जयपुर: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की विधानसभा में की गई घोषणा को साकार करते हुए नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह के निर्देश पर नगरीय विकास विभाग ने चार ऐतिहासिक आदेश जारी किए हैं. मुख्यमंत्री सचिवालय की मॉनिटरिंग में जारी इन आदेशों के माध्यम से प्रदेश भर के विकास प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास और शहरी निकायों के अधिकारों में कई गुना बढ़ोतरी की गई है. निकायों को किस तरह बनाया गया है शक्तिशाली और किस तरह शहरी विकास को फायदा मिलेगा. प्रदेश की पिछली कई सरकारों में अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करते हुए निकायों को शक्तिशाली बनाए जाने की केवल कवायद ही चलती रही है, लेकिन ये कवायद अंजाम तक नहीं पहुंच पाई. पिछली कांग्रेस सरकार में निकायों के अधिकारों में बढ़ोतरी तो की गई थी, लेकिन यह बढ़ोतरी केवल प्रशासन शहरों के संग अभियान तक की सीमित रही,लेकिन मौजूदा भजन लाल सरकार ने स्थायी तौर पर निकायों को शक्तिशाली बना दिया है.
गुड गवर्नेंस और आमजन को जल्द से जल्द राहत देने के विजन के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में वित्त व विनियोग विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में निकायों के अधिकारों में कई गुना बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री के इस विजन को साकार करने और उनकी घोषणा को धरातल पर उतारने के लिए नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा के निर्देश पर नगरीय विकास विभाग ने इस बारे में आदेश जारी कर दिए. राजस्थान दिवस समारोह के तहत भीलवाड़ा में विकास और सुशासन की थीम पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रिमोट का बटन दबाकर यूडीएच की ओर से जारी इन आदेशों का विमोचन किया. मुख्यमंत्री सचिवालय की क्लोज मानिटरिंग में जारी यूडीएच के इन ऐतिहासिक आदेशों को लेकर प्रदेश के रियल एस्टेट में भारी उत्साह है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि भूखंडों के पट्टे जारी करने को लेकर निकाय की शक्तियों में कितने गुना बढ़ोतरी की गई है.
निकाय की शक्तियों में कितने गुना बढ़ोतरी?:
-अब तक प्राधिकरण और उनके मुख्यालय में स्थित निकाय 10 हजार वर्गमीटर तक के आवासीय भूखंड के और
-4 हजार वर्ग मीटर तक के गैर आवासीय भूखंडों के पट्टे जारी कर सकते थे
-नए आदेश के तहत अब यही निकाय 25 हजार वर्गमीटर तक के आवासीय भूखंड के और
-10 हजार वर्ग मीटर तक के गैर आवासीय भूखंड के पट्टे जारी कर सकेंगे
-इस तरह प्राधिकरण और उनके मुख्यालय में स्थित निकायों के पट्टे देने की शक्तियों में ढाई गुना बढ़ोतरी की गई है
-अब तक नगर सुधार न्यास और उनके मुख्यालय में स्थित निकाय निकाय 5 हजार वर्गमीटर तक के आवासीय भूखंड के और
-2.5 हजार वर्ग मीटर तक के गैर आवासीय भूखंडों के पट्टे जारी कर सकते थे
-नए आदेश के तहत अब यही निकाय 10 हजार वर्गमीटर तक के आवासीय भूखंड के और
-5 हजार वर्ग मीटर तक के गैर आवासीय भूखंड के पट्टे जारी कर सकेंगे
-इस तरह नगर सुधार न्यास और उनके मुख्यालय में स्थित निकायों के पट्टे देने की शक्तियों में दो गुना बढ़ोतरी की गई है
-अन्य क्षेत्रों में स्थित निकाय पहले की तरह ही 5 हजार वर्गमीटर तक के आवासीय भूखंड के और
-2.5 हजार वर्ग मीटर तक के गैर आवासीय भूखंड के पट्टे जारी कर सकेंगे
-यूडीएच की ओर से जारी इस आदेश से यह स्पष्ट है कि जिन निकायों के पास अधिक इलाके और जनसंख्या की जिम्मेदारी है
-उन निकायों को इस मामले में अधिक शक्तिशाली बनाया गया है
भूखंडों के पट्टे जारी करने के साथ ही भूखंडों के पुनर्गठन और उप विभाजन को लेकर भी निकायों के अधिकारों में कई गुना बढ़ोतरी की गई है. अब तक प्राधिकरण हो या नगर सुधार न्याय या फिर कोई अन्य शहरी निकाय उन्हें अधिकतम 15 सौ वर्गगज तक के भूखंडों के ही उप विभाजन और पुनर्गठन के अधिकार थे. नगरीय विकास विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर पुनर्गठन और उप विभाजन नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए निकायों को पट्टा देने की शक्तियों के मुताबिक ही पुनर्गठन और उप विभाजन की शक्तियां दी गई है.
