खरमास खत्म फिर गूंजेगी शहनाइयां, 14 अप्रैल को पहला विवाह मुहूर्त, शुरू होंगे शुभ कार्यक्रम, मई 2025 में सबसे ज्यादा शादियां

खरमास खत्म फिर गूंजेगी शहनाइयां, 14 अप्रैल को पहला विवाह मुहूर्त, शुरू होंगे शुभ कार्यक्रम, मई 2025 में सबसे ज्यादा शादियां

जयपुर: 14 अप्रैल को सूर्य के राशि परिवर्तन के बाद से फिर शादियों का दौर शुरू हो जाएगा.  खरमास खत्म होते ही विवाह, देव प्रतिष्ठा, नूतन गृह निर्माण, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य 14 अप्रैल के बाद शुरू हो गए हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 14 मार्च से लगे खरमास की समाप्ति 13 अप्रेल को रही है. जिसके बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास यानी मीन महीना खत्म हो गया है. इससे पहले 14 मार्च को सूर्य के मीन राशि में आने के बाद मीन मास चल रहा था. खरमास होने के कारण पिछले एक महीने से हर तरह के मांगलिक कामों पर रोक लगी हुई थी. लेकिन अब इनके लिए मुहूर्त रहेंगे. ज्योतिष ग्रंथों में कहा गया है कि जब सूर्य मीन राशि में रहता है तब इन दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं करने चाहिए. इस दौरान सिर्फ जप, तप और स्नान-दान करना चाहिए. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि आगामी 6 जुलाई 2025 देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होगा. इस कारण जुलाई से अक्टूबर तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे. मुहूर्त 1 नवंबर को देव उठनी एकादशी पर रहेगा, परंतु इसके परंतु इसके बाद विवाह मुहूर्त सीधे 21 नवंबर से से शुरू होंगे. साल 2025 में गुरु 12 जून से 9 जुलाई तक 27 दिन के लिए अस्त होने वाले हैं. इसके अलावा शुक्र ग्रह 19 मार्च से 23 मार्च तक 4 दिन तक अस्त रहेंगे. इसके बाद दोबारा से 12 दिसंबर से 31 दिसंबर तक 24 दिन तक शुक्र अस्त रहेंगे. इस दौरान शुभ काम नहीं होंगे.

गृह प्रवेश विवाह और शुभ काम
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि खरमास यानी मीन मास खत्म हो जाने से 16 संस्कार और अन्य शुभ काम किए जा सकते हैं. शुभ मुहूर्त और शुभ दिन में अन्नप्राशन, नामकरण, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ और अन्य शुभ काम किए जा सकते हैं. सूर्य के मेष राशि में आते ही गृह प्रवेश और विवाह के भी मुहूर्त रहेंगे. अब देवगुरु बृहस्पति भी खुद की राशि यानी मीन में आ गए हैं. जिससे हर मांगलिक कामों में गुरु का बल और बढ़ जाएगा.

14 अप्रैल से शुरू होंगे शुभ कार्यक्रम
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 14 अप्रैल को होने वाली मेष संक्रांति सिर्फ खगोलीय घटना नहीं है. यह नए मंगल कार्यों की शुरुआत का संकेत है. जैसे ही सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है और विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार जैसे आयोजनों की शुरुआत फिर से हो सकती है. आप भी लंबे समय से इंतजार कर रहे थे तो अब समय आ गया है कि आप भी इन तिथियों में अपना मांगलिक कार्य संपन्न कर सकते हैं.

मई 2025 में सबसे ज्यादा शादियां
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मई माह में सबसे अधिक विवाह के मुहूर्त बनेंगे. इन माह में जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर शामिल हैं. वहीं, जून में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे. इसके बाद नवंबर और दिसंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे. इस बार गुरु ग्रह वृषभ राशि में रहेंगे और 12 फरवरी तक सूर्य मकर राशि में रहेंगे. विवाह के लिए इन ग्रहों की गणना देखी जाती है. इनका नवम पंचम योग बनेगा. यह नवम पंचम योग लाभकारी रहेगा.

विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विवाह और सगाई जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त को शुभ माना जाता है. अगर किसी के विवाह की तारीख नहीं निकल पा रही है या फिर किसी कारण से शुभ मुहूर्त वाले दिन विवाह करना संभव ना हो तो अबूझ मुहूर्त में भी विवाह किया जा सकता है. धर्मग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी और देव प्रबोधिनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त माना गया है. 

जुलाई से अक्टूबर में कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं 
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं. इस अवधि में विवाह और अन्य शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. वर्ष 2025 में 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी पड़ रही है, जिसके बाद भगवान विष्णु चार महीने तक विश्राम करेंगे. यह अवधि नवंबर में 1 तारीख को देवउठनी एकादशी पर समाप्त होगी. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जो धार्मिक दृष्टि से विशेष होता है इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है. इस दौरान शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करना ज्योतिषीय नियमों के अनुसार वर्जित होता है. ऐसे में यदि आप ज्योतिष और शुभ मुहूर्त का पालन करते हैं, तो इन महीनों में विवाह या उससे संबंधित कार्य करने से बचें. यह समय पूजा-पाठ और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त माना जाता है. देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त पुनः आरंभ हो जाएंगे. इसलिए अपने विवाह की योजना बनाते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें और शुभ समय का चयन करें ताकि आपका दांपत्य जीवन सुखी और समृद्ध हो.

विवाह का धार्मिक महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सनातन धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है, जो कई प्रकार की परंपराओं और मान्यताओं से समृद्ध है. इस परंपरा में से एक शुभ विवाह भी है, यह जीवन का सबसे खुशनुमा पल होता है. विवाह कई तरह से किए जाते हैं, प्रत्येक के अपने-अपने रीति-रिवाज और महत्व होते हैं. हिंदू धर्म में यह 16 संस्कारो मे से एक होता है और इसके बगैर कोई भी व्यक्ति ग्रहस्थाश्रम में प्रवेश नहीं कर सकता है. इसलिए हमारे शास्त्रों में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी माना जाता है.

आईए  भविष्यवक्ता और कुंडली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास से जानते है वर्ष 2025 के शुभ मुहूर्त
 
अप्रैल: 14, 16, 18, 19, 20, 21, 22, 25, 29, 30
मई: 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 28
जून: 1, 2, 4, 5, 6, 7, 8 
नवंबर: 21, 22, 23, 24, 25, 26, 30
दिसंबर: 1, 4, 5, 6
( कुछ पंचांग में भेद होने के कारण तिथि घट बढ़ सकती है और परिवर्तन हो सकता है. )

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