जयपुर: अवैध बजरी खनन अभियान में खान विभाग की टीमों ने 8 दिन में 227 मामले बनाकर अवैध बजरी खनन रोकने का इच्छाशक्ति दिखाई लेकिन अवैध बजरी के लिए बदनाम टोंक, बिजोलिया, बडलियावास और सावर, केकड़ी में खान विभाग की टीम उदासीनता बरत रही हैं. यही कारण है कि यहां अभियान में सबसे कम कार्रवाई देखने को मिली है.
अभियान के पहले 8 दिन में 210 मामले बनाए
अवैध बजरी खनन के 3, अवैध बजरी निर्गमन 102, अवैध भंडारण 7 सहित कुल 112 मामले
अन्य खनिज में अवैध खनन के 21 और अवैध निर्गमन के 76 मामलों सहित कुल 98 मामले
बजरी के प्रकरण में 10 FIR जबकि अन्य खनिज के प्रकरणों में 12 FIR, 4 गिरफ्तार
669 टन बजरी और 13288 टन अन्य खनिज जब्त
14 एक्सकैवेटर मशीन, 199 अन्य मशीन व वाहन जब्त
कुल 1.33 करोड़ रुपए जुर्माने के तौर पर वसूले
लगातार अवैध बजरी खनन की शिकायत आने के बाद खान विभाग के निदेशक भगवती प्रसाद कलाल के निर्देश पर 15 दिन का अभियान शुरू किया गया. इसके लिए 27 टीमों का गठन किया गया. विशेष टीमों द्वारा अभियान के तहत कार्रवाई शुरू की गई और बजरी के साथ ही चुनाई पत्थर के अवैध खनन, परिवहन, निर्गमन और भंडारण के मामले भी बनाए. अभियान में परफॉर्मेंस के आधार पर बात की जाए तो उदयपुर की टीम नंबर 3 ने सर्वाधिक 21 मामले बनाए हैं जबकि टीम नंबर 4 ने 20 मामले बनाए. जालौर के संपूर्ण क्षेत्र के लिए अधिकृत टीम जोधपुर 5 नंबर ने 19 मामले बनाए. सवाई माधोपुर के लिए गठित टीम कोटा-4 ने भी 17 मामले अभियान में बनाए हैं.
जिन टीमों ने खानापूर्ति की है उनमें निवाई के लिए गठित टीम जयपुर-2 ने तो पूरे अभियान में एक भी मामला नहीं बनाया. लूणी व जोधपुर के लिए गठित टीम जोधपुर-2 भी अवैध खनन के बावजूद महज 1 कार्रवाई कर पाई है. टीम कोटा-7, जयपुर-4, उदयपुर-6, जयपुर-5 और कोटा-8 व 10 भी खानापूर्ति में रही. खास बात यह है कि अवैध बजरी खनन की सर्वाधिक शिकायत टोंक, लूणी, सावर, केकड़ी, धौलपुर, भरतपुर, बडलियावास और बिजौलिया में मिली. खान विभाग की टीमें इन्ही क्षेत्रों से दूर रही और अभियान के नाम पर बजरी के साथ दूसरे खनिजों के मामले बना सरकार को गुमराह करती रही हैं.
हालांकि पूरे मामले में निदेशक भगवती प्रसाद कलाल नियमित समीक्षा कर रहे हैं लेकिन जिस तरह से कुछ टीमें अवैध बजरी खनन के लिए बदनाम इलाकों में जानबूझकर कार्रवाई नहीं कर रही उससे कुछ और संदेश जा रहा है. अब तो विभाग में भी इस बात की चर्चा आम है कि रसूकदारों के आगे अभियान भी कारगर नहीं होते. बेहतर हो पहले विभाग भीतर की सफाई करे फिर अभियान चलाकर माफिया पर काबू करने की सोचे.