VIDEO: प्रधानमंत्री का बॉर्डर टूरिज्म का सपना हो रहा साकार, तनोट-बॉर्डर सीमा चौकी से जुड़ेंगी देशभक्ति की धड़कनें, देखिए ये खास रिपोर्ट

जैसलमेर(सूर्यवीरसिंह तंवर): राजस्थान का मरुस्थलीय क्षेत्र जैसलमेर… जहां इतिहास की धड़कनें आज भी हवा में गूंजती हैं. सोने जैसे धोरों से सजे इस जिले की पहचान अब सिर्फ हवेलियों और किलों तक सीमित नहीं रहने वाली.अब जैसलमेर देश के सबसे बड़े बॉर्डर टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में उभरने जा रहा है.जहां रोमांच होगा, संस्कृति होगी, और सबसे खास - वो जज़्बा होगा, जो सरहद पर तैनात जवानों की आंखों में झलकता है.भारत-पाक सीमा पर बसा जैसलमेर अब पर्यटन के नक्शे पर एक नई कहानी लिखने को तैयार है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि भारत की सीमाएं आखिरी गांव नहीं, बल्कि पहले गांव हैं.यही सोच अब हकीकत का रूप ले रही है.जैसलमेर में बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार, सीमा सुरक्षा बल और स्थानीय प्रशासन मिलकर व्यापक योजनाएं लागू कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हाल ही में कहा कि देश की सीमाओं पर जितनी गतिविधियां होंगी, वहां का जनजीवन उतना ही मजबूत और सुरक्षित होगा.सरकार की प्राथमिकता है कि बॉर्डर पर पर्यटन को विकसित कर वहां के नागरिकों को सम्मान और रोज़गार मिले.उन्होंने बताया कि पहले बॉर्डर इलाकों से लोग पलायन कर रहे थे, क्योंकि वहां सुविधाएं नहीं थीं, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं.तनोट मंदिर और उसके आसपास सड़कों, बिजली, पानी और पर्यटक केंद्रों का विकास हो रहा है.ये सब प्रधानमंत्री की उस सोच का हिस्सा है जो सीमावर्ती गांवों को भारत के विकास का पहला पड़ाव मानते हैं.

सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ अब केवल देश की रक्षा ही नहीं कर रहा, बल्कि पर्यटन के ज़रिए देश की भावनात्मक सुरक्षा को भी मजबूत कर रहा है.बीएसएफ के डीआईजी योगेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि “बॉर्डर टूरिज्म के लिए एक विशेष योजना तैयार की जा रही है.हमारा उद्देश्य यह है कि हर भारतीय को यह अवसर मिले कि वह सरहद की ज़िंदगी को नज़दीक से देख सके. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के मन में यह भावना होती है कि वह उन जगहों को देखे, जहां हमारे जवान सीमाओं की सुरक्षा में तैनात हैं.लेकिन सुरक्षा के लिहाज से कई प्रतिबंध भी हैं.इसलिए एक संतुलित और सुरक्षित व्यवस्था तैयार की जा रही है, जिसमें पर्यटक सीमाओं का दर्शन भी कर सकें और सुरक्षा को भी कोई खतरा ना हो. बीएसएफ स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर रिट्रीट सेरेमनी, पर्यटक गैलरी, सेना के लाइव डेमो, और युद्ध स्मृति केंद्र विकसित करने पर काम कर रही है.इसका मकसद है- देशभक्ति, रोमांच और जानकारी का संगम.

अब जैसलमेर के पर्यटक सिर्फ सम के धोरों या किलों तक सीमित नहीं रहेंगे.अब उनके पास एक नया विकल्प होगा -सीमा दर्शन.तनोट माता मंदिर, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध का गवाह रहा है, अब धार्मिक आस्था के साथ-साथ देशभक्ति की भावना का केंद्र भी बनेगा.यहां भारत सरकार की मदद से एक अत्याधुनिक पर्यटन केंद्र विकसित किया जा रहा है, जहां रुकने, खाने और जानकारी पाने की पूरी व्यवस्था होगी. तनोट के आगे बबलियान पोस्ट पर भी पर्यटकों को सीमाओं का सीधा अनुभव दिया जाएगा.

यहां पर वाघा बॉर्डर की तर्ज पर रिट्रीट सेरेमनी आयोजित होगी, जो पर्यटकों को रोमांच, अनुशासन और गौरव का अद्वितीय अनुभव देगी.इसके अलावा, लोंगेवाला युद्ध स्मारक पहले ही पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है.अब यहां तक पहुँचने के रास्तों को बेहतर बनाया जा रहा है, साथ ही युद्ध स्मृति से जुड़े ऑडियो-विजुअल शोज़ की शुरुआत भी की जाएगी. इन सभी स्थानों पर ‘सीमा दर्शन पास’ के ज़रिए नियंत्रित संख्या में पर्यटकों को प्रवेश दिया जाएगा, जिससे सुरक्षा और अनुभव दोनों सुनिश्चित रहेंगे.

स्थानीय विकास और आर्थिक प्रभाव बॉर्डर टूरिज्म का सबसे बड़ा लाभ जैसलमेर के आम नागरिकों को मिलेगा.अभी जैसलमेर आने वाले पर्यटक औसतन दो दिन-रात यहां रुकते हैं, लेकिन बॉर्डर टूरिज्म जुड़ने से ठहराव एक दिन और बढ़ेगा.इससे होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी, हस्तशिल्प, लोक कलाकार और बाजार सभी को लाभ मिलेगा.पर्यटन विशेषज्ञ के अनुसार, बॉर्डर टूरिज्म से जैसलमेर में सालाना 60 से 80 करोड़ रुपए तक का अतिरिक्त कारोबार हो सकता है.इसके अलावा सीमावर्ती गांवों में होमस्टे, ग्रामीण अनुभव, लोकनृत्य, कारीगरी और कैमल सफारी जैसे विकल्प भी विकसित किए जा सकते हैं.सरकार की योजना है कि स्थानीय युवाओं को टूर गाइडिंग, फोटोग्राफी, इको-टूरिज्म और सेवा क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाए, जिससे उन्हें अपने गांव छोड़ने की ज़रूरत न पड़े.

राजस्थान सरकार ने भी बॉर्डर टूरिज्म को लेकर कई घोषणाएं की हैं.बजट 2024-25 में जैसलमेर और तनोट में पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए विशेष प्रावधान किया गया है.टेंट सिटी, व्यू पॉइंट्स, लाइट एंड साउंड शो, और बॉर्डर सफारी जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो चुका है. भारत सरकार के सहयोग से सीमा पर्यटन विकास योजना के तहत BSF पोस्ट्स के आसपास आवश्यक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं.साथ ही केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने जैसलमेर को देश के प्रमुख “डेज़र्ट एंड डिफेंस टूरिज्म ज़ोन” के रूप में प्रमोट करने का निर्णय लिया है।स्थानीय पंचायतों को भी इसमें भागीदारी दी जा रही है ताकि गांव के स्तर पर भी लोग इसका लाभ ले सकें.जैसलमेर का जिला प्रशासन पर्यटन विभाग और सेना के बीच समन्वय स्थापित कर रहा है, जिससे यह मॉडल पूरे देश में दोहराया जा सके.

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