित करने और सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा निर्माण कार्यों में 50 प्रतिशत तक एम-सेण्ड का उपयोग सुनिश्चित कराने को कहा है. उन्होंने निर्माण कार्य में लगी संस्थाओं व विभागों से भी कहा है कि राज्य सरकार की नीति के अनुसार 25 प्रतिशत तक एम-सेण्ड का उपयोग किया जाए जिसे अब बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक की घोषणा की गई है. इससे नई यूनिट की स्थापना, निवेश, रोजगार, राज्य में खनिज खनन से लगे ऑवरबर्डन का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा. इसके साथ ही एम-सेण्ड की उपलब्धता से बजरी की मांग में भी कमी आयेगी.

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