जयपुरः विधानसभा की कार्यवाही जारी है. इस दौरान विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी भावुक हो गए. और स्पीकर देवनानी सदन में रोने लगे. उन्होंने कहा कि आज के बाद कोई भी डायस पर चढ़ेगा तो स्वतः ही निलंबित माना जाएगा, ऐसा व्यक्ति सदन के सदस्य बने रहने योग्य नहीं है. भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है. लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद और विधानसभायें काम करती हैं. जब से समझ आई है मैं विधानसभा की कारवाई समाचार पत्रों में लगातार पढ़ता हूं. लेकिन तब से लेकर आज तक कभी भी ऐसी घटना नहीं घटी. कई बार धरने भी हुए लेकिन इस दौरान भी कभी ऐसी बात मैंने नहीं सुनी. साधारण सदस्य ने नहीं एक पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ने सारी गरिमा और मर्यादा को तार-तार किया.
जिन लोगों ने बताया मुझे उन्होंने भी अपने मन में पीड़ा व्यक्त की है. बार-बार आरोप लगाया जा रहा था. कि पक्ष विपक्ष दोनों एग्री है लेकिन आप एग्री नहीं हो जबकि यह बात गलत थी. निलंबित सदस्यों को तुरंत चला जाना चाहिए था फिर भी धरना दिया गया. निलंबन मैंने नहीं किया सदन ने किया था. जिस दिन धरना दिया गया हमारे सचिव द्वारा उनकी अच्छी व्यवस्था भी की गई थी. बाप भी कई बार बेटे को कठोर मन से अलग कर देता है. पहली बार ऐसा हुआ कि निलंबित सदस्य को हमने बिना निलंबन रद्द किए बोलने की इजाजत दी.
35 साल के इतिहास में ऐसा दृश्य कभी नहींः
विधायक श्रीचंद कृपलानी ने कहा कि सदन स्थगित हो जाए उसके बाद भी वेल में लोग बैठे हैं. उसका भी कोई नियम कानून बनना चाहिए. उनके खिलाफ भी कार्रवाई की कोई व्यवस्था होनी चाहिए. मैं लोकसभा का सदस्य रहा हूं. मैंने मेरे 35 साल के इतिहास में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा.
डोटासरा को पूरे कार्यकाल के लिए निलंबित या बर्खास्त किया जाता है तो वह भी कमः
विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि जैसा इस विधानसभा में अध्यक्ष के लिए कहा गया है. वैसा आज तक हिंदुस्तान में किसी अध्यक्ष के लिए कभी नहीं कहा गया. हमारे लिए शर्म की बात है. हमारे पिता पर कोई जूता मारे और कहे कि हमारा हृदय खुला है. ऐसे कैसे हृदय खुला हो सकता है. आपका पुराना प्रेम हो सकता है. लेकिन लोकतंत्र की हत्या के भागीदार मत बनिए. डोटासरा को अगर पूरे कार्यकाल के लिए निलंबित या बर्खास्त किया जाता है तो वह भी कम है. वहीं बता दें कि आज कांग्रेस का विधानसभा के बाहर धरना खत्म हो गया है.