जयपुर: लैंड फॉर लैंड के लंबित और भावी प्रकरणों के निस्तारण के लिए राज्य सरकार ने नीति जारी कर दी है. इस नई नीति के तहत मुआवजे की भूमि के आवंटन को लेकर महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं.
प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार के लैंड फॉर लैंड के मामले चर्चित रहे थे. इन मामलों में दूरदराज के इलाकों में भूमि समर्पित करने की बदले अधिक कीमत की भूमि देने के आरोप लगे. नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने भी पिछली सरकार के इन मामलों में गड़बड़ी के आरोप लगाए. इस लिहाज से नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा के निर्देश पर नगरीय विकास विभाग ने लैंड फॉर लैंड के लिए नई नीति जारी कर दी है.
इस बारे में विभाग की ओर से हाल ही जारी आदेश में कुछ नए प्रावधान जोड़कर यह कोशिश की गई है कि भूमि अधिग्रहण के बदले बतौर मुआवजा दी जाने वाली विकसित भूमि के आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं हो. इससे पहले पिछली सरकार में 1 जून 2022 को आदेश जारी कर लैंड फॉर लैंड के मामलों के निस्तारण की नीति लागू की गई थी. इसके बाद 29 नवंबर 2022 और 5 जून 2023 को आदेश जारी कर इस नीति में संशोधन किए गए. मौजूदा सरकार की ओर से जारी इस नई नीति में कुछ पुराने प्रावधानों को दोहराया गया है. आपको बताते हैं कि इस इस नई नीति के मुताबिक किस प्रकार बतौर मुआवजा दी जाने वाली विकसित भूमि का आवंटन किया जा सकेगा.
-खातेदार को बतौर मुआवजा दिया जाने वाला विकसित भूखंड उसकी ही अवाप्त भूमि से से दिया जाएगा
-अगर उसी भूमि में विकसित भूखंड देना संभव नहीं हो तो जिस योजना के लिए भूमि अवाप्त की गई
-उसी योजना में खातेदार को विकसित भूखंड आवंटित किया जाएगा
-अगर योजना में भी विकसित भूखंड देना संभव नहीं हो तो
-उस राजस्व ग्राम में भूखंड का आवंटन किया जाएगा,जिस राजस्व ग्राम में योजना प्रस्तावित की गई है
-अगर राजस्व ग्राम में भी भूखंड देना संभव नहीं हो तो निकटस्थ स्थान पर भूमि दी जाएगी
-निकटस्थ स्थान पर भूखंड आवंटन के मामले में समतुल्यता का निर्धारण डीएलसी दर के आधार पर किया जाएगा
-ऐसे में जहां भूमि अधिग्रहित की गई हैं वहां की विकसित भूमि की डीएलसी दर और
-जहां मुआवजा का विकसित भूखंड दिया जाएगा वहां विकसित भूमि की डीएलसी दर से समतुल्यता निर्धारित की जाएगी
-अन्यत्र स्थान पर मुआवजे के सभी मामले राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजे जाएंगे
-सरकार की स्वीकृति के बाद ही संबंधित निकाय विकसित भूखंड का आवंटन कर सकेगा
-नई नीति में ऐसे सभी मामलों में सरकार की स्वीकृति लेना आवश्यक किया गया है
भूमि अधिग्रहण या आपसी समझौते के मामलों में खातेदारों को विकसित भूखंड का आवंटन करने के लिए लागू की गई इस नई नीति में खातेदारों की ओर से विकल्प प्रस्तुत करने की समय सीमा तय की गई है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है किन मामलों में विकसित भूखंड का मुआवजा दिया जा सकता है और किन मामलों में जमीनी मुआवजा देना संभव नहीं हैं.
-नई नीति लागू करने के लिए जारी आदेश में सरकार ने निकायों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं
-इसके अनुसार खातेदार निर्धारित अवधि में ही जमीनी मुआवजा लेने के लिए विकल्प दे सकेंगे
-अवाप्ति की अधिसूचना जारी होने की तिथि के एक वर्ष की अवधि में
-और निकाय व खातेदार के बीच हुए समझौते के एक वर्ष वर्ष की अवधि में ही विकल्प दे सकेंगे
-सभी निकायों को यह हिदायत दी गई है सभी लंबित मामले में आगामी तीन माह में निपटाए जाएं
-इसके लिए पहले सभी लंबित प्रकरणों और आवंटन याेग्य भूमि की अलग-अलग सूची तैयार की जाए
-नीति के तहत जमीनी मुआवजे के लिए खातेदार तीन स्थितियों में विकल्प दे सकेगा
-पहली स्थिति-अवार्ड में विकसित भूमि के मुआवजे का उल्लेख हो
-अथवा खातेदार ने पहले ही इस बारे में विकल्प प्रस्तुत कर दिया हो
-दूसरी स्थिति-अवार्ड नकद मुआवजे का पारित किया गया हो
-लेकिन खातेदार ने नकद मुआवजा नहीं लिया और
-ना ही निकाय द्वारा मुआवजा न्यायालय में जमा कराया हो
-तीसरी स्थिति-नगद मुआवजे का अवार्ड पारित किया गया हो
-लेकिन खातेदार ने नकद मुआवजा नहीं लिया ही
और मौके पर खातेदार का कब्जा हो अथवा न्यायालय से स्थगन आदेश हो
-इसके अलावा किन नकद अवार्ड के मामलों में जमीनी मुआवजा नहीं दिया जाएगा
-उसको लेकर भी सरकार की नई नीति में स्थिति स्पष्ट की गई है
-अगर निकाय ने भूमि का भौतिक कब्जा ले लिया है
-योजना की क्रियान्विति की जा चुकी है
-मुआवजा राशि न्यायालय में जमा है या
-मुआवजा राशि का भुगतान खातेदार को किया जा चुका है तो
-ऐसे नकद मुआवजे के अवार्ड के प्रकरणों में जमीनी मुआवजा नहीं दिया जाएगा