सीकर का लोकसभा चुनाव रण, सुमेधानंद व अमराराम में होगा मुकाबला, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः राजस्थान की राजनीति में ऊंट की करवट की दिशा बताने वाले शेखावाटी के सीकर लोकसभा क्षेत्र से इस बार बड़ा संदेश जाने वाला है. शूरवीरों की इस धरती से देश के नामी राजनेताओं का भाग्योदय हुआ है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी राजनीतिक चौसर बिछ चुकी है. भाजपा ने स्वामी सुमेधानंद का मोदी के दम पर हैट्रिक बनाने का मौका दिया है, तो कांग्रेस ने यहां समझौते ही राजनीति करते हुए सीपीआईएम को आगे कर दिया है. आखिर क्या है सीकर का मूड देखिए हमारे ब्यूरो चीफ नरेश शर्मा की इस रिपोर्ट में

सीकर यानि शेखावाटी की राजधानी. वीरो की इस धरती का ना केवल ऐतिहासिक महत्व है, बल्कि यह खाटू श्याम और सालासर बालाजी की धार्मिक स्थली भी है. राजधानी जयपुर से 115 किमी दूर यह शहर पुरानी हवेलियों और किलों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यहां पर राजनीतिक किलेबंदी हो चुकी है. मौजूदा राजनीतक किलेबंदी में नेताओं की ताकम आंके, इससे पहले आपको आइये सीकर का राजनीतिक इतिहास बताते है। सीकर में वर्ष 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था. उस समय राम राज्य परिषद के नंदलाल शर्मा सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस के रामेश्वर टंटिया चुनाव जीते। 1967 में भारतीय जनसंघ के नेता गोपाल साबू को यहां की जनता ने मौका दिया, तो वापस 1971 में यह सीट कांग्रेस की झोली में चली गई. उस समय यहां से श्रीकृष्ण मोदी सांसद बने थे. 1977 में जगदीश प्रसाद माथुर जनता पार्टी के टिकट पर चुने गए. वहीं साल 80 के चुनाव में जनता पार्टी के ही कुंभाराम आर्य चुनाव जीत गए. इसके बाद 84 में कांग्रेस के बलराम जाखड़ तो 89 में जनता दल के देवीलाल यहां से सांसद बने. इसी प्रकार 91 में कांग्रेस के बलराम जाखड़ फिर सांसद बने. जाखड़ लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक  पहुंचे थे, तो ताऊ देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने थे. 1996 के चुनाव में डॉ. हरि सिंह चुने गए थे. वैसे तो यह लोकसभा सीट एक ही पार्टी को लगातार दूसरी बार मौका देने में विश्वास नहीं करती, लेकिन बीजेपी ने 1998, 99 और 2004 में लगातार तीन बार चुनाव जीत कर इस मिथक को तोड़ा है. तब सुभाष महरिया सांसद बने थे और अटल बिहारी सरकार में मंत्री भी रहे  थे. इसके 2009 के चुनाव में कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला सांसद बने. 2014 से शुरू हुई मोदी लहर में स्वामी सुमेधानंद सरस्वती यहां से चुने गए. 2014 के बाद 2019 में भी 'बाबाजी' के नाम से मशहूर सुमेधानंद जीते और इस बार भाजपा ने हैट्रिक बनाने के इरादे से उनको फिर मैदान में उतार दिया है.

