जयपुरः साल 2022 की 9 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती (प्रकाश पर्व) पर प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को सिख गुरु के बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. बीजेपी प्रत्येक मंडल पर कार्यक्रमों का आयोजन करेगी. कल राजस्थान बीजेपी के मुख्यालय में विभिन्न कार्यक्रम होंगे.
26 दिसम्बर 1704 का वह दिन जब सिख इतिहास की सबसे बड़ी कुर्बानी दी गई थी. यह कुर्बानी सिखों के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह तथा बाबा फतेह सिंह की थी. उस समय उनकी आयु बेहद छोटी थी. खालसा पंथ की स्थापना के बाद सरहिंद के सूबेदार वजीर खान ने आनंदपुर साहिब के किले पर हमला कर दिया. गुरु गोबिंद सिंह जी उसको सबक सिखाना चाहते थे. मगर कई दिनों के लम्बे घेरे के बाद सिखों ने बड़े खतरे को भांप लिया और गुरु साहिब को किला छोडऩे की प्रार्थना की. 20-21 दिसम्बर 1704 को गुरु साहिब ने अपने परिवार सहित श्रीआनंदपुर साहिब का किला छोड़ दिया पर सरसा नदी में पानी का बहाव ज्यादा तेज होने के कारण गुरु साहिब के दो छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह तथा माता गुजरी जी गुरु साहिब से बिछुड़ गए. उस वक्त माता गुजरी जी गंगू को मिलीं जो किसी समय गुरु घर की सेवा किया करता था. गंगू माता गुजरी को बिछड़े परिवार से मिलाने का भरोसा देकर उन्हें अपने घर ले गया. पर बाद में सोने के चंद सिक्कों के लालच में गंगू ने माता जी और साहिबजादों की खबर वजीर खान को दे दी.
जिंदा दीवारों में चिनवाने का दे डाला हुक्मः
वजीर खान के सिपाहियों ने माता गुजरी और साहिबजादे जोरावर सिंह तथा साहिबजादे फतेह सिंह को गिरफ्तार कर लिया. उनको ठंडे बुर्ज में रखा गया. सुबह होते ही साहिबजादों को वजीर खान के समक्ष पेश किया गया जहां पर उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए कहा गया. मगर गुरु जी के छोटे साहिबजादों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया. जब सिपाहियों ने उन्हें सिर झुकाने के लिए कहा तो दोनों ने जवाब दिया कि, ‘‘हम अकालपुरख के सिवाय किसी के आगे नतमस्तक नहीं होते. हम अपने दादा जी की कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे जिन्होंने धर्म के नाम पर अपना शीश कटाना उचित समझा मगर झुकाया नहीं.’’ जब वे दोनों नहीं माने तो वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवारों में चिनवाने का हुक्म दे डाला. कहा जाता है कि जब दोनों साहिबजादों को दीवार में चिनवाना शुरू किया गया तो उन्होंने जपुजी साहिब का पाठ करना शुरू कर दिया तथा दीवार पूरी होने के बाद भीतर से जयकारे की आवाज आई. साहिबजादों ने गुरु घर के महान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनी जानें न्यौछावर कर दीं. प्रधानमंत्री मोदी ने 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष 26 दिसम्बर को समस्त भारत में ‘वीर बाल दिवस’ के तौर पर मनाने की घोषणा की है. राजस्थान बीजेपी भी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगी. जिला,मंडल और बूथ स्तर तक आयोजन होंगे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के निर्देशानुसार प्रदेश स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया गया है. प्रणवेंद्र शर्मा को संयोजक बनाते हुए 5 सह संयोजकों की टीम का गठन किया था.
--वीर बाल दिवस पर BJP के कार्यकम --
प्रत्येक मंडल पर एक विशेष सभा का आयोजन होगा
साहिबजादों के बलिदान के बारे में युवाओं को बताया जाएगा
इसके साथ ही स्थानीय गुरूद्वारा में शब्द कीर्तन, मंडल आयोजित होंगे
जिलों में प्रभात फेरी का भी आयोजन किया जाएगा
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के साथ जिला स्तरीय बौद्धिक संगोष्ठी
स्कूल-कॉलेजों में विचार संगोष्ठी के साथ भाषण प्रतियोगिताओं के आयोजन होंगे
1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय के लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी. तीन पत्नियों से गुरु गोबिंद सिंह चार बेटे: अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, सभी खालसा का हिस्सा थे. उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था. उनकी शहादत का सम्मान करने के लिए कार्यक्रम आयोजित होंगे. बीजेपी ने वीर बाल दिवस के कार्यक्रम को अपने सालाना कैलेंडर में शामिल किया है. सिक्ख धर्म के प्रति आस्था दिखने की ये बड़ी पहल है.