जोधपुर: बच्चों द्वारा लगातार मोबाइल देखे जाने के बाद बच्चों के चश्मे लगने का सिलसिला तेजी से जिस प्रकार शुरू हुआ है, उसके चलते खुद नेत्र रोग विशेषज्ञ चिंता में पड़ गए हैं. जोधपुर के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के अधीन आने वाले मथुरादास माथुर अस्पताल में लगातार इस तरह बच्चों के आंखो से शिकायत लेकर परिजन पहुंच रहे हैं. चिकित्सकों की माने तो अभिभावक अपनी जिम्मेदारियां में व्यस्त रहने के कारण बच्चों को मोबाइल दे देते हैं. और उन परिस्थितियों में बच्चे मोबाइल के इतने अधिक आदि होते जा रहे हैं कि उन्हें चश्में लग रहे हैं और ऐसे में उनका विजन कमजोर हो रहा है.
जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में इन दिनो बच्चो के माता पिता बच्चों की आंखो संबंधित परेशानी को लेकर अस्पताल के नेत्ररोग विभाग में पहुंचने लगे है. खाली समय में घंटों मोबाइल चलाने की वजह से बच्चों की आंखों से संबंधित समस्याएं भी सामने आ रही है. ऐसे में बात करे तो ऐसे में एक्सपर्ट की माने तो वह बच्चो के परिजनों को यही सलाह दे रहे है की वह बच्चो का ध्यान रखे ताकि उनको आंखो सबंधित किसी तरह को समस्या देखने को नहीं मिले. जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के नेत्ररोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अरविंद चौहान ने कहा कि पांच से छह सालों में बडा परिवर्तन आ गया है क बच्चे मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने लगे है. अभिभावक जो है वह बच्चो को नही रोक रहे है. बच्चो के चश्मे के नम्बर की शिकायत के लिए ओपीडी में आते है. अभिभावकों को चाहिए कि वह भी मोबाइल का कम उपयोग करे और बच्चो को आउटडोर गेम्स की तरफ डायवर्ट करे. स्क्रीन टाइम अधिक बढ़ना बच्चों के आंखों की सुरक्षा के लिए से भी खतरनाक हो सकता है. इससे बचाव के लिए पेरेंट्स को सावधानियां रखनी चाहिए.
डॉक्टर्स की माने तो बच्चों के अंदर आंखों में दर्द आंखों में एलर्जी और सर दर्द की शिकायत भी सामने आ रही है. चेक करने पर पाया गया कि कुछ बच्चे 5 से 6 घंटे या उससे भी अधिक समय मोबाइल को दे रहे हैं. इसकी वजह से उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आ रहा है. इसलिए सभी पेरेंट्स बच्चों से आउटडोर एक्टिविटी करवाएं, उनके हाथ में जितना कम हो सकें उतना मोबाइल दें. आंखों में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर संबंधित नेत्ररोग चिकित्सक को ही दिखाए बिना चिकित्सक की सलाह के मेडिकल को दुकान से दवाई नही ले और आंखों की जांच अवश्य कराएं.