जयपुर: सड़क सुरक्षा प्रबंधन और चुनौतियां विषयक संगोष्ठी पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित हुई. इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि एक पत्रकार ही है जो छोटे को बड़ा और बड़े को छोटा कर सकता है. कार्यक्रम छोटा या बड़ा इस पर नहीं जाना चाहिए कार्यक्रम की गंभीरता महत्वपूर्ण है ना की संख्या.
किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत महत्वपूर्ण होती है चाहे संख्या कम हो. कोई भी काम शुरू किया जाए तो शुरुआत में संख्या कम ही रहती है. मन में आने की बात है वहीं कार्यक्रम बहुत बड़ा हो सकता है. लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़नी चाहिए. वाहन चालक में भी जागरूकता जरूरी है.
वाहन चालकों के लिए कार्यक्रम होना चाहिए ताकि उन्हें ट्रेनिंग दी जा सके. आज ड्राइवर लाइसेंस लेने के लिए RTO तक जाना ही नहीं पड़ा. स्थिति यह हो गई कि घर जाकर लाइसेंस मिल रहा है. ऐसी कमियां होने के कारण समस्या खड़ी हो रही है. हर 150-200 किलोमीटर गाड़ी चलाने के बाद रुकना चाहिए. वाहन स्वामी को भी ड्राइवर को यह कहना पड़ेगा कि सुरक्षित जा सुरक्षित वापस आ.
हरिभाऊ बागडे ने आगे कहा कि साक्ष्य मर्डर करने वाले को बचा भी सकता है और जेल भी सकता है. हर आदमी का दिल और मन साफ होना चाहिए. सच बोलने वाले को किसी बात की चिंता नहीं होती. झूठ बोलने वाले के मन में हमेशा डर रहता है. पहले सड़क अच्छी होने की बात करते थे सड़क बेहतर हुई तो दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई. ऐसे में वाहन चालक को सुरक्षा बरतनी होगी. ड्राइवर को मोबाइल पर बात करना बिल्कुल बंद करना होगा. कानून बना रखा है लेकिन कोई परवाह नहीं कर रहा.
वाहन चालक की समझ भी बेहतर होनी चाहिए. ऐसा सॉफ्टवेयर बनाना चाहिए जो गाड़ी में लगा रहे. जो ड्राइवर को लगातार सचेत करता रहे. जो काम आदमी से नहीं हो वह सॉफ्टवेयर से होना चाहिए. ऐसा कानून बने जिसने मलिक को भी दोषी माना जा सके. वाहन का इंश्योरेंस करवाना भी जरूरी है. वाहन की सर्विस भी समय पर होनी चाहिए. वाहन की गति सीमा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. तेज गति भी दुर्घटना का बड़ा कारण है.