VIDEO: 110 दिन के हुए सोना-चांदी ! नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में हुआ था 10 मई को शावकों का जन्म, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघिन रानी के दोनों शावक अब आत्मनिर्भर होने जा रहे हैं. दस दिन बाद नियो केयर से बाहर एनक्लोजर में खुद जीवन की राह पर चल पडेंगे. वैक्सीन लग चुके हैं, डिवर्मिंग कर दी गई है और माइक्रोचिप भी लगा दी गई है. मां का अहसास देने वाली सॉफ्ट डमी हटा दी है. उच्चाधिकारियों के आदेश के साथ ही दोनों को 10 सितंबर के आसपास एनक्लोजर में शिफ्ट कर दिया जाएगा. 

सोना-चांदी अब 110 दिन के हो चले हैं. कपास और कपड़े की 'मां' जैसी दिखने वाली 'डमी' को ही मां मानकर जीवन यात्रा पर चल पड़े हैं. पर अब चाइल्ड केयर खत्म होने वाली है. 'बेबी फीडिंग' बंद कर दी गई है और दस दिन बाद एनक्लोजर में भी भेज दिए जाएंगे. जी हां. हम बात कर रहे हैं नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के बाघ शावकों की जो तेजी से बड़े हो रहे हैं और जीवन के महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश करने वाले हैं. डॉ अरविंद माथुर की देखरेख में इनकी बेबी केयर चल रही है जो जल्द पूर्ण होने वाली है. मां की डमी हटा दी गई है. वैक्सीनेशन, डीवॉर्मिंग और माइक्रोचिप लगाने का काम पूरा हो गया है. 

वजन लगभग 11-11 किलो हो चुका है. 10 सितंबर के आसपास दोनों को एनक्लोजर में शिफ्ट किया जाएगा. यही कारण है कि इन्हें अब चिकन खाने को दिया जा रहा है और बोतल से बेबी फीडिंग बंद कर दी गई है. इन दोनों शावकों का जीवन पैदाइश से ही संघर्षमय रहा है. इनके एक भाई को मां ने घायल कर दिया बाद में उसने दम तोड़ दिया. फिर मां के आक्रामक स्वभाव के चलते इन्हें मां से अलग कर नियो नेटल केयर में शिफ्ट किया. यहां डॉ अरविंद माथुर की देखरेख में ये सर्वाइव कर पाए और अब जीवन की नई और महत्वपूर्ण पारी शुरू करने जा रहे हैं.

- 10 मई को दिया था बाघिन रानी ने 4 शावकों को जन्म
- एक मरा हुआ पैदा हुआ, एक की 2 जून को हुई मौत
- मां का आक्रामक स्वभाव देख बचे 2 शावकों को किया अलग
- नियो नेटल केयर में दोनों शावकों को हुए 110 दिन
- बाघिन की सॉफ्ट डमी को मां समझ बड़े हुए, अब डमी हटाई
- 10 सितंबर तक दोनों को एनक्लोजर में किया जाएगा शिफ्ट
- भविष्य में रिवाइल्डिंग पर भी होगा विचार
- दोनों का वजन हुआ 11 किलो, डॉ अरविंद माथुर कर रहे देखरेख

दरअसल ये दोनों 22 दिन के थे तब इन्हें मां का आक्रामक स्वभाव देख मां से अलग कर दिया गया. अब ये डॉ अरविंद माथुर की देखरेख में पिछले 100 दिन तक मां जैसी दिखने वाली और एक जगह स्थिर रहने वाली 'बाघिन की डमी' के साथ पले बढ़े. अब 110 दिन के हो चले इन दो अबोध भाई बहन को पता ही नहीं था कि जिसे वो मां मान रहे थे वो महज मां जैसी दिखने वाली रुई से भरी मां की प्रतिकृति मात्र थी. दोनों इस डमी के ऊपर आसपास उछल कूद करते रहे. अब उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए डमी को हटा दिया गया है. इनमें से जो नर शावक है वह दुर्लभ सफेद प्रजाति का है जबकि गोल्डन शावक मादा है. माना जा रहा है कि वन विभाग की इनकी रिवाइल्डिंग के भी प्रयास करेगा ताकि जंगल में रहने के इनके नैसर्गिक अधिकार को इन्हें दिया जा सके.