जयपुर: सवाई मानसिंह अस्पताल परिसर में निर्माणाधीन आईपीडी टावर प्रोजेक्ट के भविष्य को अब फाइनल फैसला किया जाएगा. प्रोजेक्ट का भविष्य तय करने के लिए प्रोजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की बैठक होगी.
देश के सबसे ऊंचे मेडिकल टावर के तौर पर पिछली कांग्रेस सरकार के समय यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. देश भर के नामी चिकित्सकों की मौजूदगी में 5 अप्रेल 2022 को इसका शिलान्यास किया था. आपको सबसे पहले इस प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी देते हैं.
-आईपीडी टावर प्रोजेक्ट का जब शिलान्यास किया गया था तब इसकी मूल लागत 456 करोड़ रुपए थी.
-इस प्रोजेक्ट में दो बेसमेंट,ग्राऊंड फ्लोर और ऊपरी 24 मंजिलें प्रस्तावित थी.
-इसमें बाद में शामिल हुई तीन सर्विस फ्लोर हटा दें तो मूलत: यह प्रोजेक्ट 24 मंजिला ही है.
-इस आईपीडी टावर में 1243 बेड, 20 ऑपरेशन थिएटर, 4 कैथ लैब, 100 ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर.
-और विश्व स्तरीय मोर्चरी की सुविधा प्रस्तावित थी.
-आपात स्थिति के लिए टावर के छत पर हेलीपैड भी बनाया जाना था.
-प्रोजेक्ट का काम पूरा करने की तिथि नवंबर 2024 है.
-बाद में प्रोजेक्ट की डिजाइन में कई बदलाव करते हुए तीन सर्विस फ्लोर भी डिजाइन में जोड़े गए.
-इसके चलते पिछली कांग्रेस सरकार में ही मूल लागत के तौर पर 60 करोड़ रुपए और अतिरिक्त स्वीकृत किए गए.
-इसके बाद प्रदेश में आई भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट की समीक्षा का फैसला किया.
-मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में हुई नगरीय विकास विभाग की समीक्षा बैठक में भी इस बारे में चर्चा हुई.
-बाद में प्रमुख सचिव टी रविकांत ने प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया.
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की अब तक कुल लागत करीब 516 करोड़ रुपए है. लेकिन इस प्रोजेक्ट की मूल डिजाइन के मुताबिक पूरा 24 मंजिला टावर बनाने के लिए 100 करोड़ रुपए की ओर दरकार है. साथ ही विभिन्न एजेंसियों से भी हिस्सेदारी की राशि ली जानी है. प्रोजेक्ट की जरूरत के अनुसार भूमिगत पार्किंग के निर्माण के लिए फैसला किया जाना है. इन तमाम मुद्दों पर फैसला लेने के लिए प्राेजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की कल सचिवालय में प्रात:साढ़े 11 बजे बैठक होगी. बैठक चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर,नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा,यूडीएच,जेडीए,चिकित्सा शिक्षा विभाग और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के आला अधिकारी शामिल होंगे. बैठक में चर्चा किए जाने इन मामलों की आपको विस्तार से बताते हैं.
-कांग्रेस सरकार में प्रोजेक्ट के लिए पहले 456 करोड़ रुपए फिर बाद में 60 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे.
-प्रोजेक्ट की लागत जुटाने में जयपुर स्मार्ट सिटी,सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज,आवासन मंडल और जेडीए की भागीदारी है.
-लेकिन इस प्रोजेक्ट को पूरा 24 मंजिला बनाने के लिए करीब सौ करोड़ रुपए की और दरकार है.
-यह अतिरिक्त सौ करोड़ रुपए की राशि देने के लिए सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज ने सैद्धांतिक स्वीकृति दी थी.
-जेडीए ने पिछले वर्ष नवंबर में यह राशि लेने के लिए मेडिकल कॉलेज को पत्र भी भेजा था.
-इस पत्र के बाद मार्च में जेडीए की ओर से रिमाइंडर भी भेजा गया.
-लेकिन अब तक अतिरिक्त राशि नहीं मिलने के कारण प्रोजेक्ट में पिछले साढ़े तीन महीने से कोई खास प्रगति नहीं हैं.
-जेडीए ने प्रोजेक्ट पर जल्द फैसला लेने के लिए प्रोजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की बैठक बुलाने के लिए सरकार को पत्र भेजा था.
-प्रोजेक्ट के लिए मेडिकल कॉलेज को उसकी हिस्सेदारी के पूर्व बकाया 50 करोड़ रुपए भी देने हैं.
- प्रोजेक्ट की लागत में हिस्सेदारी के तौर पर आवासन मंडल पर करीब 173 करोड़ बकाया है.
-इस प्रोजेक्ट में 100 चौपहिया वाहन और 300 दुपहिया वाहनों की ही पार्किंग प्रस्तावित की गई है.
-यह पार्किंग टावर के दोनों बेसमेंट में प्रस्तावित की गई है.
-जबकि जब यह आईपीडी टावर शुरू हो जाएगा तब यहां हजारों की तादाद में लोग आएंगे.
-ऐसे में प्रोजेक्ट में प्रस्तावित की गई पार्किंग जरूरत के हिसाब से काफी कम है.
-पिछली सरकार में प्रोजेक्ट के लिए पार्किंग निर्माण पर 70 करोड़ खर्च करने की घोषणा की गई थी.
-जेडीए ने पार्किंग के लिए सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज को दो विकल्पों का प्रस्ताव भेजा है.
-इस प्रस्ताव में पहला विकल्प टावर के ही सेटबैक में भूमिगत पार्किंग बनाने का है तो.
-दूसरा विकल्प मेडिकल कॉलेज के बॉयज हॉस्टल के बाहर खाली भूमि का दिया गया है.
-इन दोनों में से जिस विकल्प के लिए मेडिकल कॉलेज सहमति देगा, वहां पार्किंग का निर्माण किया जाएगा.
सवाई मानसिंह अस्पताल प्रदेश का ही सबसे बड़ा अस्पताल नहीं है. बल्कि उत्तर भारत के नामचीन चिकित्सा संस्थानों में से एक हैं. इसी के चलते यहां इलाज कराने आने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक रहती है. इसी के चलते एसएमएस मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक चाहते हैं कि यह प्रोजेक्ट अपनी मूल डिजाइन के मुताबिक 24 मंजिला ही बनाया जाए. साथ ही प्रोजेक्ट के लिए पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था हो. इस लिहाज से प्रोजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की बैठक काफी अहम मानी जा रही है.