50 करोड़ की जंगल की आंख में लापरवाही का मोतियाबिंद, DoIT को बार बार लिखने पर भी नहीं सुधारा सिस्टम

जयपुरः जंगलात महकमे ही तीसरी आंख में DoIT की लापरवाही का मोतियाबिंद हो चुका है. इस मोतियाबिंद का समय पर इलाज न होना पांच वर्ष में कई वन्यजीवों की जान ले चुका है. इस अवधि में रणथंभौर, सरिस्का, मुकंदरा और रामगढ़ विषधारी तथा सज्जनगढ़ में 39 बाघों की मौत हो चुकी है. हालांकि इनमें से कई प्राकृतिक मौत भी मरे लेकिन आंख में रोशनी होती तो मॉनिटरिंग प्रॉपर होती और उन्हें इलाज मिलता और शायद बच जाते. जिनका शिकार हुआ या जिन्हें मारा गया उन्हें शायद बचाया जा सकता था. पेश है इस जानलेवा लापरवाही पर. 

यहां लगाए गए थे टावर (एक टावर पर 5 कैमरे)
टावर का स्थान                    रेंज
1.. शेरपुर                         ROPT
2.. आमा घाटी                   ROPT
3.. हिल टॉप                      ROPT
4.. हाई प्वाइंट                   ROPT
5.. जागीरदार की हवेली       कुंडेरा
6.. भैरव जी का स्थान          कुंडेरा
7.. लाडा लाडी की घाटी      तालड़ा
8.. झूमर बावड़ी                ROPT
9.. राजबाग 1                   ROPT
10..राजबाग 2                   ROPT
11.. मानसरोवर डैम             ROPT
12.. बालाजी टैंट                 खंडार
निम्न तीन का सर्वे हुआ पर लगाए नहीं
1.. बस्सो टॉप                    कुंडेरा
2.. छोला डेह                    तालड़ा
3.. माता जी                      तालड़ा   

प्रदेश के टाइगर रिजर्व व लेपर्ड रिजर्व में वन्य जीवों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग के लिए वन विभाग के प्रस्ताव पर DoIT ने 28 करोड़ की लागत से GEPL नाम की कंपनी को 72 टावर और कैमरे लगाने का RISL के माध्यम से ठेका दिया. इस कंपनी ने साइबर सॉफ्ट मेंटेनेंस नाम की कंपनी से कंसोर्टियम कर टावल लगाए. पांच ड्रोन भी उपलब्ध करवाए. इसके अलावा 25 करोड़ के अन्य कार्य करवाए. कुछ समय बाद GEPL को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया. हालांकि पिछले दिनों इस कंपनी को क्लीन चिट दे दी लेकिन इस दौरान पांच वर्ष में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा.एक टावर में पांच कैमरे लगे होते हैं. थर्मल और ऑप्टिकल कैमरों की रेंज 4 से 5 किमी और पीटीजेड कैमरे की रेंज 2 किमी तक होती है. DOM कैमरों की रेंज 400 मीटर और बुलेट 1 व बुलेट 2 की रेंज भी 400 मीटर तक होती है. खास बात देखिए कि जो 12 टावर लगाए गए उनमें से राजबाग और मानसरोवर जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र में लगाए तीन टावर वर्ष 2021 से काम नहीं कर रहे. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, फील्ड डायरेक्टर और डीसीएफ द्वारा कई बार DoIT को पत्र लिखा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आइए वाइल्डलाइफ सर्विलांस एंड एंटी पोचिंग सिस्टम के खराब होने के खामियाजे पर ग्राफिक्स के जरिए डालते हैं नजर.

वर्ष                           क्षेत्र                     मृतक बाघ/बाघिन/शावक
2018                       रणथंभौर              दो शावक, जहर देकर
जून 2019                 सरिस्का                बाघ एसटी 16 
अक्टूबर 2019           रणथंभौर               बाघ टी 119 वीरू
जनवरी 2020             रणथंभौर              बाघ टी 25 जालिम
मार्च से अगस्त 2020   मुकंदरा                6 बाघ/बाघिन/शावक
अप्रेल 2021               रणथंभौर              टी 60 का शावक
मई 2021                  रणथंभौर              टी 102 का शावक
जून 2021                  रणथंभौर              टी 107 का शावक
जुलाई 2021               रणथंभौर             टी 65
अप्रेल 2022                सरिस्का               एसटी 6
मई 2022                   रणथंभौर              टी 61 और टी 69 का शावक
जून 2022                   रणथंभौर               टी 34 कुंभा
जून 2022                   सरिस्का                एसटी 3
दिसंबर 2022              सज्जनगढ़              टी 24 उस्ताद
जनवरी 2023              रणथंभौर               टी 57
जनवरी 2023              रणथंभौर               टी 114 व एक शावक
फरवरी 2023              रणथंभौर               टी 19 कृष्णा
फरवरी 2023              रणथंभौर               टी 117 का सब एडल्ट
मई 2023                    मुकंदरा                एमटी 4
मई 2023                    सज्जनगढ़             टी 104
सितंबर 2023              रणथंभौर               टी 79 व उसके दो शावक 
11 दिसंबर 2023        रणथंभौर                टी 69 का शावक 
जनवरी 2024             विषधारी                  RVT 2 का शावक
3 फरवरी 2024           रणथंभौर               टी 99 का शावक 
4 फरवरी 2024           रणथंभौर               टी 60 व उसका शावक 
7 जुलाई 2024             रणथंभौर               टी 58  
22 सितंबर 2024          रणथंभौर              टी 2312 की मौत
15 अक्टूबर 2024         विषधारी               RVT 2
3 नवंबर 2024              रणथंभौर              टी 86

प्रदेश में जनवरी 2019 से नवंबर 2024 तक करीब 39 बाघ-बाघिन व शावकों की मौत हो चुकी है. अकेले रणथंभौर में  इस अवधि में 27 बाघ मारे जा चुके हैं. जहरखुरानी, शिकार, बारूद का गोला, फंदा और पिछले दिनों बाघ टी 86 का सामूहिक कत्ल, प्राकृतिक मौत और इलाके की जंग को लेकर कई बाघों की मौत हो चुकी है. रणथंभौर 1700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और 10 जोन में पर्यटन करवाया जाता है. टी 86 सहित उन तमाम घटनाओं को रोका जा सकता था यदि थर्मल कैमरे काम कर रहे होते. दरअसल थर्मल कैमरों के जरिए बाघ सहित दूसरे वन्यजीवों की गतिविधि, उनकी शारीरिक संरचना, शिकार, मानवीय दखल, अवैध खनन, कटान और चराई सहित तमाम गतिविधियों पर नजर रखी जाती है. कैमरों की निगरानी से मिलने वाले आंकडे वन विभाग को बेहतर व्यवस्था की योजना और क्रियान्वयन में मदद करते हैं. विडंबना देखिए प्रदेश के टाइगर रिजर्व में बाघ मरते रहे, वन विभाग DoIT को बार बार पत्र लिखकर सिस्टम को ठीक करने का आग्रह करता रहा लेकिन DoIT के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. लंबे से समय से 50 करोड़ का सिस्टम खराब है पर ठीक करने की जहमत नहीं उठाई. वाइल्डलाइफ सर्विलांस एंड एंटी पोचिंग सिस्टम को लेकर सरकार को अब DoIT की निर्भरता छोड़कर किसी निजी और अनुभवी कंपनी से काम कराना चाहिए ताकि वन्यजीवों का भला हो सके.