बीकानेर: बीकानेर अपनी स्थापना का 537वां स्थापना दिवस मना रहा . अपनायत और रवायत का ये शहर अपनी संस्कृति और परम्पराओं को मानने वाला शहर है . 536 साल के सफ़र में बदलाव भी आए लेकिन इस शहर के बाशिंदों ने यहाँ की भी की बीकानेरियत को नहीं बदलने दिया . अपनायत , रिवायत और बेलौस तबीअत के शहर बीकानेर की खासियत गंगा जमुनी तहज़ीब भी है .
रसगुल्लों की मिठास और भुजिया के तीखे पन के लिए जाने जाने वाला शहर बीकानेर कई मायनों में खास है फिर चाहे यहां का विश्व प्रसिद्ध करणी मंदिर हो या फिर जूनागढ़ का ऐतिहासिक दुर्ग .यहां की आकर्षक हवेलियां विदेशी पर्यटकों का मन मोह रही है.
बीकानेर शहर के बाशिंदे जिस चाव के साथ इस शहर का स्थापना दिवस मनाते हैं वो भी अपने आप में एक मिसाल से कम नहीं इस दिन यहाँ जमकर पतंगबाज़ी होती हर घर में खिचड़ी तैयार होता है और प्रशासन भी कई तरह के आयोजन करता है . स्थापना दिवस पर भी उल्लासित नज़र आता है. राव बीका का बीकानेर जो कि अल्हड़ ,मतवालों वाला का शहर है रीतिरिवाजों और रवायतो को मानने के लिए जाना जाता रहा है . राव बीकाजी संस्थान द्वारा आयोजित समारोह में संभागीय आयुक्त वन्दना सिंघवी ,कलेक्टर नम्रता सहित कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर ने बीकानेर वासियों को इस मौक़े पर शुभकामनाएं भी दी.
संभवतः बीकानेर ही ऐसा शहर है जहाँ के लोग स्थापना दिवस को फ़ेस्टिवल के तौर पर एन्जॉय करते हैं फिर बात चाहे पतंगबाज़ी की हो यह घर में खिचड़ा बनाने की . महिलायें भी उत्सव में बराबर की भागीदारी निभाती नज़र आती . चंदा बड़े चाव से बनाए जाते बक़ायदा उनका पूजना होता है . आम और ख़ास सब इसे एक उत्सव के तौर पर लेते हैं विधायक जेठानंद व्यास भी पतंगबाजी करते नज़र आए . जानेमाने गायक राजा हसन कहते हैं कि स्थापना दिवस पर बीकानेर में होना ही एक अलग एहसास देता है . वही विधायक जेठानंद व्यास ने भी बीकानेर स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दी.
हालाँकि इन 536 सालों में बीकानेर पर आपदा विपदा नहीं आई हो ऐसा भी नहीं है लेकिन इन सब से पार पाते हुए बीकानेर लगातार आगे बढ़ रहा है . इस शहर का अपना एक मिज़ाज है जिसमें अपनायत का एहसास है.