भाजपा के सामने इस बार कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा. बल्कि गठबंधन के नाम पर कॉमरेड अमराराम को आगे कर दिया. अमराराम अब INDIA गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में बाबाजी का विजयी रथ रोकना चाहते है। अमराराम तीन बार धोद से और एक बार दांतारामगढ़ से सीपीआईएम के विधायक रह चुके है. लोकसभा में भी वे कई बार भाग्य आजमा चुके है, लेकिन वे कभी दिल्ली में लाल झंडा नहीं फहरा सके. पिछले दो चुनाव में तो अमराराम कुल मिलाकर एक लाख वोट भी हासिल नहीं कर पाए। हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सीकर जिले में कांग्रेस व सीपीआईएम आमने-सामने चुनाव लड़ी है, लेकिन अब लोकसभा में भाजपा को हराने के लिए एकजुट हो गई है। चुनावी रंग और गहरा हो, इससे पहले ही कांग्रेस व भाजपा के दिग्गजों ने यहां पर ताल ठोंक दी है. भाजपा की तरफ से केंद्रीय ग़ृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रोड शो कर भगवा लहराने का संदेश दिया, तो कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा का विजयी रथ रोकने  की अपील की.

अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर सीकर सीट का अगर राजनीतिक भूगोल जाने तो यह यह सामान्य श्रेणी की संसदीय सीट है. इस लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र सीकर, लक्ष्मणगढ़, नीमकाथाना, धोद, श्रीमाधोपुर, खंडेला, दांतारामगढ़  सीकर जिले के ही हैं. वहीं एक विधानसभा क्षेत्र चौमूं जयपुर जिले का लगता है. इस सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या करीब 310,320 है. इसी प्रकार करीब 68,960 मतदाता अनुसूचित जनजाति के हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में करीब कुल आबादी का करीब साढ़े 8 फीसदी वोटर यानी 173,170 मुस्लिम हैं. इस क्षेत्र में करीब 79 फीसदी मतदाता गांवों में रहते हैं और करीब 21 फीसदी वोटर शहरी हैं. 2019 के संसदीय चुनाव में यहां कुल वोटर्स की संख्या 20,28,235 थी. पिछले दो चुनाव के आंकड़ों पर नजर डाले तो

2019 का जनादेश भाजपा के पक्ष में
बीजेपी के स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को 7,72,104 वोट मिले
कांग्रेस के सुभाष महरिया को 4,74,948 वोट मिले    
सीपीआई (एम) के कामरेड अमरा राम को 31,462 वोट मिले

2014 के जनादेश ने भी कमल खिलाया
सीकर संसदीय सीट पर 60.2 फीसदी मतदान हुआ था
बीजेपी को 46.9 फीसदी, कांग्रेस को 24.4 फीसदी वोट मिले
तीसरे स्थान पर पूर्व बीजेपी सांसद सुभाष महरिया रहे
महरिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 17.7 फीसदी वोट हासिल किए
बीजेपी से स्वामी सुमेधानंद सरस्वती के 4,99,428 वोट मिले
कांग्रेस से प्रताप सिंह जाट 2,60,232 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहें
निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सुभाष महरिया को 1,88,841 वोट मिले थे

सीकर लोकसभा सीट से कई दिग्गज नेता सांसद रहे, इनमें कांग्रेस के बलराम जाखड़ और जनता दल के चौधरी देवीलाल भी शामिल है. जाखड़ लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं, तो देवीलाल उप प्रधानमंत्री बने। सुभाष महरिया अटल सरकार में मंत्री रहे. सीकर में 1998 के बाद के छह चुनाव में से पांच में बीजेपी को जीत मिली. इस सीट में जीत के लिए जाट समुदाय के वोट अहम माने जाते है. सुमेधानंद अपने काम व मोदी के चेहरे पर वोट मांग रहे है. पिछले 10 साल में उन्होंने कई काम सीकर क्षेत्र के लिए कराए है, लेकिन अभी भी कुछ वादे उनके अधूरे है. सीकर के युवा के लिए सेना बड़ा कॅरिअर रही है और अब युवा बेरोजगारी से जूझ रहे है. सीकर सीट मुख्य रूप से ग्रामीण है, ऐसे में लोगों की रोजी रोटी खेती ही है, यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य यहां बड़ा चुनावी मुद्दा होगा. वहीं आठ विधानसभा क्षेत्र में से पांच पर कांग्रेस के विधायक होने के बावजूद कांग्रेस ने अपने प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले से कांग्रेस का उम्मीदवार ही नहीं उतारा, बल्कि कांग्रेसियों को लाल सलाम कहने का निर्देश दिया है. ऐसे में चार महीने पहले सीपीआईएम के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेसी इन चुनाव में लाल झंडा उठा पाएंगे, यह देखना भी रोचक होगा. सीकर की एक अलग पहचान इसलिए भी है, क्योंकि इस क्षेत्र का इस्तेमाल तमाम सियासी दल देश की जाट सियासत में बड़ा संदेश देने के लिए करते रहे हैं

