VIDEO: क्या किसी की जान जाने पर ही चेतेगा SMS प्रशासन? SMS अस्पताल के कई ब्लॉक्स में फिर बत्ती गुल, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में "कुप्रबन्धन" मरीजों की जिन्दगी पर भारी पड़ रहा है. जी हां ये कोई हमारा आरोप नहीं, बल्कि अस्पताल में आएदिन बिजली आपूर्ति व्यवस्था में आ रहे व्यवधान की बानगी है. एक पखवाड़े में आज दूसरी बार अस्पताल में बिजली आपूर्ति बेपटरी हो गई. हैरान करने वाली बात यह है कि इमर्जेंसी में भी आधे घंटे से ज्यादा समय तक बिजली बंद रही और वैकल्पिक व्यवस्था के लिए लगाए गए जनरेटर में डीजल खत्म मिला ऐसे में अंधेरे में ही मरीज इलाज के लिए इधर से उधर भटकते नजर आए.

एसएमएस अस्पताल में नए प्रबन्धन की नियुक्ति के बाद सुधार के दावों की पोल रोज खुलती नजर आ रही है. बारिश के दौरान वार्डो में पानी भरने, फॉल सीलिंग गिरने की घटनाओं के बाद अब बिजली गुल होने की समस्या मरीजों को हैरान-परेशान कर रही है. आज एक बार फिर से एसएमएस की ओपीडी ब्लॉक और इमर्जेंसी में आधे घंटे से ज्यादा समय तक बिजली बंद रही. इस दौरान मरीज हैरान-परेशान होने नजर आए और अस्पताल प्रबंधन आगे से बिजली आपूर्ति बाधित होने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाडता रहा. जबकि अस्पताल के खुद के फॉल्ट के चलते बिजली व्यवस्था प्रभावित हुई थी. सूत्रों के अनुसार इमर्जेंसी में बिजली गुल होने के बाद वैकल्पिक इंतजाम ही नहीं थे. सामने आया है कि उस वक्त जनरेटर में डीजल ही नहीं था,जिसे बाद में मंगवा कर चालू कराया गया.

इमरजेंसी में बिजली गुल होने पर याद आया जनरेटर का डीजल ?
- SMS अस्पताल प्रशासन की शर्मसार करती कार्यशैली
- इमरजेंसी,OPD समेत पूरे अस्पताल में पौन घंटे रही बिजली गुल
- इस दौरान इमरजेंसी में अंधेरे में तड़पते रहे गंभीर श्रेणी के मरीज
- लेकिन जनरेटर का बैकअप होने के बावजूद शुरू नहीं हो पाई बिजली
- जब इस बारे में सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के प्रतिनिधियों को किया गया तलब
- तो सामने आया कि इमरजेंसी के लिए लगे जनरेटर में कई दिनों से खत्म हो चुका डीजल
- इस बारे में अस्पताल प्रशासन को करीब एक सप्ताह पहले ही किया जा चुका सूचित
- हालांकि, आनन फानन में चरक भवन में लगे जनरेटर से निकाल कर लाया गया डीजल
- ऐसे में पौन घंटे बाद जाकर शुरू हो पाई प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की इमरजेंसी में लाइट
- आश्चर्य की बात यह है कि जिला कलेक्टर तक इस अव्यवस्था पर दिखे नाराज
- लेकिन प्रशासन ने मेंटेनेंस का ठेका संभालने वालों को नोटिस देकर की इतिश्री

अस्पताल के कुप्रन्धन की पोल खुद जयपुर कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित के सामने खुली. दरअसल कलक्टर राजपुरोहित कालाडेरा फैक्टी में झुलसे मरीजों से मिलने अस्पताल आए थे, जहां वे अंधेरे के बीच दूसरी मंजिल तक पहुंचे. बाद में फर्स्ट इंडिया से खास बातचीत में उन्होंने अव्यवस्थाओं पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि इस बारे में हाईलेवल पर सूचना दी जाएगी.

SMS अस्पताल की अव्यवस्थाओं से खफा जयपुर कलेक्टर !
- अस्पताल में इमरजेंसी, OPD से लेकर कई जगह बिजली गुल
- खुद कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित इमरजेंसी में मरीजों की दिक्कतों से हुए रू-ब-रू
- कालाडेरा फैक्ट्री में झुलसे मरीजों से मिलने आए थे कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित
- इस दौरान कलेक्टर ने देखे इमरजेंसी में आधे घंटे तक बिजली गुल होने से बने हुए गंभीर हालात
- कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने अव्यवस्थाओं पर जताई नाराजगी
- कहा-'इमरजेंसी में बिजली गुल होना काफी बड़ी लापरवाही'
- 'इस बारे में अस्पताल प्रशासन और बिजली अभियंताओं से ली जाएगी रिपोर्ट'
- 'साथ ही हाईलेवल पर भी दी जाएगी इस तरह की लापरवाही की सूचना'

SMS अस्पताल प्रशासन फेल, जयपुर डिस्कॉम ने संभाला मोर्चा
- प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के कुप्रबन्धन की बानगी
- SMS में बिजली मेंटीनेंस के लिए दिया हुआ 12 लाख रुपए सालाना का ठेका
- लेकिन अस्पताल की आज दोनों लाइनों में इंटरनल फाल्ट होने पर पूरा सिस्टम फेल
- अस्पताल में ना तो मिला मेंटीनेंस का पर्याप्त स्टॉफ और ना ही जनरेटरों में डीजल
- ऐसे में जैसे ही बिजली गुल होने की फर्स्ट इंडिया ने दिखाई मरीजों की दिक्कतें
- तो अस्पताल के अन्दर के सिस्टम को संभाले उतरे डिस्कॉम के XEN-AEN
- आश्चर्य ये कि इसके बावजूद अस्पताल के जिम्मेदार ये कहकर झाड़ते रहे पल्ला
- कि जयपुर डिस्कॉम की तरफ से बिजली आपूर्ति में आया है व्यवधान
- जबकि सच्चाई ये कि डिस्कॉम की तरफ से निर्बाध जारी थी बिजली आपूर्ति
- अस्पताल के इंटरनल सिस्टम की खामी की वजह से पौने घंटे गुल रही बिजली
- ऐसे में सवाल ये कि आखिर कब तक दूसरों पर जिम्मेदारी डालकर बचेगा अस्पताल प्रशासन

ये पहला मौका नहीं है, जब अस्पताल में बिजली गुल होने से इमरजेंसी सेवाएं बाधित हुई हो. कुछ दिनों पहले भी बांगड समेत कई वार्डो में करीब एक घंटे तक बिजली बंद रही थी. हालांकि, तब डिस्कॉम की तरफ से दिक्कत आई, लेकिन तब भी ये मामला सामने आया कि अस्पताल में बिजली का बैकअप पुख्ता नहीं है. बावजूद इसके जिम्मेदार अब भी एक दूसरे पर जिम्मा डालकर बचने का प्रयास कर रहा है. ऐसे में सवाल उठा रहा है कि यदि इमरजेंसी में इस तरह बिजली गुल होने के दौरान किसी गंभीर मरीज की तबीयत बिगड़ जाती तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होता.