जयपुर: पिछले करीब 14 साल से लंबित जेडीए के खजाने में 1000 करोड़ रुपए देने वाली नींदड़ योजना के स्थायी समाधान की उम्मीद जगी है. नगरीय विकास मंत्री ने समस्या के समाधान के लिए इस अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की है. जयपुर की मुख्य सीकर रोड पर ग्राम नींदड़ में जेडीए ने 14 साल पहले यहां बड़ी आवासीय योजना प्रस्तावित की थी. कई किसानों से योजना के नाम पर उनकी जमीन भी ले ली गई ना तो योजना पूरी तरह धरातल पर उतर पाई और ना ही किसानों को अपनी जमीन देने के बावजूद इतने सालों में अब तक मुआवजा मिल पाया यह योजना इतनी बड़ी है और यहां के मौजूदा बाजार भाव की बात करें तो इस अकेली योजना से जेडीए को करीब 1000 करोड रुपए का राजस्व मिल सकता है. चार साल पहले किसानों के एक धड़े ने अधिक मुआवजे की मांग पर आंदोलन किया था. उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन राज्य सरकार ने इस योजना के महत्व को देखते हुए इसे धरातल पर उतारने का फैसला किया है. आपको सबसे पहले योजना की जानकारी देते हैं
योजना की जानकारी:
-यह नींदड़ आवासीय योजना 327 हैक्टेयर में प्रस्तावित है
-करीब 286 हेक्टेयर भूमि अवाप्ति के लिए पहली अधिसूचना 4 जनवरी 2010 को जारी की गयी थी
-शेष 41.45 हैक्टेयर भूमि जविप्रा की स्वंय की भूमि है
-भूमि अवाप्ति का अवार्ड दिनांक 31 मई 2013 को जारी किया गया
-41.27 हैक्टेयर भूमि का नकद मुआवजा सिविल कोर्ट में जमा कराया जा चुका है
-अवाप्ति के खिलाफ काश्तकारों की ओर से दायर याचिकाओं को हाईकोर्ट खारिज कर चुका है
-सुप्रीम कोर्ट ने भी 4 सितम्बर 2018 के अपने आदेश में अवाप्ति की प्रक्रिया को सही माना है
-करीब 600 खातेदार जेडीए के पक्ष में अपनी 122 हैक्टेयर भूमि समर्पित कर चुके हैं
योजना से प्रभावित करीब 600 खातेदार अपनी खुद की जमीन जेडीए को दे चुके हैं. इनमें से कई खातेदार पिछले 8 से 10 साल से अपनी जमीन देने के बदले मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. जल्द मुआवजा देने की मांग को लेकर नींदड़ आरक्षण पत्रधारी किसान संघर्ष समिति की ओर से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा को ज्ञापन भी दिया गया.
नींदड़ योजना, होगा समाधान!:
-जमीन देने वाले करीब 450 खातेदारों को जेडीए आरक्षण पत्र जारी कर चुका है
-इन खातेदारों को 20% आवासीय और पांच प्रतिशत व्यावसायिक भूमि देने का आरक्षण पत्र दे चुका है
-27 नवंबर 2017 को जेडीए ने करीब 90 खातेदारों को भूखंड आवंटित किए थे
-किसानों की मांग है कि हम अपनी जमीन दे चुके हैं
-हमारे पास रहने के लिए कोई जमीन नहीं बची है
-ऐसे में मकान बनाने के लिए जेडीए ने लॉटरी के माध्यम से भूखंडों का आवंटन किया था
-लेकिन पूरा 25% विकसित भूखंड का मुआवजा नहीं दिया गया था
-करीब डेढ़ सौ खातेदार ऐसे हैं जिन्होंने वर्ष 2020 तक जेडीए को अपनी जमीन समर्पित कर दी थी
-लेकिन जेडीए ने इन्हें 4 साल बीतने के बावजूद आरक्षण पत्र जारी नहीं किया है
-इस तरह करीब 600 खातेदार या किसान योजना के लिए अपनी जमीन दे चुके हैं
-लेकिन जेडीए ने इन्हें विकसित भूखंड का पूरा मुआवजा अब तक नहीं दिया है
-जेडीए 1 जनवरी 2020 को यहां काम शुरू किया था
-लेकिन किसानों के एक धड़े ने अधिक मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया
-बाद में इन किसानों की मांग को लेकर जेडीए और राज्य सरकार के स्तर पर बैठक भी हुई
-इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया
सीकर रोड पर हरमाड़ा के आगे मौके की भूमि पर प्रस्तावित यह नींदड़ आवासीय योजना जेडीए का खजाना भर भर सकती है. यही कारण है कि राज्य सरकार इस योजना को लेकर गंभीर है. नगरीय विकास मत्री झाबर सिंह खर्रा का कहना है कि इस योजना को जल्द मूर्त रूप दिया जाएगा. आपको बताते हैं कि किस तरह यह योजना जेडीए के लिए कुबेर का खजाना साबित होगी और नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने क्या डेडलाइन इस मामले में तय की है.
क्या डेडलाइन इस मामले में की तय:
-यह योजना 14 नंबर की पुलिया से मात्र डेढ़ से 2 किलोमीटर पर है
-योजना की भूमि सीकर रोड से बिल्कुल लगती हुई है
-यहां आवासीय और व्यावसायिक बाजार भाव 40 हजार से ₹1 लाख रुपए प्रति वर्ग गज तक हैं
-इस कुल योजना का 40 फीसदी हिस्सा सुविधा क्षेत्र और सड़क के लिए प्रस्तावित है
-25 फ़ीसदी जमीन किसानों को बतौर मुआवजे दी जानी है
-इस तरह जेडीए के खुद के पास 35 फ़ीसदी जमीन बचेगी
-अगर यहां बाजार भाव औसतन ₹60 हजार प्रति वर्ग गज माने
-तो जेडीए को करीब 1000 करोड रुपए का राजस्व मिल सकता है
-यूडीएच मंत्री झाबर सिह खर्रा ने फर्स्ट इंडिया को बताया
-उन्होंने इस योजना से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए जेडीए आयुक्त आनंदी को निर्देश दिए हैं
-सहमति से अपनी भूमि योजना के लिए समर्पित करने वाले किसान/खातेदारों की समस्या का समाधान किया जाएगा
-इसके बाद दूसरे किसान/खातेदारों का पक्ष सुनते हुए उनकी मांगों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया अगले महीने अक्टूबर तक योजना को लेकर गंभीर प्रयास शुरू कर दिए जाएंगे.