VO अब चलते चलते एक नजर सीकर सीट से लड़ रहे दोनों उम्मीदवारों पर भी डाल लेते है.
नोट : सुमेधानंद (72 वर्ष) व अमराराम (68 वर्ष) की फोटो लगाए नाम सहित

भाजपा के सुमेधानंद

शिक्षा      एमए
प्रोफाइल सीकर से 2014 व 2019 में सांसद बने. 1989 में वे भाजपा से जुड़े थे. जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे. बचपन से ही धार्मिक जुड़ाव रहा. 1984 में स्वामी सर्वानंदजी से दीक्षा ली और संन्यासी बन गए.

संपत्ति का लेखाजोखा सुमेधानन्द सरस्वती की संपत्ति 5 साल में दोगुनी से ज्यादा

भाजपा उम्मीदवार सुमेधानंद सरस्वती की संपत्ति पांच साल में दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है. पांच साल पहले उनकी संपत्ति 28 लाख रुपए थी, जो अब 62 लाख करीब पहुंच गई है. लेकिन, उनके पास कोई भी मकान, जमीन सहित अचल संपत्ति नहीं है. सुमेधानंद सरस्वती ने शपथ पत्र में 62.80 लाख की चल संपत्ति बताई है. जिसमें 47.17 लाख की देनदारियां हैं. उन्होंने 26.95 लाख रुपए उधार दे रखे हैं. उनके बैंक खातों में 1.68 लाख रुपए जमा है और कैश 1.41 लाख रुपए हैं। उनके पास 1 लाख 11 हजार 850 रुपए के हथियार हैं. 4.68 लाख का फर्नीचर होने के साथ—साथ 26.68 लाख की इनोवा गाड़ी है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सुमेधानंद सरस्वती के पास कुल 28.27 लाख की संपत्ति थी, जिसमें 1,96,853 रुपए नकद थे. इसके अलावा उनके पास 16 लाख रुपए की सफारी थी.

INDIA गठबंधन के कॉमरेड अमरराम
शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट
प्रोफाइल : अमराराम सीपीएम के राज्य सचिव है. तीन बार धोद से व एक बार दांतारामगढ़ से विधायक रह चुके है. छह बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन एक बार भी नहीं जीत सके। कई किसान आंदोलन का नेतृत्व कर चुके है.

संपत्ति का लेखाजोखा अमराराम के पास 35 लाख से ज्यादा की संपत्ति कांग्रेस समर्थित माकपा प्रत्याशी अमराराम के पास 35 लाख से ज्यादा की चल-अचल संपत्ति है. शपथ पत्र में दिए गए ब्यौरे के मुताबिक अमराराम के पास कुल 5.53 लाख की संपत्ति है. जबकि पत्नी के खाते में 3.50 लाख रुपए जमा है। उनके पास 35 हजार रुपए और पत्नी के पास 400 रुपए है. उनकी पत्नी के पास 3.50 लाख की कीमत के सोने के जेवरात हैं. अमराराम के पास एक रिवॉल्वर है, जिसकी अनुमानित कीमत 65 हजार रुपए है. इसके अलावा उनके पास 31.46 लाख की अचल संपत्ति है. मूंडवाड़ा में 2.95 हेक्टेयर जमीन हैं, जिसकी अनुमानित कीमत 12 लाख रुपए है। वहीं, उनके पास जयपुर में एक प्लॉट और सीकर में मकान है.