जयपुरः सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी राजस्थान रोडवेज की हालत लगातार ख़राब होती जा रही है. रोडवेज की आय जहाँ कम होती जा रही हैं वहीं रोडवेज का खर्चा बढ़ता जा रहा है. राजस्थान राज्य पथ परिवहन में भले ही आय बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन इसी के साथ निगम का खर्चा बढ़ रहा है. रोडवेज की ओर से खर्चा कम करने पर काम नहीं जा रहा है. यही कारण है कि निगम हर महीने 90 करोड़ रुपए के नुकसान में चल रही हैं. रोडवेज को प्रति महीने 150 करोड़ रुपए की आय हो रही हैं. लेकिन इससे अधिक 240 करोड़ रुपए खर्चा हो रहा हैं.
इस हिसाब से रोडवेज रोज तीन करोड़ के नुकसान में चल रही हैं. बीते 10 साल के आंकड़ों को देखें तो प्रति किलोमीटर 23 रुपए खर्चा बढ़ गया है. रोडवेज की वर्तमान हालत बस चलाने तक की नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार और आरटीआईडीएफ फंड से मिलने वाले अनुदान से रोडवेज अपने कर्मचारियों की सैलरी सहित अन्य खर्चे निकाल रहा है. हर दिन बढ़ते खर्चे और घाटे के कारण रोडवेज के सामने आर्थिक संकट बढ़ता ही जा रहा है. लेकिन फिलहाल सरकार और रोडवेज के अधिकारियों के पास इस संकट को दूर करने का कोई प्लान नहीं है.
खर्चे को कम करने के लिए रोडवेज अधिकारी गंभीर प्रयास नहीं कर रहे है तो वहीं आय बढ़ाने के लिए भी रोडवेज के पास कोई योजना नहीं है. रोडवेज के गर्त में जाने का सबसे बड़ा कारण यही है कि रोडवेज का राजस्व कम होता जा रहा है तो खर्चा बढ़ता ही जा रहा है, अगर जल्द ही रोडबेज ने बढ़ते खर्चे को कंट्रोल नहीं किया तो हालत और खराब हो सकते हैं.
डीजल और इंजन ऑयल का खर्चा बहुत बढ़ गया है
टायर ट्यूब का खर्चा भी कई गुना बढ़ गया है
स्पार्क पार्ट, बैटरी का खर्चा भी बहुत बढ़ा है
सैलेरी , पेंशन और ओवरटाइम का खर्चा भी बहुत बढ़ गया है
मोटर एक्सीडेंट और ऑफ़िस खर्चे भी बहुत बढ़ गए है
रोडबेज में अगर बढ़ते खर्चे को कंट्रोल किया जाये तो हजारों कार्मिकों को वेतन और भत्ते समय पर मिल सकते हैं. लेकिन इसके लिए रोडवेज के अधिकारियों को मजबूत इच्छा शक्ति दिखानी होगी.