जयपुर: जेडीए में भू रूपांतरण ,ले आउट प्लान,ले यूज चैंज और भूमि आवंटन इत्यादि प्रकरणों का अब पहले से कम समय में निस्तारण किया जा सकेगा. जेडीए आयुक्त आनंदी के आदेश पर नई व्यवस्था लागू की गई है. क्या है नई व्यवस्था और किस तरह आवेदकों को इससे राहत मिलेगी.
जेडीए आयुक्त आनदी ने 22 सितंबर को सभी जोन कार्यालयों में लंबित प्रकरणों को लेकर समीक्षा बैठक ली थी. बैठक में सामने आया कि भू रूपांतरण, ले आउट प्लान, लैंड यूज चेंज और भूमि आवंटन आदि के कई प्रकरण जेडीए की मास्टर प्लान में भेजे जा रहे हैं. इसके चलते इन प्रकरणों के निस्तारण में बेवजह अधिक समय लग रहा है. बैठक में इसको लेकर चर्चा की गई. इस पर निदेशक आयोजना विनय कुमार दलेला ने नई व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया. इस व्यवस्था को तुरंत लागू करने के जेडीए आयुक्त ने आदेश दिए. इस नई व्यवस्था क्या है, यह बताने सेे पहले आपको बताते हैं कि पूरा माजरा क्या है.
-जेडीए के सभी जोन में सहायक नगर नियोजक या उप नगर नियोजक स्तर के अधिकारी लगे हुए है.
-मास्टर प्लान या नियोजन संबंधी कार्य के लिहाज से इन नगर नियोजकों की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है.
-इसके बावजूद जोन में तैनात ये नगर नियोजक मास्टर प्लान या जोनल प्लान में प्रस्तावित भू उपयोग,
-सड़क अलाइनमेंट की स्थिति और चाहा गया भू उपयोग अनुज्ञेय है या नहीं .
-ऐसी तमाम जानकारियों के लिए फाइलें बेवजह मास्टर प्लान शाखा में भेज रहे थे.
-मास्टर प्लान शाखा में भी फाइल सहायक नगर नियोजक से लेकर अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक जाती थी.
-इसके चलते एक फाइल को मास्टर प्लान शाखा में ही दो से तीन दिन तक लग जाते हैं.
-यह समय लगने का कारण यह भी रहता था कि मास्टर प्लान शाखा को कई बार जोन से जानकारी मांगनी पड़ती थी.
-इस तरह रोजाना पन्द्रह से बीस फाइलें मास्टर प्लान शाखा में भेजी जा रही थी.
-मास्टर प्लान शाखा में भेजने के चलते प्रकरण के निस्तारण में दो से तीन दिन और अधिक लग रहे थे.
मास्टर प्लान शाखा में बेवजह फाइलें भेजने की प्रवृति पर रोक लगाने के लिए जेडीए अब नई व्यवस्था लागू कर दी है. जेडीए आयुक्त आनंदी के आदेश पर निदेशक आयोजना विनय कुमार दलेला ने सभी जोन उपायुक्तों और जोन में लगे नगर नियोजकों को यूओ नोट जारी किया है. आपको बताते हैं कि इस नई व्यवस्था के चलते फाइल के निस्तारण में लगने वाले दो से तीन दिन की बचत होगी.
-जोन में लगे नगर नियोजक खुद जेडीए की मास्टर प्लान शाखा जाकर वहां लगे GIS विशेषज्ञों से प्रकरण में सहायता लेंगे.
-आवेदित भूमि को मास्टर प्लान या जोनल प्लान पर सुपर इंपेाजिशन कराएंगे.
-और फिर सड़क एलाइनमेंट व भू उपयोग को लेकर फाइल पर रिपोर्ट करेंगे.
-नगर नियोजक फाइल पर भू उपयोग व सड़क एक अलाइनमेंट को लेकर टिप्पणी करेंगे .
-टिप्पणी करते समय मास्टर प्लान,डवलपमेंट प्लानिंग एंड कंट्रोल रेगुलेशन्स (डीपीसीआर) के प्रावधानों.
-और सरकार की ओर से समय-समय पर जारी परिपत्रों का ध्यान रखेंगे.
-सुपर इंपोजिशन के मानचित्रों पर संबंधित नगर नियाेजक हस्ताक्षर भी करेंगे.
-इसके अलावा नगर नियोजक जरूरी होने पर ही फाइल मास्टर प्लान शाखा भेजेंगे.
-मास्टर प्लान शाखा भेजने की जरूरत नगर नियोजक को फाइल पर बतानी होगी.