जयपुर : जिनके सामने आने से शरीर का खून जम जाता है, जो दुनिया में नाम मात्र के बचे हैं और जो धार्मिक आस्था से भी जुड़े हैं वो हैं बाघ. लेकिन राजस्थान में बाघ भयभीत हैं. कारण वो 111 गांव और उनमें बसे 15 हजार से ज्यादा ग्रामीण परिवार हैं जिन्हें टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्रों से आज तक विस्थापित नहीं किया जा सका है. यही कारण है कि बाघों की संख्या को बढ़ाकर इतराने वाले वन विभाग के वन्यजीव प्रबंधन पर अंगुली उठ रही हैं.
टाइगर रिजर्व बाघ बाघिन शावक कुल
रणथंभौर 27 30 18 75
सरिस्का 11 14 18 43
धौलपुर 02 03 05 10
विषधारी 01 02 03 06
मुकंदरा 01 01 - 02
अभेडा टी 114 के 2 शावक
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क टी 79 का एक शावक
प्रदेश में कुल 42 50 47 139
राजस्थान अब तेजी से बाघस्थान में बदल रहा है. कुछ ही वर्षों में राजस्थान में टाइगर रिजर्व बढ़कर पांच हो गए हैं और बाघ भी 139 के आंकड़े पर पहुंच गए हैं. वन विभाग बढ़ती बाघ संख्या पर इतरा भी सकता है. पर बाघ प्रबंधन या फिर कहें की वन्यजीव प्रबंधन राजस्थान में बेहद कमजोर है. प्रदेश के रणथंभौर, सरिस्का और मुकंदरा के बाद अब रामगढ़ विषधारी और धौलपुर टाइगर रिजर्व भी बन गए हैं. जल्द ही कुंभलगढ़ भी टाइगर रिजर्व का दर्जा पा लेगा. वन विभाग का दावा है कि बाघ धौलपुर से मुकंदरा तक 400 किलोमीटर के कॉरिडोर में स्वछंद घूमते दिखाई देंगे. पर हकीकत कुछ और दिख रही है. जैसे ही बाघ 100 के पार हुए वैसे ही उनको जंगल छोटे पड़ने लगे.. ग्रामीणों से उनका संघर्ष बढ़ा. प्रे बेस कमजोर हुए और शिकार श जहरखुरानी की घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई. कारण सिर्फ एक टाइगर रिजर्व से गांवों का विस्थापन नहीं होना.
भाग रहे बाघ, 111 गांव और 15 हजार परिवार कब होंगे बाघों के घर से विस्थापित ?
अब बाघ संख्या 150 से सिर्फ 11 की दूरी.. पर कोर में बसे गांव संघर्ष कर रहे आमंत्रित
सरिस्का के तीन बाघ, रणथंभौर के दर्जनभर से ज्यादा बाघ बन चुके खानाबदोश
प्रदेश के पांचों टाइगर रिजर्व में हुए अब कुल 136 बाघ
बाघ 42, बाघिन 50 और सब एडल्ट व शावक 47
रणथंभौर में 27 बाघ, 30 बाघिन और 18 शावक पर 17 गांव विस्थापित होना शेष
सरिस्का में 11 बाघ, 14 बाघिन और 18 शावक पर 29 गांव अभी भी बाघ बसावट के बीच मौजूद
धौलपुर- करौली में 2 बाघ, 3 बाघिन और 5 शावक 43 गांव विस्थापित होना शेष
रामगढ़ विषधारी में 1 बाघ, 2 बाघिन और 3 शावक लेकिन 8 गांवों का विस्थापन शेष
मुकंदरा हिल्स में 1-1 बाघ और बाघिन का है विचरण यहां 9 गांव होने हैं विस्थापित
विस्थापन न होने से हैबिटेट इंप्रूवमेंट दूर की कौड़ी, छोटे पड़ने लगे टाइगर रिजर्व
शिकार, जहरखुरानी, मानव-बाघ संघर्ष और बाघों में नपुंसकता की आशंका
आखिर वन विभाग बाघों के घर से क्यों नहीं कर पा रहा गांव विस्थापित ?
पैकेज अव्यावहारिक या फिर डेडिकेटेड टीम और एफर्ट्स की कमी ?
प्रदेश के पांचों टाइगर रिजर्व में 111 गांव और उनमें 15 हजार से ज्यादा परिवार रह रहे हैं. यही कारण है कि बाघों की आबादी बढ़ने के साथ ही जंगल छोटा पड़ने लगा है. सरिस्का का एसटी 2303 हरियाणा में डेरा डाले हैं तो एसटी 24 दो साल से जयपुर जिले में है. एसटी 2305 डेढ़ महीने से दिखा नहीं है. रणथंभौर में दर्जनभर से ज्यादा बाघ पैराफेरी पर घूम रहे हैं. मुकंदरा में बाघों की रहस्यमय मौत पर अभी तक पर्दा डला हुआ है. हैबिटैट इंप्रूवमेंट के वन विभाग के दावे बाघों की खराब हालत खुद खारिज कर रही है. ग्रामीणों को दिए जाने वाला विस्थापन पैकेज को व्यावहारिक बनाने की जरूरत है. जल्द ही विस्थापन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो राजस्थान के बाघों में 'डिप्रेशन' बढ़ेगा और डिप्रेशन से उनमें इनब्रीडिंग की समस्या बढ़ती चली जाएगी.