जयपुर: राजधानी जयपुर में 75 शराब माफिया फरार चल रहे हैं और आबकारी पुलिस लगातार दबिश का दावा भी करती रही है, इसके बावजूद अभियुक्त पकड़ से दूर हैं. जबकि कानून व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाले शहर के थानों से जुड़े फरारी के इक्के-दुक्के मामले ही सामने आते हैं. कुल मिलाकर बात इतनी सी है कि अवैध शराब का धंधा करने वाले माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि फरारी को छह माह हो गए, लेकिन सुराग तक नहीं लग सकता है. शहर के किस आबकारी थाने में कितने अभियुक्त पकड़े गए और कितने फरार चल रहे हैं.
प्रदेश में अवैध शराब का धंधा करने वालों के खिलाफ आबकारी विभाग काफी सख्त है और आबकारी आयुक्त शिवप्रसाद नकाते ने स्पष्ट आदेश दे रखे हैं कि राजस्थान में अवैध शराब का एक भी मामला नहीं दिखाई देना चाहिए. लेकिन इसके बावजूद विभाग के आंकड़े बताते हैं कि छह थानों से जुड़े मामलों में 75 अभियुक्त फरार चल रहे हैं. अधिकतम सालभर के भीतर अभियुक्तों के खिलाफ चालान पेश कर उन्हें भगोड़ा घोषित किया जा सकता है. उधर, 214 अभियुक्त गिरफ्तार भी हुए हैं. 96 मामलों में चालान तो हो गया, लेकिन इन्वेस्टीगेशन अब तक बाकी है. आबकारी विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि अवैध शराब बिक्री की सूचना मिलती है और मौके पर पहुंचने से पहले ही अभियुक्त फरार हो जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अभियुक्त तक यह सूचना पहुंचा कौन रहा है. कहीं इसमें विभाग के कर्मचारी की मिलीभगत तो नहीं.
जयपुर के आबकारी थानों में पंजीकृत हुए मामले
थाना-------------------गिरफ्तार अभियुक्त----------फरार अभियुक्त
जयपुर पूर्व-----------43------------------------------0
जयपुर पश्चिम--------16------------------------------23
जयपुर उत्तर---------34------------------------------0
जयपुर झोटवाड़ा----27-------------------------------13
जयपुर दक्षिण-------36-------------------------------24
जयपुर दक्षिण-पूर्व--47-------------------------------04
आबकारी वृत्त-------11-------------------------------11
राजधानी में छह आबकारी थाने हैं और कुल मिलाकर 50 से अधिक नफरी बताई जा रही है. हर दूसरे दिन अवैध शराब की सूचना भी मिलना बताया जा रहा है. सूचना पर आबकारी पुलिस मौके पर पहुंचती है और गिरफ्तारी भी हो रही है. लेकिन फरारी के मामले बढ़ना चिंताजनक है. देखने वाली बात यह है कि जिस तरह से पुलिस काम करती है, तो आबकारी थाने क्यों नहीं कर पा रहे हैं. दावा तो किया जाता है कि फरार अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए लगातार प्रयास होते हैं, लेकिन परिणाम सार्थक नहीं आ रहे हैं. अभियुक्तों की फरारी से कहीं ना कहीं शराब माफिया को बढ़ावा मिल रहा है और शराब के अवैध धंधे के चलते विभाग को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है.