जयपुर: प्रदेश में कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए अटल भूजल योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई पद्धति किसानों को रास आ रही है. तभी तो अब तक 2 लाख 66 हजार से ज्यादा किसान परिवार लाभ उठा चुके हैं. बड़ी बात तो यह है कि 3500 किसानों ने बिना किसी सहायता से स्वयं का पैसा लगाकर योजना में रूचि दिखाई. योजना के तहत क्या कुछ किया गया.
प्रदेश में गिरते भूजल स्तर की दर में रोकथाम व कमी लाने के उद्देश्य से चल रही अटल भूजल योजना को मार्च, 2025 में पांच साल हो जाएंगे. सरकार उस दौरान पांच साल का रिपोर्ट कार्ड भी पेश करेगी. विश्व बैंक मिशन के सहयोग से चल रही योजना के तहत अब तक 2 लाख 66 हजार से ज्यादा किसान परिवार जुड़कर लाभ ले चुके हैं. पांच साल के भीतर एक लाख हेक्टेयर में खेती के टारगेट के मुकाबले अब तक 78 हजार हेक्टेयर में खेती की जा चुकी है. योजना के तहत 17 जिलों की 38 पंचायत समितियों की 1132 ग्राम पंचायतों में काम किया जा रहा है. कई विभागों के सहयोग से चल रही योजना के तहत खेतों में अब तक 10 हजार से ज्यादा जल संग्रहण संरचनाएं बनाई गई. जबकि वन विभाग की ओर से 2 लाख 32 हजार से ज्यादा मृदा जल संरक्षण संरचनाएं बनाई जा चुकी हैं. साथ ही किसानों को फार्म पौंड, डिग्गी, पाइप लाइन, फसल चक्र, ड्रिप-मिनी स्प्रिंकलर, सोलर पंप आदि का लाभ मिला है.
- 17 जिलों की 38 पंचायत समितियों में योजना के तहत हो रहा है काम
- 38 पंचायत समितियों की 1132 ग्राम पंचायतों में हो रहा है काम
- 9 पंचायत समितियों के 50 प्रतिशत से अधिक कुओं के भूजल स्तर में सुधार
- अकेले धौलपुर जिले की सैंपऊ पंचायत समिति के 83 में से 81 कुओं के भूजल स्तर में सुधार
- अब तक 78 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से खेती
- अब तक 2 लाख 66 हजार से ज्यादा किसान परिवारों को मिला लाभ
- इसमें भी 3507 किसानों से अपने खर्च पर सूक्ष्म पद्धति से सिंचाई की
- अब तक 10 हजार से ज्यादा जल संग्रहण संरचनाएं बनाई गई
- वन विभाग ने 2 लाख 32 हजार से ज्यादा मृदा जल संरक्षण संरचनाएं बनाई
- योजना में 1 हजार 30 करोड़ में से अब तक 800 करोड़ रुपए हुए खर्च
केंद्र के मिशन के तहत राज्यों में कम पानी की फसलों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान में 1 अप्रेल, 2020 को अटल भूजल योजना शुरू की गई. अच्छी बात यह रही कि किसानों से सूक्ष्म सिंचाई से जुड़कर अच्छी फसलें पैदा की और मुनाफा भी कमाया. अब किसान इस योजना के तहत कम पानी में बेहतर फसल कर रहे हैं. बेहतर पेय प्रबंधन का परिणाम यह रहा कि 17 जिलों में 2613 कुओं की मॉनिटरिंग के दौरान 1934 के भूजल स्तर में सुधार दिखाई दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि किसान भूजल को सहेजेगा तो उसे कई साल तक पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा.