VIDEO: बिजली बिल की झंझट से फ्री होंगे सरकारी दफ्तर ! राजस्थान राज्य अक्षय ऊर्जा निगम का सौर ऊर्जा प्रोत्साहन का अभिनव प्रयास, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : प्रदेश के सरकारी दफ्तर जल्द ही सौर ऊर्जा से रोशन होंगे. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की बजट घोषणा के क्रियान्वयन में राजस्थान राज्य अक्षय ऊर्जा निगम ने 388 मेगावाट की रूफ टॉप सोलर परियोजनाओं के टेण्डर फाइनल किए है. ये सभी प्रोजेक्ट सरकारी दफ्तरों पर लगाए जाएंगे, जिससे वे क्लीन एनर्जी के साथ ही बिजली बिल की झंझट से भी 25 साल के लिए फ्री होंगे.

बिजली बिल का पैसा जमा कराने के प्रति सरकारी दफ्तरों की लापरवाही जगजाहिर है. आमजन के बकाया बिल पर बिजली कम्पनियां तत्काल कनेक्शन काटने की कार्रवाई कर देती है,जबकि सरकारी महकमों में कार्रवाई होने ही हंगामा शुरू हो जाता है. इसी बात का फायदा उठाते हुए सरकारी महकमों के अधिकारी बिजली बिल के भुगतान को अंतिम प्राथमिकता देते है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भजनलाल सरकार ने अपने पहले बजट में सभी सरकारी दफ्तरों को सौर ऊर्जा से जोड़ने की घोषणा की थी. इसके क्रियान्वयन में एसीएस (ऊर्जा) आलोक-प्रमुख सचिव (RRECL)आलोक गुप्ता के अथक प्रयासों से राजस्थान राज्य अक्षय ऊर्जा निगम ने कुल 33 जिलों के लिए 1173 मेगावाट के टेण्डर आमंत्रित किए, जिनमें से 17 जिलों की कुल 388 मेगावाट की रूफ टॉप सोलर परियोजनाओं पर सहमति बन गई है.

सौर ऊर्जा से रोशन होंगे राजस्थान के सरकारी दफ्तर !
- ACS(ऊर्जा) आलोक-प्रमुख सचिव(RRECL)आलोक गुप्ता के प्रयास लाए रंग
- डेढ़ दर्जन जिलों के सभी सरकारी दफ्तरों में रूफ टॉप सोलर से मिलेगी क्लीन एनर्जी
- जयपुर, बूंदी, झालावाड़ा, कोटा, टोंक, अजमेर, उदयपुर, राजसमंद, भीलवाड़ा, सीकर,  
- चित्तौडगढ़, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर जिले के सरकारी दफ्तरों में HAM मॉडल पर लगेंगे रूफ टॉप सोलर प्लांट
- 1173 मेगावाट क्षमता की निविदा प्रक्रिया में 388 मेगावाट के प्लांट किए गए फाइनल

राजस्थान राज्य अक्षय ऊर्जा निगम के अधिकारियों की माने तो पहली बार हाइब्रिड एन्युटी मॉडल यानी HAM मॉडल पर ये रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाए जाएंगे. जिन फर्मों ने काम करने की रूचि दिखाई है, उन्हें आठ साल में प्रोजेक्ट का भुगतान होगा. प्लांट की अगले 25 साल तक देखरेख और रखरखाव की जिम्मेदारी फर्म की ही रहेगी. अधिकारियों के मुताबिक सरकारी दफ्तरों के करोड़ों रुपए के बिजली की राशि को बचाकर ये प्रोजेक्ट लगाया जाएगा. इस मॉडल में एक तरफ जहां सरकार पर किसी भी तरह का कोई अतिरिक्त बड़ा वित्तीय भार नहीं आएगा, वहीं दूसरी ओर बिजली के भारी-भरकम बिल से भी सरकारी दफ्तरों को निजात मिलेगी.