नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर में 7,600 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी करने के बाद भारतीय शेयरों में फिर से लिवाली शुरू कर दी है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में एफपीआई ने घरेलू शेयर बाजारों में 2,400 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि कई वैश्विक और घरेलू कारकों की वजह से आने वाले महीनों में एफपीआई के प्रवाह में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि अमेरिका में रोजगार के अवसरों में गिरावट और ऑस्ट्रेलियाई केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में उम्मीद से कम की वृद्धि के बीच निवेशकों का मानना है कि वैश्विक दरें जल्द चरम पर पहुंच जाएंगी.
अक्टूबर से लगातार नौ महीने तक शुद्ध बिकवाल बने रहे थे:
हालांकि, तबतक एफपीआई के प्रवाह में उतार-चढ़ाव रहेगा. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने तीन से सात अक्टूबर के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 2,440 करोड़ रुपये का निवेश किया है. सितंबर में उन्होंने शेयरों से 7,600 करोड़ रुपये से अधिक निकाले थे. इससे पहले एफपीआई ने अगस्त में शेयरों में 51,200 करोड़ रुपये और जुलाई में करीब 5,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. जुलाई से पहले विदेशी निवेशक पिछले साल अक्टूबर से लगातार नौ महीने तक शुद्ध बिकवाल बने रहे थे.
थाइलैंड में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक रहा:
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई ने अक्टूबर की शुरुआत में मामूली खरीदारी की है, लेकिन उनकी गतिविधियों में निरंतरता नहीं है. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 2,950 करोड़ रुपये निकाले हैं. भारत के अलावा ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और थाइलैंड में भी एफपीआई का प्रवाह सकारात्मक रहा है. सोर्स-भाषा