VIDEO: जेडीए में दिनों दिन सुस्त होती कामकाज की चाल, निर्धारित अवधि में नहीं हो रहा प्रकरणों का निस्तारण, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: समय पर प्रकरणों का निस्तारण नहीं करने और आवेदकों को चक्कर कटवाने के लिए चर्चित जयपुर विकास प्राधिकरण के कामकाज की चाल दिनों-दिन सुस्त होती जा रही है. यहीं कारण है कि निर्धारित अवधि के बावजूद भी लंबित रहने वाले प्रकरणों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है. 

जयपुर विकास प्राधिकरण में फ्री होल्ड पट्टे जारी करने, लीज होल्ड पट्टे जारी करने, नाम हस्तांतरण करने, एकमुश्त लीज प्रमाण पत्र जारी करने, पुनर्गठन व उप विभाजन जैसे आमजन से जुड़े प्रकरणों का निर्धारित अवधि में निस्तारण नहीं किया जा रहा है. नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने 9 जुलाई को जेडीए में जाकर बैठक ली थी. बैठक में नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने सभी जोन उपायुक्तों को अपने-अपने जोन के लंबित प्रकरण आगामी 15 दिवस में शून्य करने के निर्देश दिये. साथ ही यह भी हिदायत दी थी कि वे 27 जुलाई 2024 को दुबारा जेडीए की समीक्षा बैठक लेंगे. इस बैठक में लंबित प्रकरणों की प्रगति की समीक्षा की जाएगी.

नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा की हिदायत के बाद लंबित प्रकरणों के निस्तारण में जरूर कुछ प्रगति हुई लेकिन उसके बाद फिर वही ढाक के तीन पात. हांलाकि खर्रा ने अब तक दुबारा जेडीए की समीक्षा बैठक नहीं ली है. फर्स्ट इंडिया न्यूज ने लंबित प्रकरणों के पिछले बीस दिन के आंकड़ों की पड़ताल की तो सामने आया कि जेडीए में प्रकरणों के निस्तारण की चाल दिनों दिन और धीमी होती जा रही है. निर्धारित अवधि में प्रकरणों को निपटाना तो दूर की बात अवधि पार प्रकरणों का भी निस्तारण नहीं किया जा रहा है. जेडीए के जिम्मेदार लापरवाह अधिकारी लोक सेवा गारंटी कानून का मखौल उड़ा रहे हैं. यही कारण है कि अवधि पार प्रकरणों की संख्या में पिछले बीस दिन में दोगुने से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है. जेडीए में 11 अगस्त को अवधि पार लंबित प्रकरण और 30 अगस्त को अवधि पार लंबित प्रकरणों की तुलनात्मक स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही कुछ इस तरह सामने आई. 

-जेडीए में निर्धारित अवधि में निस्तारित नहीं होने वाले लंबित प्रकरणों की संख्या 11 अगस्त को जहां 440 थी
-यहीं संख्या 30 अगस्त को बढ़कर 1084 हो गई
-निर्धारित अवधि में निस्तारित नहीं होने वाले फ्री होल्ड पट्टे के लंबित प्रकरणों की संख्या 11 अगस्त को 62 थी
-इन प्रकरणों की संख्या 30 अगस्त को बढ़कर 144 हो गई
-निर्धारित अवधि में निस्तारित नहीं होने वाले लीज होल्ड पट्टे के लंबित प्रकरणों की संख्या 11 अगस्त को 234 थी
-इन प्रकरणों की संख्या 30 अगस्त को बढ़कर 622 हो गई
-निर्धारित अवधि में निस्तारित नहीं होने वाले नाम हस्तांतरण के लंबित प्रकरणों की संख्या 11 अगस्त को 69 थी
-इन प्रकरणों की संख्या 30 अगस्त को बढ़कर 157 हो गई
-निर्धारित अवधि में निस्तारित नहीं होने वाले उप विभाजन/पुनर्गठन के लंबित प्रकरणों की संख्या 11 अगस्त को 72 थी
-इन प्रकरणों की संख्या 30 अगस्त को बढ़कर 159 हो गई

तय समय बीतने के बावजूद काम नहीं होने से जेडीए के कार्यालयों में चक्कर काट रहे आवेदकों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. अगर जोन वार निर्धारित अवधि में निस्तारित नहीं होने वाले लंबित प्रकरणों की संख्या देखें तो सबसे अधिक स्थिति जोन 11 की खराब है. आपको बताते हैं कि जोन वार इन अवधि पार लंबित प्रकरणों की क्या स्थिति है.

-प्रकरणों के निस्तारण में सबसे अधिक फिसड्डी जोन 11 है 
-इस जोन में सबसे अधिक अवधि पार 151 प्रकरण लंबित है
-प्रकरणों के निस्तारण में दूसरा सबसे बड़ा फिसड्डी जोन 5 है
-इस जोन में अवधि पार 131 प्रकरण लंबित है
-प्रकरणों के निस्तारण में तीसरा सबसे बड़ा फिसड्डी जोन 12 है
-इस जोन में अवधि पार 126 प्रकरण लंबित है
-प्रकरणों के निस्तारण में चौथा सबसे बड़ा फिसड्डी जोन 6 है
-इस जोन में अवधि पार 122 प्रकरण लंबित है
-इसी तरह पीआरएन साउथ फर्स्ट में 82, पीआरएन साउथ सेंकड में 78,
-जोन 9 में 74,जोन 14 में 71,जोन 7 में 50,जोन 13 में 48,जोन 4 में 30,
-जोन पीआरएन नॉथ सेकंड में 26,जोन पीआरएन नॉर्थ फर्स्ट 21,
-जोन 10 में 19,जोन 8 में 17,जोन 2 में 16,जोन 1 में 11 और जोन 3 में 11 प्रकरण लंबित हैं

भूखंड का पट्टा जारी करना जेडीए का सबसे अधिक रूटीन काम है. अवधि पार लंबित प्रकरणों की संख्या देखें तो पट्टे के ही मामले सबसे अधिक लंबित है. हांलाकि इस लापरवाही के पीछे बड़ा कारण जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही तो है ही, साथ ही जेडीए में स्टाफ की भारी कमी और एक उपायुक्त के पास एक से अधिक जोन का भार होना भी अन्य कारण है.