जयपुरः मास्टर प्लान को धत्ता बताते हुए भू कारोबारी तो ईकोलॉजिकल और कृषि भूमि पर अवैध आवासीय कॉलोनी काट रहे हैं. वहीं रसूखदार व प्रभावशाली राजनीतिक परिवार भी भू-माफियाओं के साथ मिलकर आवासीय कॉलोनियों के साथ राजमार्गों से सटी ईकोलॉजिकल जोन की कृषि भूमियों पर अवैध वेयर हाउस स्कीम ला रहे हैं. जयपुर का एक ऐसे ही प्रभावशाली राजनीतिज्ञ परिवार जयपुर दिल्ली नेशनल हाईवे-48 पर दौलतपुरा में अवैध वेयर हाउस स्कीम काट रहे हैं.
दौलतपुरा पुलिस थाना के सामने और राधा-स्वामी सत्संग आश्रम के नजदीक अक्षर एनक्लेव के नाम से यह अवैध वेयर हाउस स्कीम बसाई जा रही है. जिस जमीन पर यह अवैध स्कीम काटी जा रही है, वह जयपुर के नामी गिरामी परिवार के नाम से है. इस परिवार की जैम्स-ज्वैलरी व रियल स्टेट से जुड़ी कंपनियों के नाम से खरीदी गई करीब 33 बीघा कृषि भूमि पर उक्त अवैध वेयर हाउस स्कीम बसाई जा रही है, जो जयपुर दिल्ली राजमार्ग पर है.
इस जमीन का एक हिस्सा सीकर रोड पर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर से आने वाली टोडी हरमाड़ा सड़क से जुड़ा हुआ है
यह क्षेत्र ईकोलॉजिकल जोन में आता है,साथ ही राजस्थान वन अधिनियम 1953 के तहत आरक्षित वन क्षेत्र में भी आता है
ऐसे में जेडीए की अनुमति बिना इस क्षेत्र में किसी भी तरह की आवासीय, कॉमर्शियल या संस्थानिक गतिविधियां नहीं हो सकती हैं
बावजूद इसके रसूखदार ने अपने रसूखातों के चलते अवैध तरीके से वेयर हाउस के बड़े-बड़े भूखंड बेचने में लगे हुए हैं
ये रसूखदार जयपुर विकास प्राधिकरण से कृषि भूमि का लैंड कंवर्जन कराए बिना और
ले आउट प्लान मंजूर करवाए बिना ही अवैध वेयर हाउस स्कीम काट रहे हैं
वो भी जयपुर मास्टर प्लान के विपरीत और राजस्थान हाईकोर्ट के गुलाब कोठारी प्रकरण में दिए गए दिशा-निर्देशों की अवहेलना करते हुए यह स्कीम लाई गई है.
इस अक्षर एनक्लेव के नक्शे में 117 भूखंड सृजित हैं
जानकारों के अनुसार उक्त 33 बीघा कृषि भूमि का बेचान एग्रीमेंट के आधार पर कर दिया है
इस जमीन को स्थानीय भू-कारोबारी व उनके साथियों ने मिलकर ली है
हालांकि वेयर हाउस के भूखंड की रजिस्ट्री उनके नाम से ही करवा रहे हैं और जमाबंदी में भी इन्हीं के नाम से जमीन है
प्रभावशाली परिवार से जुड़े लोगों की जमीन होने व जेडीए की कार्यवाही नहीं होने की गारंटी के चलते उक्त वेयर हाउस स्कीम में अधिकतर भूखंड बिक चुके हैं
अभी तक स्कीम में सड़क नहीं बनी है और न ही ब्लॉक तैयार हुए हैं
लेकिन प्राइम लोकेशन की जमीन व रसूखदार परिवार के चलते प्रॉपर्टी डीलर्स ने ब्लॉक में भूखंड खरीदें हैं
तो विश्वकर्मा व बढ़ारणा के व्यापारियों ने भी यहां पर भूखंड खरीदें हैं
जानकारों की माने तो साठ फीसदी भूखंड बिक चुके हैं
रजिस्ट्री के माध्यम से ही भूखंड़ों का खरीद-बेचान हो रहा है, जिसमें बाजार भाव से लेन-देन हो रहा है
लेकिन रजिस्ट्री डीएलसी दर पर ही हो रही है,लेन-देन में भारी ब्लैकमनी का इस्तेमाल हो रहा है
जेडीए से बिना मंजूरी के बसाई जा रही उक्त अवैध वेयर हाउस स्कीम से जेडीए को भी लाखों-करोड़ों रुपयों की राजस्व चोरी की चपत लग रही है तो राजमार्ग पर अवैध औद्योगिक बसावट को बढ़ावा मिल रहा है, जो भविष्य में यातायात में बाधक बनेगा.
जयपुर दिल्ली राजमार्ग से सटी होने के कारण यह अवैध वेयर हाउस स्कीम प्राइम लोकेशन पर है
जो ट्रांसपोर्ट नगर के पास भी है, यहां पर अभी अलग-अलग ब्लॉक बनाने व सड़क के लिए जमीन को समतल किया जा रहा है
लेकिन इससे पहले ही इस प्राइम लोकेशन की स्कीम के अधिकतर भूखंड बिक चुके हैं
अभी भी भूखंड़ों के खरीद-बेचान का काम जोरों पर है,इस स्कीम के आगे और दायीं तरफ दो सौ फीट राजमार्ग है, जो जयपुर दिल्ली और जयपुर सीकर राजमार्ग से जुड़ा हुआ है
अंदर की तरफ पचास और साठ फीट की सड़क रखी गई है,स्कीम में एक बीघा से लेकर चार सौ वर्गगज तक के भूखंड सृजित किए हुए हैं
1500 वर्गगज और इससे ऊपर के सभी भूखंड राजमार्ग के सटे हुए हैं तो
स्कीम के अंदर की तरफ पचास व साठ फीट सड़क पर एक हजार से चार सौ वर्गगज के भूखंड है
प्रॉपर्टी डीलर्स ने भूखंड की कीमत अलग-अलग ब्लॉक के हिसाब से 13 हजार रुपये से 15 हजार रुपये प्रति वर्गगज रखी हुई है
भू-कारोबारियों ने दस से बारह हजार रुपये प्रति वर्गगज के हिसाब से प्रॉपर्टी डीलर्स को भूखंड बेचे हैं
कृषि भूमि पर बिना लैंडयूज चेंज कराए बिना ही काटी जा रही इस अवैध वेयर हाउस स्कीम को लेकर स्थानीय ग्राम पंचायत के सरपंच
और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भी जेडीए प्रशासन को लिखित शिकायत दे रखी है
लेकिन रसूखदार राजनीतिक परिवार के प्रभाव के चलते प्रशासन कार्यवाही नहीं कर रहा है