जगदीप धनखड़ ने NCC गणतंत्र दिवस शिविर में ‘देश को प्रथम’ रखने का किया आह्वान

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को यहां राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के गणतंत्र दिवस शिविर का उद्घाटन किया और कैडेट से ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करने का आह्वान किया जो ‘‘राष्ट्र को पहले’’ रखता हो.

शिविर में देशभर के करीब 2,500 एनसीसी कैडेट को संबोधित करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 को ‘‘मील का पत्थर’’ बताया और यह भी कहा कि भारत इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है. उपराष्ट्रपति ने युवा छात्रों के बीच चरित्र, भाईचारा और नि:स्वार्थ सेवा की भावना पैदा कर’’ राष्ट्र निर्माण में एनसीसी के योगदान की प्रशंसा की.

हम तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएंगे:
उन्होंने कहा कि मैं इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा बनने के लिए आपको बधाई देता हूं. निस्संदेह, आप एनसीसी कैडेट के रूप में अपने आचरण से मिसाल कायम करेंगे और ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करेंगे जो हमेशा देश को पहले रखेगा. धनखड़ ने कहा कि हम अपनी आजादी के ‘अमृतकाल’ में हैं. हमारा भारत ऐसे आगे बढ़ रहा है जैसा कि पहले कभी नहीं हुआ. अब वह पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था है. कुछ महीने में ही हमने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया. इस दशक के अंत तक हम तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएंगे.

वैकल्पिक विषय के रूप में एनसीसी की पेशकश करते हैं:
एनईपी पर उन्होंने कहा कि तीन दशक तक चिंतन-मनन के बाद तैयार नयी शिक्षा नीति, 2020 मील का पत्थर है. यह जानकर खुशी हुई कि करीब 90 फीसदी विश्वविद्यालय वैकल्पिक विषय के रूप में एनसीसी की पेशकश करते हैं. उन्होंने एनसीसी कैडेट के रूप में अपने दिनों को भी याद किया.उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपके आत्मविश्वास और अच्छी-खासी उपस्थिति को देखकर, मुझे चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में एनसीसी कैडेट के अपने दिन याद आ गए. मेरे पास उन दिनों की बहुत अच्छी यादें हैं.

प्रशंसा और मित्रता की भावना पैदा करती हैं:
धनखड़ ने कहा कि एनसीसी देश की विविध विरासत को लेकर युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करती है और भाषायी, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा भौगौलिक बाधाओं के बाजवूद राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ाती है. उन्होंने कहा कि हमारे विविध देश में एनसीसी शिविर और सामूहिक गतिविधियां एक-दूसरे की विशिष्टता की प्रशंसा और मित्रता की भावना पैदा करती हैं. सोर्स-भाषा