नई दिल्लीः राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह जवाब दे रहे है. सदन में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि संविधान पर चर्चा युवा पीढी के लिए अच्छा है. देश कितना आगे बढ़ा, जनता को अहसास ये चर्चा कराएगी. संविधान पर चर्चा जनता को कई घटनाओं का आभास कराएगी. यह हमारे संविधान के कारण हमारा देश कितना आगे बढ़ा इसका आभास कराएगी.
जब संविधान की भावनाओं को दर किनाकर कर कोई अपने लिए तोड़ मरोड़कर आगे चलता है तो किस प्रकार की घटनाएं होती हैं. जब हम आजाद हुए तब दुनियाभर के कई राजनीतिक पंडितों ने कहा था कि यह देश बिखर जाएगा. एकता हो ही नहीं सकती है. देश आर्थिक रूप से कभी भी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है. लेकिन आज जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो सरदार पटेल के अथक परिश्रम के कारण यह देश यहां खड़ा है और एकजुट है.
लोकतंत्र पाताल की गहराई तकः
सरदार पटेल की वजह से यह देश एकजुट है. इस चर्चा में हम गहराई तक गए. हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है. ये भी साफ हुआ कि जब जब जनता ने किसी पार्टी को जनादेश दिया तो उसने सम्मान किया या नहीं किया. संविधान पर चर्चा युवा पीढ़ी के लिए अच्छा है. इस देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से अनेक तानाशाहों का अभिमान चूर-चूर करने का काम किया है.
संविधान केवल एक दस्तावेज नहींः
मोदी सरकार के लिए संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है. बल्कि वंचितों के कल्याण और राष्ट्रनिर्माण की मूल प्रेरणा है. हमारा दुनिया का विस्तृत और लिखित संविधान है. दो साल 18 महीने तक विस्तृत चर्चा हुई. शायद ही दुनिया का कोई संविधान होगा जो देश की जनता को कमेंट के लिए दिया गया. विपक्ष के साथी कह रहे थे कि चित्र लगाने का क्या मतलब है. इसके जवाब में मैं कहता हू कि अगर संदेश नहीं ले सकते तो संविधान का क्या मतलब है. हमारी हजारों साल पुरानी परंपरा है. जिन लोगों ने चित्रों को निकाल दिया है उन्होंने धोखा किया है.
संविधान में अलग-अलग धर्म के देवताओं का चित्र मिलेगाः
आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं उस मुकाम पर महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी सच हुई. हमारा संविधान, संविधान सभा की रचना और उसकी प्रक्रिया ये तीनों एक प्रकार से विश्व में अनूठे हैं. संविधान में अलग-अलग धर्म के देवताओं का चित्र मिलेगा. हमें ऐसे संविधान पर गर्व है. संविधान में जो चित्र लगे हैं वो हमारे जीवन को उद्घोषित करने वाले हैं. पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है तो संविधान में भारतीय नजर नहीं आएगी.
अमित शाह ने संविधान सभा के सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इतने सारे मनीषियों का विचार जिसमें हो, उस संविधान को सफल होना ही था. विदुर नीति, शांति पर्व, रामायण के विचार को भी हमने इसमें समाहित करने का प्रयास किया था. किस तरह से राजनीतिक दलों ने संविधान को आगे बढ़ाया, इसकी भी चर्चा समयोचित होगी. डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो. वह बुरा हो सकता है जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, अगर वो अच्छे न हों.
परिवर्तन जीवन का मंत्रः
कोई संविधान कितना भी बुरा क्यों न हो, वह अच्छा हो सकता है अगर चलाने वाले लोग अच्छे हों. परिवर्तन जीवन का मंत्र है, उसे संविधान सभा ने स्वीकार किया था. और इसके लिए संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया था. संविधान बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में ही है. एक नेता आए हैं, 54 साल में खुद को युवा कहते हैं. वो चिल्लाते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे. बीजेपी ने 16 साल में 16 परिवर्तन किए, कांग्रेस ने भी परिवर्तन किए. इनका टेस्ट कैसा था. परिवर्तन का उद्देश्य क्या था. क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किए गए. या अपनी राज्यसत्ता को टिकाने के लिए परिवर्तन किए गए. इससे ही पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता है. दोनों प्रमुख दलों के चार-चार संविधान संशोधन को लेना चाहूंगा. पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ, ये संविधान सभा को ही संशोधन लेना पड़ा, 19 ए जोड़ा गया. अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए पहला संशोधन आया, तब पीएम नेहरू थे.