राजस्थान में एक ही दिन में लगाए जाएंगे एक करोड़ पौधे, 7 अगस्त को हरियाली तीज पर वन महोत्सव का होगा आयोजन

जयपुर: हरियाली तीज पर 'हरियालो राजस्थान' के संकल्प को साकार करने के लिए खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दूदू के गाडोता में स्थित एसडीआरएफ परिसर में राज्य स्तरीय वन महोत्सव का शुभारंभ करेंगे.इस दिन प्रदेश भर में एक करोड़ पौधे लगाए जाएंगे सभी जिलों में जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में पौधारोपण का विशाल कार्यक्रम चलाया जाएगा ताकि राजस्थान के ग्रीन कर को वृहद और मजबूत किया जा सके.एसडीआरएफ परिसर में 15 हैक्टेयर में 10 हजार पौधे लगाए जाएंगे.

राज्य में हर साल मानसून के आगमन पर आमजन में वृक्षारेापण के प्रति जागरूकता बढाने तथा आम जनता को अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रेरित करने की मंशा से वन विभाग द्वारा राज्य स्तरीय वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है.इस वर्ष वन विभाग द्वारा 75वां राज्य स्तरीय वन महोत्सव हरियाली तीज पर 7 अगस्त को एस.डी.आर.एफ के परिसर गाडोता दूदू में किया जा रहा है.राज्य स्तरीय वन महोत्सव के दौरान राजस्थान राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की लगभग 15 हैक्टर भूमि पर 10 हजार पौधे लगाए जाएंगे.राज्य में कुल वन क्षेत्र 32 हजार 921 वर्ग किलोमीटर है जो कि प्रदेश के कुल भूभाग का महज 9.6 फीसदी है.राज्य में प्रति व्यक्ति औसतन वन आवरण की बात करें तो यह मात्र 0.037 फ़ीसदी है.

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बडा राज्य है, किन्तु राज्य का 9.60 प्रतिशत भू-भाग ही वन क्षेत्र है, जिसमें से भी पूर्ण वनाच्छादित क्षेत्र मात्र 4.86 प्रतिशत है.राज्य की वन नीति 2023 में राज्य के पूर्ण भू भाग के 20 प्रतिशत भाग को वृक्षाच्छादित करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि इकोलॉजिकल एवं पयार्वरणीय संतुलन बने रहने के साथ-साथ प्रदेशवासियों के सामाजिक, आर्थिक उत्थान के लक्ष्यों की प्राप्ति भी संभव हो सके.सावन की तीज पर 7 अगस्त को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, डॉ प्रेमचंद बैरवा, वन मंत्री संजय शर्मा, विधायक और अधिकारियों द्वारा सपिर्लाकार में लगभग 100 पौधे बरगद, पीपल, गूलर, पिलखन, बेलपत्र, कदम्ब के लगाए जाएंगे.

सनातन धर्म में ध्यान और पूजा के लिये सर्पिल आकारों का उपयोग किया जाता है.सर्पिल आकार सृजन, संरक्षण और विघटन के शाश्वत चक्र का प्रतीक है, जो अस्तित्व की चक्रीय प्रकृति में हिन्दू विश्वास को दर्शाता है.इन 100 पौधों को मातृ वन के रूप में एक समूह बनाकर विकसित किया जायेगा.यदि धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो बरगद का वृक्ष एक दीघर्जीवी विशाल वृक्ष है.सनातन धर्म में बरगद को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है.इसकी छाल में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है.पीपल के पेड को बेहद पवित्र एवं पूजनीय माना गया है. पीपल का पेड प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है.बेलपत्र भगवान शिव को अपर्ण किया जाता है.भगवान श्री कृष्ण को प्रिय कदम्ब का पेड़ एक बहुपयोगी पेड़ है.

धार्मिक मान्यता है कि बेलपत्र में भगवान शिव का, पीपल में भगवान विष्णु का, बरगद में भगवान शिव, विष्णु एवं ब्रह्मा का एवं कदम्ब में भगवान श्री कृष्ण का वास होता है.इसलिए इन वृक्षों की पूजा की जाती है. एसडीआरएफ परिसर में लगाए जाने वाले 10,000 पौधे स्थानीय प्रजातियों नीम, शीशम, जामुन, अजुर्न, खेजडी के लगाये जायेगें जो कि उच्च गुणवत्ता के बीज प्रदान करने वाले पेड़ों के समूह के रूप में विकसित होगा, जिसे भविष्य में उच्च गुणवत्ता के बीज एकत्रीकरण के लिये उपयोग में लिया जावेगा. वन महोत्सव स्थानीय स्कूली बच्चों, महिला साथिनों, आंगनबाडी कायर्कतार्ओं, आशा सहयोगिनियों, स्काउट गाईड एवं स्वयं सहायता समूह के सदस्यों, समस्त राजस्थान के ग्राम्य वन सुरक्षा समितियों के सदस्यो, स्थानीय जन प्रतिनिधियों एवं गणमान्य लोगों के साथ लगभग 5000 लोगों की उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा.