कोलकाता: भारतीय सिनेमा के ‘एंग्री यंग मैन’ कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन की इस छवि को कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (केआईएफएफ) में एक प्रदर्शनी के माध्यम से पेश किया गया.
प्रदर्शनी में ‘जंजीर’ (1973), ‘दीवार’ (1975), ‘शोले’ (1975), ‘काला पत्थर’ (1979) और ‘शक्ति’ (1982) जैसी फिल्मों में अमिताभ की उन भूमिकाओं को प्रमुखता से दिखाया गया, जिनके कारण उन्हें बॉलीवुड का ‘एंग्री यंग मैन’ कहा जाता है. 1970 और 1980 के दशक में बनी इन फिल्मों में नायक को बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, अपराध, सामाजिक उथल-पुथल और सरकारी तंत्र के खिलाफ लड़ते दिखाया गया था.
प्रदर्शनी आयोजित करने का फैसला किया:
प्रदर्शनी की क्यूरेटर और केआईएफएफ की अधिकारी सुदेशना रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सबसे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘बिग बी’ (अमिताभ बच्चन) को सम्मानित करने के लिए कुछ विशेष करने का विचार रखा था, जिसके बाद केआईएफएफ अध्यक्ष राज चक्रवर्ती और अन्य ने प्रदर्शनी आयोजित करने का फैसला किया.
मौजूदा फिल्में काल्पनिक अंधराष्ट्रवाद में डूबी हुई:
अमिताभ ने बृहस्पतिवार को 28वें केआईएफएफ का उद्घाटन किया था. उन्होंने इस अवसर पर अपने भाषण में कहा था कि शुरुआती दौर से लेकर अब तक सिनेमा की विषय-वस्तु में कई बदलाव आए हैं, पौराणिक फिल्मों और समाजवादी सिनेमा से लेकर ‘एंग्री यंग मैन’ के आगमन तक. अब ऐतिहासिक विषयों पर बनने वाली मौजूदा फिल्में काल्पनिक अंधराष्ट्रवाद में डूबी हुई हैं. केआईएफएफ ने पहली बार किसी जीवित दिग्गज के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया है. इससे पहले सत्यजीत रे, सौमित्र चटर्जी, इंगमार बर्गमैन और अकिरा कुरोसावा जैसे दिग्गजों के लिए इस प्रकार की प्रदर्शनियां आयोजित की जा चुकी हैं.
यह प्रदर्शनी 22 दिसंबर तक लगेगी:
गगनेंद्र प्रदर्शनीशाला और नजरूल तीर्थ में आयोजित यह प्रदर्शनी 22 दिसंबर तक लगेगी. इस प्रदर्शनी में अमिताभ के बचपन, कोलकाता में ‘बर्ड एंड कंपनी’ के कार्यकारी के तौर पर कॉरपोरेट जगत में किए उनके काम, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ उनके परिवार के संबंधों, 1984 में राजनीति में उनके प्रवेश, 1987 तक उनके राजनीतिक जीवन में आए उतार-चढ़ाव और फिल्म जगत में उनकी वापसी एवं उसके बाद से उन्हें मिल रही सफलता को दर्शाया गया है. सोर्स-भाषा