रिपोर्टर- दिनेश डांगी
जयपुरः आखिरकार नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली का सस्पेंस खत्म कर दिया.राहुल गांधी ने अपनी ट्रेडिशनल सीट अमेठी छोड़कर रायबरेली से नामांकन दाखिल कर दिया है.अब सियासी गलियारों में राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. आखिर राहुल ने क्यों छोड़ी अमेठी और दोनों सीटें जीतने पर फिर वो किसे चुनेंगे. इन तमाम सवालों का जवाब बताते है हमारी इस खास रिपोर्ट में.
नामांकन के साथ ही अब तय हो गया है कि राहुल गांधी रायबरेली से ही चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने आज सुबह आधिकारिक तौर पर राहुल गांधी के अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने का ऐलान किया.उससे पहले तमाम लोग राहुल गांधी के अमेठी से ही रण में उतरने का दावा कर रहे थे. राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने पर भाजपा उन्हें रणछोड़दास करार दे रही है और लगातार इस मुद्दे को सियासी तूल दे रही है. आखिर राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव क्यों नहीं लड़ा, एक्सपर्ट इसके कई कारण मानते हैं.
अमेठी लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा आती है..2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला और इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का कब्जा है.4 सीटों पर तो कांग्रेस तीसरे नंबर रही थी.कांग्रेस को महज 14 फीसदी वोट मिले
2019 में स्मृति ईरानी से हारने के बाद राहुल गांधी सिर्फ दो बार ही अमेठी आए.राहुल दिसम्बर 2021 और फिर भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान अमेठी पहुंचे..वहीं स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपना घर भी बना लिया और वहां की वो मतदाता भी बन चुकी है..
गांधी परिवार के कई करीबी नेता बीजेपी में हुए शामिल..संजय सिंह जैसे भरोसेमंद नेता बीजेपी में चले गए.उससे पहले जंग बहादुर सिंह भाजपा में शामिल हो गए थे.
अमेठी में बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक की कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.इस सीट पर करीब 18 फीसदी ब्राह्मण और करीब 11 फीसदी राजपूत वोट है.परंपरागत तौर पर यह बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है. इन जातिगत समीकरणों को साधना राहुल गांधी के लिए एक बड़ा चैलेंज था.
हार का जोखिम लेना सियासी नजरिए से भारी पड़ सकता है.अगर राहुल गांधी अमेठी से लड़ते और एक बार फिर स्मृति ईरानी से मात खा जाते तो उनके कद को बड़ा झटका लगता और रिवाइवल की कोशिशें भी प्रभावित होती. वहीं फिर यूपी में कांग्रेस को खड़ा करने के प्रयासों को बड़ा धक्का पहुंचता.
तो एक्सपर्ट की राय में ये वो कारण है जिनके चलते राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ने का जोखिम नहीं लिया और सेफ सीट रायबरेली से नामांकन दाखिल किया. नामांकन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे,पूर्व सीएम अशोक गहलोत और संगठन महासचिव वेणुगोपाल मौजूद रहें. अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले का मैं स्वागत करता हूं. गहलोत ने दावा किया कि वो अमेठी और रायबरेली दोनों सीट भारी बहुमत से जीतेंगे.
नामांकन के बाद अब सियासी गलियारों फिर एक चर्चा शुरु हो चुकी है कि अगर राहुल वायनाड और रायबरेली दोनों जगह से जीत जाते है, तो फिर कौनसी सीट को छोड़ेंगे. नियमों के तहत एक सीट तो राहुल को फिर छोड़नी होगी. ऐसे में क्या फिर प्रियंका गांधी को एक सीट पर उपचुनाव लड़ाया जाएगा. क्योंकि जयराम रमेश ने अपने बयान से यही संकेत दिए हैं. खैर,अब इस सस्पेंस से तो पर्दा 4 जून को नतीजे आने के बाद ही हट पाएगा.