जेडीए रीजन में कौनसा भूखंड है किसके नाम, इसकी जेडीए वेबसाइट पर मिलेगी रियल टाइम जानकारी, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः शहर में कहां कौनसा भूखंड है किसके नाम और उसे किसने खरीदा,इसकी रियल टाइम जानकारी आमजन को उपलब्ध होगी , इससे ना केवल एक भूखंड के  खरीद-बेचान में होने वाली धोखाधड़ी से राहत मिलेगी. बल्कि भूखंड खरीदार के पक्ष में नाम हस्तांतरण की प्रक्रिया भी बहुत आसान हो जाएगी. कैसे और कब तक होगा यह सब? 

जेडीए आयुक्त आनंदी के निर्देश पर जेडीए की आईटी शाखा के अधिकारी 90 ए पोर्टल, ई पंजीयन पोर्टल और ई धरती पोर्टल के आपस में इंटीग्रेशन की कवायद में जुटे हुए हैं. इसी तरह जेडीए के लैंड बैंक,सेन्ट्रलाइज प्रोपर्टी रिपोजिटरी मैनेजमेंट सिस्टम (सीपीआरएमएस) और ई ऑक्शन सिस्टम को भी आपस में और तीनों पोर्टल से इंटीग्रेशन किया जा रहा है. इस पूरी कवायद के पीछे मकसद जेडीए रीजन में स्थित हर भूखंड की रियल टाइम जानकारी एक क्लिक पर आमजन को उपलब्ध कराना है. जेडीए का लक्ष्य है कि यह समस्त कवायद इस 30 अप्रेल तक पूरी कर ली जाए. आपको सबसे पहले इस पूरे मामले की देते हैं जानकारी

-90 ए पोर्टल के माध्यम से ही कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग के उद्देश्य से भू रूपांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है
-आवेदन के बाद इसी पोर्टल पर ऑनलाइन ही समस्त कार्यवाही संबंधित जेडीए और जिला प्रशासन के अधिकारियों की ओर से की जाती है
-पूरी कार्यवाही के बाद 90 ए का आदेश इस पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता है
-ई पंजीयन पोर्टल पर संपत्तियों के खरीद-बेचान की रियल टाइम जानकारी उपलब्ध रहती है
-किस भूमि की खातेदारी किस संस्थान या व्यक्ति के नाम दर्ज, इसकी जानकारी ई धरती पोर्टल पर उपलब्ध रहती है
-जेडीए के लैंड बैंक में जेडीए रीजन में जेडीए स्वामित्व की समस्त भूमि का रिकॉर्ड उपलब्ध रहता है
-सीपीआरएमएस में जेडीए की ओर से अनुमोदित योजनाओं और जेडीए की खुद की योजनाओं के भूखंडों का डेटा उपलब्ध है
-ई ऑक्शन सिस्टम में ही प्रदेश भर के निकायों की जमीनों का ऑनलाइन ऑक्शन किया जाता है
-इन तीनो पोर्टल और जेडीए के इन तीनों सिस्टम को आपस में इंटीग्रेट किया जा रहा है
-ताकि जेडीए के बेवसाइट पर जेडीए रीजन में स्थित किसी भी भूखंड की जानकारी रियल टाइम उपलब्ध हो सके
-भूखंड के मालिक के साथ जेडीए की ओर से भूखंड का जारी साइट प्लान भी जेडीए की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा

जेडीए की वेबसाइट पर ही जेडीए रीजन के समस्त भूखंडों की रियल टाइम जानकारी उपलब्ध हो, इसको लेकर जेडीए की आईटी शाखा के सलाहकार आरके शर्मा और सिस्टम एनालिस्ट कम प्रोगामर महिपाल सिंह चंपावत संबंधित पोर्टल और जेडीए के विभिन्न सिस्टम के डेटा के इंटीग्रेशन में लगे हुए हैं. जेडीए आयुक्त आनंदी ने इस कवायद को पूरी करने के लिए 30 अप्रेल तक का लक्ष्य रखा है. आपको बताते हैं कि विभिन्न डेटा का किस तरह किया जा रहा है इंटीग्रेशन और इस इंटीग्रेशन से किस तरह आमजन को फायदा मिलेगा-

-वर्ष 2019 में जेडीए ने अपने लैंड बैंक के लिए ई धरती पोर्टल से जेडीए की खातेदारी की जमीनों का डेटा लिया था
-ई धरती पोर्टल की ओर से छह साल पहले उपलब्ध कराए इस डेटा में से 22 हजार 762 खसरों की जमीनों का डेटा गायब है
-जानकारों के अनुसार इन खसरों की जमीनें रिंग रोड परियोजना,रीको, NHAI व अन्य एजेंसियों को दी जा चुकी है
-जेडीए के सभी जोन कार्यालयों से इन गायब हुए खसरों को लेकर जानकारी मांगी जा रही है
-अब जेडीए ने ई धरती पोर्टल से फिर से जेडीए की खातेदारी के 80 हजार 561 खसरों की जमीनों का नया डेटा अपने लैंड बैंक के लिए लिया है
-लैंड बैंक,सीपीआरएमएस,ई ऑक्शन सिस्टम,90 ए पोर्टल,ई पंजीयन पोर्टल व ई धरती पोर्टल के इंटीग्रेशन से कई प्रकार से राहत मिलेगी
-भूखंड के बेचान के बाद उसके खरीदार का नाम ई पंजीयन पोर्टल से जेडीए के सीपीआरएमस में दर्ज हो जाएगा
-खरीदार की ओर से भूखंड के नाम हस्तांतरण के लिए जब जेडीए में किया जाएगा आवेदन
-तो खरीदार को भूखंड की रजिस्ट्री के कागजों के सत्यापन के लिए जेडीए नहीं आना पड़ेगा
-ई पंजीयन पोर्टल से सीपीआरएमएस में हुए अपडेशन के आधार पर जेडीए नाम हस्तांतरण की कार्यवाही कर देगा
-इसी तरह जेडीए की ओर से अनुमोदित भूखंड का पट्टा किस व्यक्ति के नाम जारी है
-यह जानकारी सीपीआरएमएस के माध्यम से ई पंजीयन पोर्टल पर भी उपलब्ध होगी
-फर्जी पट्टा बनाकर खुद को भूखंड का मालिक बताने वाला उस भूखंड को बेचने के लिए रजिस्ट्री कराने आएगा तो
-ई पंजीयन पोर्टल पर सीपीआरएमएस के माध्यम से उपलब्ध जानकारी से इस फर्जीवाड़े का पता चल जाएगा
-इस तरह फर्जी पट्टों के आधार पर होने वाले भूखंडों के सौदों के फर्जीवाड़े से बड़ी राहत मिलेगी
-वहीं दूसरी तरफ फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर जेडीए में नाम हस्तारण नहीं किया जा सकेगा
-90 ए होने के बाद जेडीए के नाम दर्ज भूमि स्वत: ही लैंड बैंक में दर्ज हो जाएगी
-जेडीए के नाम दर्ज भूमि की जमाबंदी में हेरफेर कर 90 ए के कोई आवेदन जेडीए को मिलता है तो
-डेटा के इंटीग्रेशन से इस फर्जीवाड़े का तुरंत ही पता चल जाएगा
-सीपीआरएमएस व ई ऑक्शन के इंटीग्रेशन से जेडीए अधिकारियों को नीलामी योग्य संपत्तियों का पता लगाना आसान होगा
-जेडीए की वेबसाइट पर मास्टर प्लान 2025 पर क्लिक से आमजन को भूखंडों से जुड़ी समस्त जानकारी उपलब्ध हो जाएगी. 

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