गाय के गोबर से बन रही सुहाग की निशानी, वोकल फॉर लोकल की उपयोगिता हो रही साकार

गाय के गोबर से बन रही सुहाग की निशानी, वोकल फॉर लोकल की उपयोगिता हो रही साकार

जयपुरः जयपुर में लाख के चूड़ों का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना ये शहर सवाई जयसिंह द्वितीय ने जब जयपुर की स्थापना की तब कई दस्तकारों को भी यहां बसाया गया था. उन्हीं में शामिल थे मनिहारे. इनमें ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय से आते थे और लाख के चूड़े बनाने का काम करते थे. हालांकि, अब मिलावट के इस दौर में जयपुर की विरासत से जुड़े पारंपरिक लाख के चूड़े में बड़ी मात्रा में केमिकल मिलाया जा रहा है, लेकिन एक संस्था ऐसी भी है जो हजारों मनिहारों को साथ लेकर गाय का गोबर मिलाकर लाख के चूड़े तैयार कर रहे हैं. इससे न सिर्फ पहनने वाले बल्कि बनाने वालों के स्वास्थ्य और आय पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

जयपुर की विरासत और परंपरा से जुड़ा लाख का चूड़ा आज मिलावट की भेंट चढ़ता जा रहा है, लेकिन एक संस्था मिलावट की दुनिया से दूर इसे संजोने की कोशिश कर रही है हैनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने बताया कि, आज के समय में परंपरा से जुड़ा लाख का चूड़ा गुमनाम होता जा रहा है. इन चूड़ों को केमिकल और आधुनिक तरीकों से बनाया जा रहा है. जयपुर की शान में शुमार लाख में आज लोग केमिकल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे बनाने वालों का दम घुट रहा है और पहनने वालों के लिए भी ये हानिकारक साबित हो रही है. ऐसे में विरासत को जीवित रखने के लिए जयपुर लाख क्लस्टर परियोजना की शुरुआत की गई. हाल में ही ग्रेटर निगम की कमिश्नर और महापौर सोम्या ने पिजोरपोल गोशाला का दौरा किया था जिसके बाद कमिश्नर रूकमणि रियाड़ ने कहा कि मंदिरों में चढने वाले फूलों को एकत्रित कर यहां लाया जाता है जिससे फूलो की पत्तियों से ये महिलाएं चूडे में अलग अलग कलर बनाती है इसी के साथ गाय के गोबर से ना केवल लाख की चूडिया अपितु पूजा की साम्रगि बनाई जा रही है इससे महिलाएं आत्मनिर्भर तो बन रही है वहीं हमारी वेस्ट जाने वाली वस्तुओ का उपयोग भी हो रहा है

लाख के चूड़ों में नियमित रूप से एक्सपेरिमेंट करते हुए नए कलर्स और डिजाइंस तैयार किए जा रहे हैं. इसके पीछे उन्होंने बताया कि पारंपरिक लाख के चूड़े हमेशा से चलते आए हैं, लेकिन आज की जनरेशन को जोड़ने के लिए इन्हें नया रूप भी दिया जा रहा है. उन्हें नया टेस्ट और नया डिजाइन चाहिए. लाल-हरा लाख का चूड़ा हर कोई पहनता है, लेकिन उसके साथ क्या नया उपभोक्ताओं को दिया जा सकता है इस पर फोकस करते हुए वो नया क्रिएट करने में जुटे हुए हैं. इससे आर्टिजन की आय भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि अब लाख वही है. लेकिन उसमें लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा गया है. मणिहारों के आय-आजीविका का ध्यान रखा गया है जयपुर जिला उद्योग के सहयोग से ये काम किया जा रहा है, जिसमें 5000 से ज्यादा मनिहार जुड़े हुए हैं. यहां इनीशिएटिव लेकर केमिकल की मात्रा कम की गई और 40 फीसदी गाय के गोबर का इस्तेमाल किया गया, जो रेडिएशन को भी दूर रखता है और महिलाओं पर इसका पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है.

वोकल फोर लोकल की उपयोगिता का जिक्र देश के पीएम मोदी भी कर चुके है बीते कुछ दिनों के भीतर ही दीवाली, भैया दूज और छठ पर देश में 5 लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है और इस दौरान भारत में बने उत्पादों को खरीदने का जबरदस्त उत्साह लोगों में देखा गया. वोकल फोर लोकल  का ये अभियान पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है