जयपुरः सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दावा किया था कि देश के 6 राज्य और राजस्थान के 7 जिलों की जीवन रेखा साबित होने के दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे. लेकिन इस दावे की प्रोजेक्ट पूरा होने से ही हवा निकल गई है. एनएचएआई के उदासीन अधिकारियों ने न तो अपने मंत्री के दावे की ही लाज रखी और न ही जन अपेक्षाओं की. हालात इतने खराब हो गए कि 'जीवन रेखा' की जगह ये प्रोजेक्ट 'जीवन लेवा' बनता जा रहा है.
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के हाल बेहाल, वाहन चालकों में पनप रहा भय
- गडकरी ने खुद दिया था डेमो, डैशबोर्ड पर पानी से भरा रखा था गिलास
- दावा था पानी की बूंद भी नहीं गिरेगी नीचे, अब तो गिलास रखना ही मुश्किल
- हादसों का एक्सप्रेस वे बना दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे
- जिन कार्यों के कंसलटेंट रखे वे कर रहे कागजी खानापूर्ति
- मेंटीनेंस गारंटी के बाद भी संवेदकों से नहीं करवाया जा रहा कार्य
- स्टोन मेट्रिक एस्फाल्ट तकनीक के चलते 30 से 50 वर्ष तक जीरो मेंटेनेंस
- लेकिन पूरी तरह शुरू होने से पहले ही उखड़ रही सड़क
- रेस्ट एरिया में हेलीपैड, ट्रोमा सेंटर, पेट्रोल-सीएनजी पंप, एटीएम
- अभी एक को छोड कोई रेस्ट एरिया नहीं तैयार
- हर 30 किमी के पैकेज पर एक एंबुलेंस सेवा का था दावा
- लेकिन 50 किमी पर भी एक एंबुलेंस नहीं उपलब्ध
- इंटरचेंज पर स्टेट ऑफ आर्ट के दावे भी हुए हवा
- शानदार बगीचे, सेंड माउंट, तालाब और छायादार पौधे के दावे फुर्र
16 सितंबर 2021 को केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर दौसा तक जब यातायात की शुरुआत की तो बांदीकुई विधायक जीआर खटाणा के साथ एक्सप्रेस वे पर करीब 150 किमी प्रति घंटा की स्पीड़ से फॉर्चूनर दौड़ाई.. डैशबोर्ड पर एक पानी से भरा गिलास रखा और डेमो में बताया कि एक्सप्रेस वे की गुणवत्ता इतनी शानदार है कि गिलास से पानी की एक बूंद भी नीचे नहीं गिरी. विडंबना देखिए उसी एक्सप्रेस वे पर दो साल बाद ही हालात इतने बदतर हैं कि अब डैशबोर्ड पर गिलास ही नहीं ठहरता. दरअसल एक्सप्रेस वे पर जगह जगह स्ट्रेच उखड़ गई है. पुलों पर झटके लगते हैं और सर्विलांस कैमरे, एसओएस टेलीफोन और पेट्रोलिंग की व्यवस्था न के बराबर मॉनिटर हो रही है. ऐसे में इस एक्सप्रेस वे पर लगातार हादसे हो रहे हैं. ये हाल तो तब है जब ये अभी दिल्ली से मुंबई तक शुरू नहीं हो सका है. वाहन चालकों में इस एक्सप्रेस वे पर आने में डर बैठ गया है. यही कारण है कि इस पर अभी अनुमानित वाहन भार का 25 प्रतिशत भी नहीं आ सका है.
दावे जो पूरे नहीं हो सके
- अभी 8 लेन बनाए जा रहे हैं. इनके अलावा 4 लेन और बढ़ाए जा सकेंगे
- ये 4 लेन सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए होंगी
- यह देश का पहला एक्सप्रेस-वे होगा, जिस पर डेडिकेटेड इलेक्ट्रिक व्हीकल फोरलेन होंगी
- एक्सप्रेस-वे के किनारे नई औद्योगिक टाउनशिप और स्मार्ट सिटी बनाने का भी प्रस्ताव है
- रूट पर 92 स्थानों पर इंटरवल स्पॉट डेवलप किए जाएंगे
- दिल्ली-मुंबई के बीच 150 किमी दूरी घट जाएगी. सिर्फ 13 घंटे में सफर तय हो सकेगा.
- एक्सप्रेस-वे से हर साल 32 करोड़ लीटर ईंधन बचेगा
- सुरक्षा के लिए सड़क के दोनों ओर 1.5 मीटर ऊंची दीवार बनेगी
- हर 2.5 किमी के बाद पशुओं के लिए ओवर पास बनाए जाएंगे
- हर 500 मी. पर एक अंडरपास होगा
- हर 50 किमी पर दोनों ओर फैसिलिटी सेंटर होंगे
- रेस्तरां, फूड कोर्ट, सुविधा स्टोर, ईंधन' स्टेशन, ईवी चार्जिंग पॉइंट और शौचालय होंगे
- सालाना 85 करोड़ किलो कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा
- रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 53 किमी लम्बा विशेष कॉरिडोर बनेगा
देश के सबसे लंबे एक्सप्रेस वे को लेकर एनएचएआई ने जो दावे किए थे वो पूरे नहीं हो सके. प्रोजेक्ट डेढ वर्ष पहले पूरा होना था लेकिन नहीं हो सका. दावा था कि स्टोन मेट्रिक एस्फाल्ट तकनीक के चलते 30 से 50 वर्ष तक जीरो मेंटेनेंस की स्थिति रहेगी. जगकि यह दो साल भी नहीं टिक सकी. दुर्घटना रोजाना हो रही हैं. बेहतर होगा सड़क परिवहन मंत्रालय देसरे एक्सप्रेस वे की घोषणा से बचे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे को सुगम और सुरक्षित बनाने की तरफ ध्यान दे.