राजस्थान में औसतन 60 आईएएस की कमी, केन्द्र को भेजी गई इजाफा करने की सिफारिश

जयपुरः राजस्थान कैडर रिव्यू के हर पैमाने पर खरा उतरने के बावजूद आईएएस  कैडर आवंटन में अन्याय झेल रहा है. ब्यूरोक्रेटिक जरूरतों के मुताबिक राजस्थान में औसतन 60 आईएएस की कमी मानी जाती है. इसी के चलते राजस्थान के आईएएस अधिकारियों के अभी के 313 के कुनबे में 52 का और इजाफा करने की सिफारिश केन्द्र को भेजी गई थी,लेकिन राज्य सरकार को 8 साल के बाद आईएएस के 19 ही बढ़े पद मिले. 

क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद राजस्थान में आईएएस अन्य छोटे राज्यों से खासे कम हैं. इस वजह से अब राज्य सरकार ने 25 जुलाई 2022 को राजस्थान में अभी के राजस्थान के 313 के मुकाबले 365 का आईएएस कैडर करने का प्रस्ताव भेजा था जिसके बाद अब प्रदेश को 19 बढ़े पद मिले जिसके बाद अब प्रदेश में कुल आईएएस की संख्या 332 हो गई है. 

ऐसे बढ़े पद 
-पिछला कैडर रिव्यू 2016 में हुआ था जिसके बाद 8 साल का लंबा अंतराल रहा और अब अलग-अलग श्रेणियों में कैडर रिव्यू में पद बढ़ाए गए हैं. 

श्रेणी                                    2016               2022             कुल पद बढ़े
वरिष्ठ ड्यूटी                        170                   180                10
केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व      68                      72                 4
राज्य प्रतिनियुक्ति रिजर्व          42                    45                  3
प्रशिक्षण रिजर्व                       5                       6                   1
छुट्टी व कनिष्ठ रिजर्व              28                    29                    1
कुल पद                            313                     332                 19

-इन पदों में से ही स्टेट सेवा से आईएएस में पदोन्नति के 95 से 101 पद हो गए हैं. लेकिन यह पद कुल 332 पदों में से ही है. साथ ही स्टेट सेवा के कुल पदों में से राज्य सरकार को जरूरत पड़ने पर अन्य सेवाओं से आईएएस पदोन्नति के लिए भी पदों का इंतजाम करना पड़ता है. 

कब कब हुआ कैडर रिव्यू और कैसे हुआ अन्याय  ?
-हर 5 सालों में आईएएस का कैडर रिव्यू होता है. 

18 दिसंबर 1982 को हुए कैडर रिव्यू में कुल 4.08 प्रतिशत बढ़ोतरी करते हुए 255 आईएएस का कैडर किया गया. 

5 अक्टूबर 1987 को हुए रिव्यू के आदेश में कुल 3.13 प्रतिशत इजाफे के साथ 8 पद बढ़ाते हुए 263 का कैडर किया गया. 

16 अगस्त 1991 के आदेश अनुसार महज 3 पद बढ़ाते हुए इसे 266 किया गया. यह बढ़ोतरी 1.14 % थी.

राजस्थान देश में ऐसा पहला राज्य है जहां 1991 से 2010 तक के बीस सालों में कैडर में बढ़ोतरी के बजाय कमी की गई. 

1991 में जो 266 का कैडर था उसमें सवा 2 प्रतिशत की कमी करते हुए 27 जून 1997 को हुए रिव्यू में 260 का किया गया. 

11 अगस्त 2004 के रिव्यू में यह संख्या जस की तस रखी गई और आखिरकार 26 मई 2010 को हुए रिव्यू में इसमें 13.84% का इजाफा करते हुए इसे 296 कर दिया गया. 

2010 के बाद नियमित 5 सालों के बजाय रिव्यू 6 साल में हुआ और 27 दिसंबर 2016 को इसमें 5.74% यानि 17 पदों का इजाफा करते हुए इसे 313 का किया गया. 

इसके बाद अब 8 सालों बाद राज्य को 19 बढ़े पद मिले हैं. 

राजस्थान के ज्यादा क्षेत्रफल और अब नए जिले बनने के बाद भी ये पद नाकाफी माने जा रहे हैं. 

केन्द्र सरकार का हर कैडर रिव्यू में 5 प्रतिशत के इजाफे पर जोर रहा है.

इस बार हालांकि 6 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी तो की गई है. लेकिन इसमें स्टेट सेवा से आईएएस पदोन्नति और नए बने जिलों में शहरी जिला प्रशासन और शहरी निकाय मजबूत करने के लिए जरूरी पदों की संख्या तय करने में राज्य सरकार के हाथ बंधे हुए ही महसूस किए जाएंगे.

