जयपुर: प्रदेश में मानसून की बारिश का अंतिम दौर चल रहा है और राहतभरी खबर है कि बांधों में कुल भराव क्षमता का 34 साल का रेकार्ड टूटा है. यानि वर्ष 1990 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा पानी की आवक दर्ज की गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस मानसून का असर अगेती फसलों पर ज्यादा दिखाई देगा.
प्रदेश में बंबर बारिश का ही असर है कि इस मानसून वो बांध भी लबालब हो गए, जो कभी भरा नहीं करते थे. जयपुर और जयपुर ग्रामीण के बांधों पर भी मेहर बरसी. प्रदेश के बांधों की बात की जाए तो कुल भराव क्षमता का 86.54 प्रतिशत तक जल स्तर पहुंच गया, जिसने बीते 34 साल का रेकार्ड तोड़ा. इसमें भी वर्ष 2002 सबसे सूखा रहा. क्योंकि 34 साल का रेकार्ड देखें तो उस दौरान था कुल भराव क्षमता का मात्र 30.87 प्रतिशत पानी ही आ सका था. जबकि वर्ष 1994 में 85.76 प्रतिशत पानी की आवक हुई थी, जो बीते 34 साल में इस मानसून के बाद दूसरे नंबर पर है.
वर्ष--------------कुल भराव क्षमता-------कुल भराव की आवक------प्रतिशत
1990-----------9233.16---------------6556.23------------71.01
1991-----------9233.16---------------7251.05------------78.53
1992-----------9233.16---------------6108.23------------66.16
1993-----------9233.16---------------5780.23------------62.60
1994-----------9233.16---------------7918.53------------85.76
1995-----------9233.16---------------7164.53------------77.60
1996-----------9233.16---------------7081.61------------76.70
1997-----------9233.16---------------6563.97------------71.09
1998-----------9321.35---------------5385.76------------57.78
1999-----------9888.80---------------4846.62------------49.01
2000-----------9888.80---------------4673.81------------47.26
2001-----------11121.00--------------6495.06------------58.40
2002-----------11121.00--------------3433.33------------30.87
2003-----------11121.00--------------6458.710----------58.08
2004-----------11121.00--------------7896.990----------71.01
2005-----------11121.00--------------7898.120----------71.02
2006-----------11124.96--------------9298.230----------83.58
2007-----------11124.86--------------7756.101----------69.72
2008-----------11956.97--------------6322.083----------52.87
2009-----------12307.10--------------4851.851----------39.42
2010-----------12506.61--------------6423.236----------51.36
2011-----------12529.62--------------9158.262----------73.09
2012-----------12534.85--------------9624.782----------76.78
2013-----------12534.85--------------9340.740----------74.52
2014-----------12534.85--------------9615.442----------76.71
2015-----------12676.63--------------8829.547----------69.65
2016-----------12816.13--------------10810.043---------84.35
2017-----------12902.45--------------8838.180----------68.50
2018-----------12902.45--------------7820.220----------60.61
2019-----------12701.73--------------10790.150---------84.95
2020-----------12641.04--------------9061.980-----------71.69
2021-----------12626.32--------------8933.873-----------70.76
2022-----------12608.29--------------10527.910---------85.50
2023-----------12664.43--------------9649.03------------76.19
2024-----------12900.817------------11164.072---------86.54
प्रदेश के बांधों के भरने का सिलसिला जारी है और अब तक 399 बांध लबालब हो चुके हैं. एक अच्छी बारिश यह आंकड़ा 400 के पार कर देगी और कुल भराव क्षमता भी 87 प्रतिशत को टच कर सकती है. राहत की बात यह है कि सूखाग्रस्त जिलों में भी अच्छा पानी आया है. यहां पशुओं के चारे के साथ ही पेयजल और सिंचाई के पानी का भी इंतजाम हो गया है. 1990 से अब तक का सबसे अच्छा जलस्तर बताता है कि रबी की फसल से किसान को अच्छा मुनाफा मिलने वाला है.