जयपुर : SMS मेडिकल कॉलेज में एक ही जगह पर कई बरसों से जमे नर्सेज समेत अन्य मेडिकॉज को हिलाने में प्रशासन "पंगु" साबित हो रहा है. ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी प्रकरण को लेकर देशभर में हुई किरकिरी के बाद कॉलेज प्रशासन ने सभी अटैच अस्पतालों में रोटेशन सिस्टम लागू करने की कवायद शुरू की थी, लेकिन कुछ प्रभावशाली नर्सेज नेताओं के विरोध के बाद प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. हालांकि, कॉलेज प्रशासन का दावा है कि सभी संवर्ग को विश्वास में लेकर जल्द ही ये रोटेशन से स्टॉफ की ड्यूटी बदली जाएगी.
कहते है कि दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंककर पीता है, लेकिन शायद एसएमएस मेडिकल कॉलेज और उससे अटैच अस्पतालों में बैठे जिम्मेदारों को बार-बार दूध से जलने की आदत हो गई है. जी हां, हम बात कर रहे है एसएमएस अस्पताल में सामने आए ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी प्रकरण से जुड़ी, जिसमें सामने आया कि किस तरह एक ही जगह पर बरसों से जमे "बाबू" ने खुद को सिस्टम से ऊपर बना लिया. किसी को कानोंकान खबर नहीं होने दी और सैंकड़ों की संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी बांट दी. इसके बाद हाईलेवल ने निर्देश पर अस्पताल में एक ही जगह पर लम्बे समय से लगे बाबूओं को तो बदलने की कवायद शुरू हुई, लेकिन नर्सेज समेत अन्य संवर्ग में रोस्टर से कार्य आवंटन पर प्रशासन अभी भी कछुआ चाल चल रहा है. करीब दो सप्ताह पहले बुलाई गई बैठक में कुछ नर्सिंग नेताओं ने रोस्टर सिस्टम का विरोध किया, जिसके बाद से कॉलेज प्रशासन ठीठक गया है. यही कारण है कि अब तक इस पर फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि ज्यादातर नर्सिंगकर्मी ने काम करने की इच्छा जाहिर की है. हम एकरुपता लाने के साथ सभी को साथ में लेकर इस निर्णय को लागू करेंगे.
नर्सिंग का पेशा, लॉड्री-हेल्प लाइन में सेवाएं !
-SMS कॉलेज से अटैच अस्पतालों में प्रभावशाली नर्सेज की बानगी
-कॉलेज के अधीन संचालित अस्पतालों में 3000 से अधिक नर्सेज तैनात
-इसमें से कमोबेश हर अस्पताल में कुछ प्रभावशाली नर्सेज ने पकड़ रखी कुर्सी
-लॉड्री,किचन, हेल्प लाइन समेत अन्य तरह के नॉन मेडिकल कामकाज में लगे नर्सेज
-अकेले एसएमएस में करीब 200 जगह ऐसी चिन्हित, जहां नहीं नर्सेज का काम
-फिर भी कई सालों से प्रभावशाली नर्सेज उन जगहों पर कर रहे काम
-फार्मासिस्ट, लैब टेक्निशियन, रेडियोग्राफर संवर्ग में भी कुछ ऐसी की तस्वीर
-अब जैसे ही रोस्टर की शुरू हुई बात,तो प्रभावशाली मेडिकॉज का दिखने लगा विरोध
SMS सूत्रों के अनुसार कुछ नर्सिंग नेता भी लॉन्ड्री, ऑक्सीजन प्लांट, कीचन और वीवीआईपी ड्युटी में तैनात है. ऐसे में रोटेशन के आधार पर ड्युटी लगाई जाती है तो सालों से एक जगह पर जमे नर्सिंग नेताओं को दूसरी जगहों पर काम करना पडेगा. यहीं कारण है की इस व्यवस्था का कुछ नर्सेज विरोध कर रहे है. हालांकि, अधिकांश नर्सेज ये चाहते है कि यदि प्रशासन नियमानुसार बगैर किसी भेदभाव के रोस्टर सिस्टम लागू करें तो उन्हें हर जगह काम करने का मौका मिलेगा.
एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नर्सेज समेत अन्य सभी संवर्ग में रोस्टर सिस्टम से ड्यूटी का जो मानस बनाया है, वो स्वागतयोग्य है. इस कवायद से नर्सिंगकर्मियों को आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर, वार्ड्स समेत सभी तरह का काम करने का मौका मिलेगा, साथ ही नर्सिंगकर्मियों की स्किल भी बढेगी. ऐसे में उम्मीद ये है कि इस कवायद में प्रशासन सभी मेडिकॉज को विश्वास में लेकर तेजी से आगे बढ़े, ताकि सीधे मरीजों को फायदा मिल सके.