जयपुरः सकड़ी सड़कों पर फ्लैट्स की मंजूरी देने और फ्रंट सेटबैक कम करने जैसी गड़बड़िया सामने आने के बाद जयपुर विकास प्राधिकरण ने बड़ा फैसला किया है. अब ऐसे मामलों में जेडीए के जोन स्तर पर मनमर्जी नहीं चलेगी. क्या है पूरा मामला जानने के लिए देखें फर्स्ट इंडिया न्यूज की ये खास रिपोर्ट--
जयपुर विकास प्राधिकरण की भवन मानचित्र समिति बिल्डिंग प्लान की 29 जून 2021 में बैठक हुई थी. बैठक में किए गए फैसले के अनुसार 1 सितंबर 2021 को आदेश जारी कर जोन स्तर पर नक्शा अनुमोदन के अधिकार दिए गए. तब से यह व्यवस्था चल रही थी. लेकिन जोन स्तर पर भवन निर्माण की स्वीकृति के मामले को लेकर जेडीए को लगातार गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही थी. आपको सबसे पहले बताते हैं कि 1 सितंबर 2021 के आदेश के तहत अब तक जेडीए के जोन कार्यालयों को भवन निर्माण स्वीकृति देने को लेकर क्या अधिकार दिए गए थे और इन मामलों को लेकर किस प्रकार की गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही थी.
अब तक लागू व्यवस्था और गड़बड़ियां
-1 सितंबर 2021 के आदेश से लागू व्यवस्था के अनुसार ढाई हजार वर्गमीटर तक के भूंखड को लेकर जोन कार्यालयों को अधिकार दिए गए
-जोन कार्यालयों को इन भूखंडों पर नक्शा अनुमोदित करते हुए भवन निर्माण की स्वीकृति के अधिकार दिए गए थे
-इसके मुताबिक जोन स्तर पर प्लिंथ,स्टिल्ट और 18 मीटर तक की ऊंचाई भवनों की स्वीकृति दी जा सकती थी
-जोन स्तर पर लागू इस प्रक्रिया को लेकर जेडीए को लगातार गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही थी
-इनमें से अधिकतर शिकायतें मौके पर कम चौड़ी सकड़ी सड़कों पर फ्लैट्स के निर्माण को लेकर थी
-बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार चालीस फीट से कम चौड़ी सड़क पर फ्लैट्स की स्वीकृति नहीं दी जा सकती है
-फ्लैट्स के निर्माण के लिए भूखंड का आकार न्यूनतम 750 वर्गमीटर होना चाहिए
-राज्य सरकार के आदेश के अनुसार भी मौके पर न्यूनतम चालीस फीट सड़क होना जरूरी है
-इसके बाद ही साइट प्लान के अनुसार भवन निर्माण की स्वीकृति दी जानी चाहिए
-इन सबके बावजूद जोन स्तर पर स्वीकृत कुछ ऐसे मामले सामने आए
-जिनमें मौके पर तीस फीट चौड़ी सड़क है जबकि साइट प्लान में चालीस फीट चौड़ी सड़क है
-लेकिन जोन स्तर पर साइट प्लान में सड़क की चौड़ाई मानते हुए फ्लैट्स के निर्माण की स्वीकृति दे दी गई
-ऐसे मामलों में पीड़ित स्थानीय लोगों ने जेडीए में शिकायत दर्ज कराई
-इसी तरह भूखंडों के पुनर्गठन के मामलों में भी फ्रंट सेटबैक कम करने के भी मामले सामने आए
जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल के पास जन सुनवाई के दौरान इन गड़बड़ियों की शिकायत पहुंची. इन शिकायतों की पड़ताल की गई तो जोन स्तर पर किए गए खेल का खुलासा हुआ. इसके बाद जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल के आदेश पर जेडीए सचिव हेमपुष्पा शर्मा ने हाल ही आदेश जारी कर नई व्यवस्था लागू कर दी है. आपको बताते हैं कि इस नई व्यवस्था में अब ऐसे मामलों में भवन निर्माण की स्वीकृति किस प्रकार दी जाएगी?
जेडीए ने लागू की ये नई व्यवस्था
-750 वर्गमीटर व इससे अधिक आकार के भूखंडों पर भवन निर्माण स्वीकृति के मामले अब जेडीए के भवन मानचित्र समिति (बीपीसी) प्रकोष्ठ को भेजे जाएंगे
-जोन स्तर पर इन प्रकरणों का फाइनल अनुमोदन नहीं किया जाएगा
-ये प्रकरण बीपीसी प्रकोष्ठ के माध्यम से जेडीए के निदेशक आयोजना को भेजे जाएंगे
-निदेशक आयोजना की मंजूरी के बाद ही इन प्रकरणों में भवन निर्माण की स्वीकृति जारी होगी
-जोन स्तर पर अब तक निस्तारित ऐसे प्रकरण जिनमें राशि तो जमा हो चुकी है
-राशि जमा होने के बावजूद भी अनुमोदित मानचित्र जारी नहीं हुए हैं
-ऐसे प्रकरणों में भी पहले निदेशक आयोजना से मंजूरी ली जाएगी,इसके बाद ही मानचित्र जारी किए जाएंगे
-इसी तरह जोन स्तर पर स्वीकृत मामलों में अगर तकनीकी मापदंड में कोई परिवर्तन किया गया है
-तो ऐसे मामले भी मंजूरी के लिए निदेशक आयोजनों को भेजे जाएंगे
-जेडीए सचिव के आदेश के अनुसार पुनर्गठित भूखंडों में फ्रंट सेटबैक किसी भी स्थिति में कम नहीं होगा
-मूल योजना में निर्धारित सेटबैक अथवा बिल्डिंग बायलॉज में प्रस्तावित सेटबैक,दोनों में से जो भी अधिक हो
-उससे कम फ्रंट सेटबैक नहीं होगा