इस पैमाने पर 1979 के बाद से अब तक यह कैडर 373 का होना चाहिए-

1979 में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ यह कैडर 245 होना चाहिए था.  1984 में 257, 1989 में 270,1994 में 284,  1999 में 298, 2004 में 313,2009 में 329, 2014 में 345, 2019 में  यह 362 और 2024 में यह आंकड़ा 373 होना चाहिए. 

जबकि राजस्थान ने 52 पद बढ़ाकर आईएएस का कैडर 365 करने का प्रस्ताव रखा था जो पहले ही अनुमानित संख्या से 8 कम है. 

कैसे हो रहा अन्याय ?
राज्य के बजट के आधार पर 2010 से 2021 तक राज्य का बजट 315 प्रतिशत बढ़ा है जिसके मुकाबले आईएएस कैडर में महज 23 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी हुई है. 

राज्य सरकार के कर्मचारियों की संख्या के आधार पर 1979 में सरकारी कर्मचारी 3 लाख 19 हजार 950 थे. यह संख्या बढ़कर अब 10 लाख 12 हजार 389  हो गई है. यह बढ़ोतरी 216 प्रतिशत है. 

क्षेत्रफल और जनसंख्या के आधार पर आईएएस आवंटन राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है और करीब उसके जितना ही बड़ा लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से कुछ कम मध्यप्रदेश राज्य में भी राजस्थान से ज्यादा आईएएस हैं. 

मध्यप्रदेश का क्षेत्रफल 3 लाख 8 हजार 245 है और 2011 की जनगणना के हिसाब से उसकी जनसंख्या 7.26 करोड है जिसके 2021 में आकलन के आधार पर 8.5 करोड होना माना गया है. उसकी कैडर स्ट्रेंथ 430 से ज्यादा की है. 

2022 के आकलन के आधार पर एमपी में प्रति करोड की आबादी में आईएएस अधिकारी 52 हैं और हर आईएएस अधिकारी के हिसाब से 702 स्कवायर किलोमीटर हिस्सा कवर है. 

इसके मुकाबले राजस्थान को देखें तो 2022 तक राजस्थान का क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार  239 है. 2011 में इसकी जनसंख्या 6.85 करोड है जो कि 2021 में 8.1 करोड अनुमानित है. इसकी कैडर स्ट्रेंथ 313 ही थी जो अब बढ़कर 332 हो गई है. 

-2022 के आकलन के आधार पर प्रति करोड आबादी में राजस्थान में आईएएस आवंटन को देखें तो यह संख्या 39 है और हर 1093 स्कवायर किलोमीटर में एक आईएएस है. 

-2022 के आकलन के आधार पर पंजाब और हरियाणा में प्रति करोड आबादी पर 77-77 आईएएस है. पंजाब में प्रति 206 स्कवायर किलोमीटर में 1 आईएएस है तो हरियाणा में 218 स्कवायर किलोमीटर में एक आईएएस है. 

2022 के आकलन के आधार पर तमिलनाडु में प्रति करोड आबादी पर 49 और छत्तीसगढ़ में प्रति करोड आबादी में 60 आईएएस हैं. तमिलनाडु में 346 स्कवायर किमी में 1 तो छत्तीसगढ़ में 700 स्कवायर किमी में एक आईएएस है. 

इस तरह ज्यादा क्षेत्रफल और आबादी होने पर भी राजस्थान के साथ कम आईएएस होने का अन्याय हो रहा है. 

2013 के बाद जिन राज्यों का कैडर रिव्यू हुआ वहां भी राजस्थान से ज्यादा पद बढ़े-
महाराष्ट्र में 2018 में हुए कैडर रिव्यू में आईएएस की संख्या 361 से बढ़कर 415 हो गई. 54 पद बढ़े और कुल बढ़ोतरी 14.96% हो गई. 

आंध्रप्रदेश में 2017 में हुए कैडर रिव्यू में 211 से 28 पद बढ़कर 239 हो गए. यह बढ़ोतरी 13.27% हुई. 

तेलंगाना में 2016 में हुए रिव्यू में आईएएस की संख्या 163 से 45 बढ़कर 208 हो गई. यह वृद्धि 27.61% है. 

छत्तीसगढ़ में 2016 में हुए रिव्यू में 15 पद बढ़कर 178 से 193 हुई संख्या. यह वृद्धि 8.43 प्रतिशत थी. 

राजस्थान में 2016 में इन राज्यों के मुकाबले 5.74 फीसदी पद बढ़ाकर कैडर स्ट्रेंथ 313 किया गया. 

-दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इस समय 48 आईएएस के पास 69 विभागों या संस्थाओं के अहम पदों का अतिरिक्त चार्ज है. 

2016 के बाद 2021 में यानि 5 सालों में कैडर रिव्यू होकर आईएएस के पदों में बढ़ोतरी होनी थी और अब यह अंतराल 8 साल का होने से भी राज्य को खासा नुकसान झेलना पड़ा है.