जयपुर: लोकसभा चुनाव में वोटिंग के रियल टाइम और अंतिम आंकड़ों को लेकर मचे घमासान के बीच कांग्रेस अलर्ट हो गई है. कांग्रेस ने मतगणना से पहले सभी प्रत्याशियों को फार्म 17 सी अपने पोलिंग एजेंट से कलेक्ट करने की गाइडलाइन जारी की है. चार जून को मतगणना के दिन सेंटर पर फार्म 17 सी के वोटिंग के डेटा से मिलान करने के बाद ही गिनती शुरु करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल कांग्रेस को मतदान के कईं दिनों बाद वोटिंग प्रतिशत बढने के बाद गड़बड़ी होने की आशंका है.
लोकसभा चुनाव अब अंतिम चरण में है. आखिरी चरण के चुनाव के लिए 1 जून को मतदान होगा और उसके बाद चार जून को नतीजों आएंगे. इसी बीच वोटों के आंकड़े बढने के मसले को लेकर सियासत तेज शुरु हो गई है. मामले को लेकर एक.एनजीओ एडीआर भी सुप्रीम कोर्ट में मतदान समाप्ति के बाद फॉर्म 17 सी के तहत मतदान के अंतिम आंकड़े सार्वजनिक करने की याचिका लगा चुका है. लेकिन चुनाव आयोग ने वोटिंग के डेटा सार्वजनिक करने से मना कर दिया. लिहाजा कांग्रेस को आशंका है कि रियलट टाइम और अंतिम मतदान के आंकड़ों में कोई गड़बड़ी हो सकती है. लिहाजा उससे बचने के लिए कांग्रेस ने सभी प्रत्याशियों को यह फॉर्म अपने पोलिंग एजेंट से इकट्ठा करते हुए उसके डेटा जुटाने के निर्देश दे दिए हैं. आइए आगे बढ़ने से पहले आपको बताते है आखिर क्या होता है फार्म 17 सी जिसको लेकर इतना कोहराम मचा हुआ है.
फॉर्म 17 सी में हर मतदान बूथ पर डाले गए वोटों का रिकार्ड होता है
ईवीएम किस सीरियल नंबर की है?
बूथ पर मतदाताओं की टोटल संख्या क्या है?
17-ए के तहत मतदाताओं के रजिस्टर में वोटर्स की संख्या क्या है?
जिन्हें वोट नहीं देने दिया गया उनकी डिटेल
वोटिंग मशीन ईवीएम में दर्ज हुए वोटों की संख्या
बैलेट पेपर्स की संख्या क्या है?
छह पोलिंग एजेंट्स के हस्ताक्षर
चुनाव अधिकारी के हस्ताक्षर
-मतदान डाटा का उपयोग परिणाम को कानूनी रूप से चुनौती देने के लिए किया जा सकता है.
-ईवीएम गणना के साथ मिलान करके मतगणना के दिन परिणामों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है.
-कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के 49ए और 56सी के तहत चुनाव अधिकारी को फॉर्म17 सी के पार्ट-1 में वोटों की जानकारी भरनी होती है.
-फिर चुनाव अधिकारी की मौजूदगी में उम्मीदवारों के बूथ एजेंट को उसकी सर्टिफाइड कॉपी दी जाती है.
कुल मिलाकर इस फॉर्म में सभी डाले गए वोटों का डेटा होता है जिसका प्रत्याशी और उसका काउंटिंग एजेंट मतगणना के दिन मिलान कर सकता है. मतलब किसी तरह की हेराफेरी नहीं हो उसके लिए रिकॉर्ड का यह यह एक अहम दस्तावेज होता है. दरअसल यह विवाद तब पैदा हुआ जब चुनाव आयोग ने पहले चरण का डाटा जारी करने में 10 दिन की देरी की फिर अगले तीन चरणों के डाटा जारी करने में चार-चार दिन की देरी हुई. कांग्रेस ने आरोप लगाए कि एक करोड़ सात लाख वोट बढ गए हैं. आखिर चुनाव आयोग ने मतदान के 48 घंटों के भीतर वोटों के आंकड़े जारी क्यों नहीं कर रहा लिहाजा संभावित गड़बड़ी से बचने के लिए कांग्रेस अलर्ट हो चुकी है. राजस्थान कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को भी बाकायदा इसके सख्त निर्देश दिए हैं. अधिकांश प्रत्याशियों ने इस फार्म को इकट्ठा भी कर लिया है.
कांग्रेस ने देशभर के तमाम प्रत्याशियों को इसको लेकर अलर्ट कर दिया है. यहां तक की काउंटिंग एजेंट को बाकायदा इसकी पूरी ट्रेनिंग भी कांग्रेस पार्टी देने जा रही है. जिसमें सारा प्रोसीजर उन्हें समझाया जाएगा. सबकुछ सही होने के बाद ही मतगणना में शामिल होने के निर्देश दिए गए है. वहीं पार्टी ने अंतिम निर्णय आने तक मतगणना सेंटर पर जुटे रहने के भी निर्देश दिए हैं.
...फर्स्ट इंडिया न्यूज के लिए दिनेश डांगी की रिपोर्ट, जयपुर