जयपुरः एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति राजस्थान के विकास को नया आयाम देगी. प्रदेश की पहली इंट्रीग्रेटेड क्लीन एनर्जी पॉलिसी पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि CM भजनलाल शर्मा के निर्देशन पॉलिसी तैयार हुई है. ये नीति प्रदेश में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 115 गीगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता और 10 गीगावाट भंडारण क्षमता के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने में मील का पत्थर साबित होगी.
एकीकृत नीति के माध्यम से वर्ष-2030 तक इस लक्ष्य को हासिल करने का प्लान रखा गया है. वर्तमान में राजस्थान अक्षय ऊर्जा नीति-2023, राजस्थान बॉयोमास वेस्ट टू एनर्जी नीति-2023, राजस्थान ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2023 के रूप में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तीन नीतियां प्रभावी थीं. जबकि प्रदेश में ऊर्जा भंडारण की कोई नीति नहीं थी, जिसे एकीकृति नीति में स्थान रखा गया है.
सोलर की अपार संभावनाएं:
राजस्थान में सोलर की अपार संभावनाएं है. लेकिन ये तभी सफल हो पाएंगी, जब प्लांट्स के साथ ही पावर स्टोरेज भी लगाए जाए. इसके लिए हमने नई पॉलिसी में पांच मेगावाट से अधिक के प्लांट्स पर प्रावधान किए है. कुल प्लांट्स क्षमता की पांच फीसदी स्टोरेज क्षमता विकसित करने का प्रावधान किया है. इसके लिए उसे प्रसारण और वितरण शुल्क में 75 फीसदी की छूट मिलेगी. भण्डारण क्षमता 30 फीसदी विकसित की तो इस शुल्क में शत प्रतिशत छूट का प्रावधान है.
ट्रांसफार्मर की 80 प्रतिशत क्षमता तक लगाए जा सकेंगे रूफ टॉप सोलर:
नेट मीटरिंग स्कीम में डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर को लेकर प्रावधान किया गया है. अब ट्रांसफार्मर की 80 प्रतिशत क्षमता तक रूफ टॉप सोलर लगाए जा सकेंगे. इसके साथ ही नीति में छोटी विंड मिल को रूफ टॉप प्लांट में जोड़े जाने है. वर्चुअल एवं ग्रुप नेट मीटरिंग अनुमत किए जाने के प्रावधान किए गए है.
क्लीन एनर्जी से रोशन हो सकेंगी मल्टीस्टोरी बिल्डिंगः
हमने लोगों का दर्द समझा है. अभी रूफ टॉप सोलर स्थापित करने के लिए आवेदक के पास छत होना जरूरी था. लेकिन अब मल्टीस्टोरी में रह रहे ऐसे उपभोक्ता जिनके पास स्वयं की छत नहीं होती है. वे भी अन्यत्र सोलर प्लांट स्थापित कर सौर उर्जा का उपयोग एवं उपभोग कर सकेंगे. बहुमंजिला इमारतों के लिए अन्यत्र सोलर प्लांट लगाकर उपयोग करने का दूसरे राज्यों में प्रावधान है. महाराष्ट्र,ओडिशा, दिल्ली सहित कई राज्यों की तर्ज पर राज्य में पहली बार वर्चुअल नेट मीटरिंग का प्रावधान है.