Aghan Month 2022: 8 दिसंबर तक रहेगा अगहन मास, जानें इसका धार्मिक महत्व एवं नियम

जयपुर: अगहन महीना 8 दिसंबर तक रहेगा. कार्तिक के बाद ये दूसरा पवित्र महीना है. श्रीमद्भागवत के मुताबिक ये श्रीकृष्ण का पसंदीदा महीना है. इस महीने में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा होती है. साथ ही इस महीने में तीर्थ स्नान करने से पुण्य मिलता है और हर तरह के रोग, शोक और दोष दूर होते हैं. ये हिंदी महीना 8 दिसंबर तक रहेगा. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि बुधवार, 9 नवंबर से अगहन मास शुरू हो गया. इस महीने में तीर्थ और पवित्र नदियों में नहाने की परंपरा है. साथ ही शंख और भगवान कृष्ण की पूजा भी होती है. ये पुण्य देने वाला महीना 8 दिसंबर तक रहेगा. कोई तिथि क्षय नहीं होने से इस बार मार्गशीर्ष मास पूरे 30 दिनों का रहेगा. इस महीने में कालभैरव अष्टमी, श्रीराम-जानकी विवाह, दत्तात्रेय प्राकट्य और गीता जयंती जैसे बड़े व्रत पर्व भी रहेंगे.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में अगहन मास का काफी महत्व होता है. अगहन मास हिंदू पंचांग का नौवां महीना है. इसे मार्गशीर्ष भी कहते हैं. इस बार अगहन मास की शुरुआत 9 नवंबर बुधवार से होने जा रही है. ये महीना 08 दिसंबर गुरुवार तक रहेगा. इस महीने में शंख पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. ये महीना मांगलिक कार्यों और विवाह के हिसाब से काफी अच्छा होता है. अगहन मास में विवाह करना बहुत शुभ माना जाता है. इस महीने में भगवान श्रीराम का विवाह देवी सीता से हुआ था. 

अगहन को कहते हैं मार्गशीर्ष मास:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अगहन मास को मार्गशीर्ष कहने के पीछे कई वजह हैं. इनमें पहली भगवान कृष्ण से जुड़ी है. श्रीकृष्ण की पूजा कई नामों से होती है. इन्हीं में एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही नाम है. इस महीने को मगसर, अगहन या अग्रहायण भी कहा जाता है. श्रीमद्भागवत के अनुसार, श्रीकृष्ण ने कहा है मासानां मार्गशीर्षोऽहम् अर्थात् सभी महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है. मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है.

मार्गशीर्ष मास:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है. ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं. इन्हीं 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र. इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है. इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा गया है.

मार्गशीर्ष से ही नया साल शुरू किया:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारम्भ किया था. तब खगोलीय स्थिति अनुकूल होती थीं. मार्गशीर्ष महीने में ही कश्यप ऋषि ने सुन्दर कश्मीर प्रदेश की रचना की थी. इसलिए आज भी इस पूरे महीने भजन-कीर्तन चलता रहता है. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं.

चंद्रमा दोष से पा सकते हैं छुटकारा:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि अगर किसी की कुंडली में चंद्र दोष है, तो चंद्रमा संबंधी कुछ उपाय करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं या फिर दोष को कम कर सकते हैं.

शंख की पूजा करना शुभ:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस माह में शंख की पूजा करना शुभ माना जाता है. क्योंकि शंख में मां लक्ष्मी का वास होता है और भगवान विष्णु इसे धारण करते हैं.

भगवान श्री राम का विवाह:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि त्रेता युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. इस महीने मोक्षदा एकादशी का व्रत भी किया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इस कारण से इस महीने का विशेष महत्व है.

तीर्थ स्नान से मिलते हैं सुख:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों के मुताबिक इस महीने कम से कम तीन दिन तक ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें तो उसे सभी सुख प्राप्त होते हैं. नहाने के बाद इष्ट देवताओं का ध्यान करना चाहिए. फिर विधिपूर्वक गायत्री मंत्र का जाप करें. स्त्रियों के लिए यह स्नान उनके पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देने वाला है. इस महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व है. साधारण शंख को श्रीकृष्ण को पाञ्चजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं. अगहन मास में भगवान गणेश की पूजा का भी महत्व बताया गया है.

बुधवार, 16 नवंबर: इस दिन कालभैरव अष्टमी है. इस तिथि पर कालभैरव की विशेष पूजा करें और दीपक जलाएं. इस दिन सूर्य संक्रांति पर्व रहेगा इसलिए स्नान-दान करने से पुण्य मिलेगा.

रविवार, 20 नवंबर: इस दिन उत्पन्ना एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु के व्रत किया जाता है. एकादशी व्रत से जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का असर खत्म होता है.

बुधवार, 23 नवंबर: इस दिन मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या है. इस दिन तीर्थ स्नान-दान करने से परेशानियां दूर होती हैं. श्राद्ध करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है.

सोमवार, 28 नवंबर: इस दिन विवाह पंचमी है. त्रेतायुग में इसी तिथि पर श्रीराम और सीता का विवाह हुआ था. इस दिन श्रीराम और सीता की विशेष पूजा करें. रामायण का पाठ करें.

शनिवार, 3 दिसंबर: इस दिन मोक्षदा एकादशी है. पुराणों के मुताबिक इस एकादशी व्रत से मोक्ष मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है. इस तिथि पर गीता जंयती भी मनाते हैं.

बुधवार, 7 दिसंबर: इस दिन भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्य दिवस मनेगा. इस तिथि भगवान दत्तात्रेय का अवतार हुआ था. इस दिन अगहन पूर्णिमा सुबह 8 बजे से शुरू होगी.

गुरुवार, 8 दिसंबर: इस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा रहेगी. इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान और जरूरतमंद लोगों को दान करने की परंपरा है. सूर्योदय के वक्त पूर्णिमा होने से इसी दिन स्नान-दान करना शुभ रहेगा.