भूखंड पुनर्गठन और उप विभाजन में बढ़ी शक्तियां:
-अब तक सभी निकायों को 1500 वर्गगज मतलब करीब 1254 वर्गमीटर तक के भूखंड के ही पुनर्गठन व उप विभाजन के अधिकार थे
-नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक
-प्राधिकरण व उनके मुख्यालय पर स्थित निकाय 25 हजार वर्गमीटर तक के आवासीय भूखंड के पुनर्गठन व उप विभाजन कर सकेंगे
-इस मामले में इन निकायों के अधिकारों में करीब बीस गुना की बढ़ोतरी की गई है
-ये निकाय अब 10 हजार वर्गमीटर तक के व्यावसायिक भूखंड का पुनर्गठन व उप विभाजन कर सकेंगे
-इस मामले में इन निकायों के अधिकारों में करीब आठ गुना बढ़ोतरी की गई है
-नगर सुधार न्यास व उनके मुख्यालय पर स्थित निकाय 10 हजार वर्गमीटर तक के आवासीय भूखंड का पुनर्गठन व उप विभाजन कर सकेंगे
-इस मामले में इन निकायों के अधिकारों में करीब आठ गुना की बढ़ोतरी की गई है
-ये निकाय अब 5 हजार वर्गमीटर तक के व्यावसायिक भूखंड का पुनर्गठन व उप विभाजन कर सकेंगे
-इस मामले में इन निकायों के अधिकारों में करीब चार गुना बढ़ोतरी की गई है
-अन्य निकायों में स्थित निकाय अब 5 हजार वर्ग मीटर तक के आवासीय भूखंड का पुनर्गठन व उप विभाजन कर सकेंगे
-आवासीय भूखंड के मामले में इन निकायों के अधिकारों में करीब चार गुना बढ़ोतरी की गई है
-यही निकाय अब ढाई हजार वर्गमीटर तक के व्यावसायिक भूखंड का पुनर्गठन व उप विभाजन कर सकेंगे
-व्यावसायिक भूखंड के मामले में इन निकायों के अधिकारों में करीब दो गुना बढ़ोतरी की गई है
प्रदेश की भजन लाल सरकार की ओर से पिछले वर्ष राइजिंग राजस्थान इनवेस्टमेंट समिट का आयोजन किया गया था. समिट में किए गए एमओयू जल्द धरातल पर उतर सकें. इनके लिए जरूरी औपचारिकताओं में अधिक समय नहीं लगे. सभी आवश्यक स्वीकृतियां चाहे वे पट्टा देने की हो, उप विभाजन या पुनर्गठन की हो या फिर अधिक ऊंचाई की इमारतों की स्वीकृति देने की, इनमें अधिक समय नहीं लगे. कम से कम समय में इन प्रकरणों का निस्तारण किया जाए. राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए मामले भेजने और उसकी मंजूरी में लगने वाले समय में बचत हो. निकाय अपने स्तर पर ही इन मामलों में मंजूरी दे सकें. ताकि निवेशकों के साथ आमजन को भी राहत मिल सके. इसी उद्देश्य से प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के माहौल को और बेहतर बनाने के लिहाज से नगरीय विकास विभाग की ओर से विस्तृत आदेश भी जारी किए गए हैं. इसमें निकायों को स्पष्ट किया गया किस तरह प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा. आपको बताते हैं इस आदेश में महत्वपूर्ण क्या है और इमारतों की ऊंचाई की स्वीकृति देने के मामले में भी किस तरह निकायों को सशक्त बनाया गया है.
इमारत ऊंचाई स्वीकृति मामले में निकाय सशक्त:
-अब तक प्राधिकरण व उनके मुख्यालय पर स्थित निकाय 40 मीटर ऊंचाई तक की ही इमारतों के निर्माण की स्वीकृति दे सकते थे
-लेकिन अब नगरीय विकास विभाग के नए आदेश के अनुसार ये निकाय 60 मीटर ऊंचाई तक की इमारतों के निर्माण की स्वीकृति दे सकेंगे
-इसी तरह अब तक नगर सुधार न्यास व उनके मुख्यालय पर स्थित निकाय 30 मीटर ऊंचाई तक की इमारतों के निर्माण की स्वीकृति दे सकते थे
-लेकिन अब ये निकाय 40 मीटर तक की ऊंचाई की इमारतों के निर्माण की स्वीकृति दे सकेंगे
-अन्य क्षेत्रों में स्थित निकाय पहले की तरह ही 30 मीटर तक की ऊंचाई की इमारतों के निर्माण की स्वीकृति दे सकेंगे
-भवन मानचित्र अनुमोदन,पुनर्गठन/उप विभाजन,ले आउट अनुमोदन और एकल पट्टा जारी करने के प्रकरणों को लेकर यूडीएच ने विस्तृत आदेश जारी किए हैं
-इस आदेश में विस्तृत तौर पर स्पष्ट किया गया है कि इन मामलों में तकनीकी परीक्षण किस स्तर के अधिकारी करेंगे,
-कौन से मामले सक्षम अधिकारी के स्तर पर निस्तारित होंगे और कौन से मामलों में निकायों की भवन मानचित्र की स्वीकृति की आवश्यकता होगी
-इमारतों के जारी किए जाने वाले पूर्णता प्रमाण पत्र और अधिवास प्रमाण पत्र के लिए भी यह तय किया गया है
-इस आदेश के मुताबिक इन सभी सेवाओं के लिए ऑनलाइन ही आवेदन स्वीकार किए जाएंगे
-ताकि निकाय में उच्च स्तर से इन प्रकरणों के निस्तारण की नियमित मॉनिटरिंग की जा सके
-किसी निकाय में प्रकरण के तकनीकी परीक्षण के लिए अगर सक्षम अधिकारी उपलब्ध नहीं होंगे तो
-जिला नगर नियोजक या संभाग स्तरीय वरिष्ठ नियोजक कार्यालय से तकनीकी मंजूरी ली जा सकेगी