VIDEO: 6 माह में 47 भूमिपुत्र हुए भूमिहीन ! भूमिपुत्र को संबल देने में नाकाम भूमि विकास बैंकों का कुचक्र, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: डबल इंजन की सरकार और किसानों के प्रति संवेदनशील भी, लेकिन सहकारिता विभाग की भूमि विकास बैंक कुछ और ही सोच के साथ काम कर रही है. शायद यही कारण है कि पिछले 6 महीने में दौसा और हनुमानगढ़ में 47 किसान और 8 उद्यमियों की भूमि कुर्क कर ली गई. हालांकि सरकार ने इसके बाद किसानों की भूमि कुर्क करने पर रोक लगा दी लेकिन उन 47 किसानों की रोजी रोटी को लेकर कुछ नहीं कहा.

47 किसान व 8 उद्यमियों की भी भूमि कुर्क/नीलाम की गई:
-आचार संहिता के दौर में अप्रैल में दौसा जिले में 35 किसानों की भूमि नीलाम/कुर्क
-मई महीने में हनुमानगढ़ में 12 किसान 8 उद्यमियों की भूमि नीलाम/कुर्क
-आखिर 20 मई को राज्य सरकार के आदेश पर दूसरे जिलों में रुकी नीलामी/कुर्की
-एमडी एसएलडीबी व एमडी अपैक्स बैंक को लिखे पत्र में नीलामी को माना अनुचित
-सहकारिता विभाग के संयुक्त सचिव ने अग्रिम आदेश तक नीलामी पर लगाई रोक
-लेकिन बड़ा सवाल 'जिन किसानों की भूमि हुई कुर्क/नीलाम उन्हें कब मिलेगी भूमि वापस ?'
-हमेशा के लिए भूमि खो देने से 47 किसान परिवारों का कौन करेगा भरण पोषण ?

सहकारिता विभाग की भूमि विकास बैंकों द्वारा किसानों को कृषि कार्य के लिए दीर्घकालीन कृषि ऋण दिए जाते हैं. इसके लिए किसानों से ऋण की रकम के बदले उनकी भूमि रहन रखवाई जाती है. जो किसान ऋणों का चुकारा नहीं करते उनकी भूमि कुर्क कर नीलाम कर दी जाती है. दौसा जिले के 35 किसान और हनुमानगढ़ जिले के 12 किसान और 8 उद्यमी इस शर्त के चलते ही पिछले 6 महीने में अपनी भूमि खो चुके हैं. भूमि विकास बैंक द्वारा इनकी भूमि कुर्क कर ली गई. जब हंगामा मचा तो सरकार के आदेश पर किसानों की भूमि कुर्क करने की प्रक्रिया पर रोक लगी. हालांकि जिन 47 किसानों ने अपनी भूमि खोई उनके लिए अभी तक कोई राहत नहीं दी गई.

दरअसल इन किसानों की रोजी रोटी उस भूमि से ही चल रही थी और उन्होंने ऋण चुकाने से भी मना नहीं किया. बस इतनी दरख्वास्त की थी कि मौसम अच्छा रहा तो इस बार पैदावार ठीक होने पर ऋण की रकम ब्याज सहित चुका देंगे. लेकिन भूमि विकास बैंकों ने इनकी एक नहीं सुनी. अब ये 47 किसान परिवार सूदखोरों की शरण में जाने को मजबूर हैं. ऐसे में ये सरकार से गुहार कर रहे हैं कि उनकी कुर्क की गई भूमि वापस लौटा कर उन्हें ऋण चुकाने की मोहलत दी जाए. बिना भूमि के न तो पैदावार होगी और न ही वे अपना परिवार पाल पाएंगे.